Crop Cultivation (फसल की खेती)

आम के बागों में कीट प्रबंधन

Share

आम के उत्पादन एवं क्षेत्रफल की दृष्टिकोण से भारत विश्व में प्रथम स्थान रखता है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि भारत में आम का कुल क्षेत्रफल 2.31 मिलियन हेक्टेयर है जिससे लगभग 15.03 मिलियन टन आम पैदा किया जाता है। देश के विभिन्न राज्यों में आम की व्यवसायिक बागवानी विभिन्न स्तरों पर की जाती है। देश में आम के बागों की उत्पादकता पर दृष्टि डालें तो पता चलता है कि कुछ क्षेत्रों में प्रति इकाई भूमि आम उत्पादन 4-12 टन प्रति हेक्टेयर है, जबकि राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय आम अनुसंधान संस्थानों में आम की सघन बागवानी से 18-22 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन लिया जा सकता है।

आम में नर्सरी से लेकर भण्डारण तक हर स्तर पर विभिन्न कीटों तथा बीमारियों का प्रकोप होता है इनके द्वारा आम के उत्पादन को लगभग 30 प्रतिशत हानि होती है। जिनका समय रहते प्रबंधन करना अति आवश्यक है।

प्रमुख कीट एवं प्रबंधन भुनगा कीट (हॉपर कीट)

यह आम का प्रमुख कीट है जो साल भर बाग में रहता है परंतु फूलों के आने के समय अधिक सक्रिय हो जाते है। आमतौर से अधिक नम हवा इस कीट के लिए उपयुक्त होती है। इसके प्रोढ़ (वयस्क) सुनहरी भूरे अथवा गहरे भूरे रंग और खूंटी के आकार के होते हैं। इसकी निम्फ (शिशु) भी भूरे रंग की होती है। वयस्क तथा शिशु कीट कोमल पत्तियों तथा पुष्पक्रमों का रस चूसते हैं। निरन्तर रस चूसे जाने के कारण बौर कमजोर हो जाते हैं और छोटे व बड़े फल गिरने लगते हैं। इसके अतिरिक्त ये भुनगे मधु जैसा चिपचिपा पदार्थ भी निकालते हैं, जिसके फलस्वरूप पत्तियों, प्ररोहों और फलों पर काली फफूंदी उगने लगती है।

प्रबंधन
  • सघन एवं ग्रसित शाखाओं को काट कर नष्ट कर देना चाहिए तथा सघन पौध रोपण से बचना चाहिए। बाग में सफाई रखनी चाहिए।
  • पेड़ों के नीचे धुआं करने से कुछ कीट भाग जाते हैं।
  • नीम उत्पाद, एजाडिरेक्टिन 3000 पी.पी.एम. प्रति 2 मिलीलीटर 1 लीटर पानी में मिलाकर हॉपर कीट प्रारंभिक अवस्था छिड़काव में करना चाहिए।
  • गंधक चूना का 800 ग्रा. डस्ट अथवा बोर्डो मित्रण का छिड़काव 5 से 15 ली प्रति पेड़ या निकोटिन सल्फेट -साबुन – रेजिन को मिलाकर छिड़काव करना अच्छा रहता है।
  • मेटाराइजियम एनीसोपली (1&108 स्पोर्स/ मि.ली.)/ 2 ग्रा./ली. पानी के साथ छिड़काव करना चाहिए।
प्रौढ़ व निम्फ भक्षी कीट

पिपिनकुलस, इपीपाइरोप्स, ड्रायानिड  प्रमुख है।

रसायनिक नियंत्रण

3 से 5 छिड़काव कीट तीव्रता के आधार पर, प्रथम फूल लगने से पहले सायपर मेथ्रिन (0.007 प्रतिशत), द्वितीय गुच्छे लगने की अवस्था में क्वीनॉलफास  (0.07 प्रतिशत), या कार्बेरिल डस्ट (0.1 प्रतिशत), तथा बाकी छिड़काव इमीडाक्लोप्रिड (0.0053 प्रतिशत), थायमेथाक्जम (0.005 प्रतिशत), और डायमेथोयेट (0.03 प्रतिशत), से करना चाहिए।

गुजिया (मिली बग)

यह कीट गम्भीर रूप से फल को नुकसान करता है। इसके निम्फ और मादा दोनों टहनियों की शाखा, फल एवं फूलों की कोशिकाओं का द्रव चूसती है। जिससे प्रभावित फल थोड़े से झटके से नीचे गिर जाते है। इस कीट का प्रकोप बसंत ऋतु में अधिक होता है। यह कीट अपना जीवन चक्र एक साल में पूरा कर लेता है। इस कीट की मादा, अपै्रल-मई में पेड़ों से नीचे ऊतरकर भूमि की दरारों में प्रवेश कर अण्डे देती है। अण्डे भूमि में नवम्बर-दिसम्बर तक सुषुप्तावस्था में रहते हैं। छोटे-छोटे निम्फ अण्डों से निकलकर दिसम्बर के अन्तिम सप्ताह में आम के पौधें पर चढऩा प्रारम्भ कर देते हैं। अच्छी धूप निकलने के समय ये अधिक क्रियाशील होते हैं। निम्फ और वयस्क मादा कीट जनवरी से मई तक बौर व अन्य कोमल भागों से रस चूसकर उनको सूखा देते हैं।

प्रबंधन
  • इस कीट के प्रकोप से बचाव हेतु खरपतवारों की गुड़ाई करके नवम्बर माह में बागों से निकाल देने से अण्डे खत्म हो जाते हैं।
  • दिसम्बर माह के तीसरे सप्ताह में वृक्ष के तने के आस-पास क्लोरोपाइरीफॉस चूर्ण (1.5 प्रतिशत) 250 ग्राम प्रति वृक्ष के हिसाब से मिट्टी में मिला देने से अण्डों से निकालने वाले निम्फ मर जाते हैं।
  • पॉलीथिन की 20 सें.मी. पट्टी पेड़ के तने के चारों ओर भूमि की सतह से 50 सें.मी. ऊंचाई पर दिसम्बर के चौथे सप्ताह में गुजिया के निकलने से पहले लपेटने से उनकों वृक्षों पर ऊपर चढऩे से रोका जा सकता है।
  • यदि गुजिया पेड़ पर चढ़ गई हो तो ऐसी अवस्था में डायमिथियेट 0.06 प्रतिशत का छिड़काव करना चाहिए।    (शेष पृष्ठ 7 पर)
Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *