जमीन में जिंक सल्फेट की कमी से गेहूं में पीलापन आ रहा है
शाजापुर। कृषि विज्ञान केंद्र शाजापुर के वैज्ञानिक डॉ. मुकेश सिंह व कृषि आदान विक्रेता सुनील नाहर ने बेरछा क्षेत्र कृषकों के खेत पर लगी फसलों को देखा इस दौरान कृषकों ने गेहूं की फसल में पीलापन के साथ-साथ सूखने की समस्या बताई। नवीन राव के खेत पर गेहूं की फसल पीली एवं सूखने की समस्या दिखी जो बुवाई के समय जिंक सल्फेट नहीं डालने से पीलापन दिख रहा है इस पोषक तत्व की कमी हमारी जमीन में रहती है जिंक सल्फेट को हर 2 साल में 5 किलो प्रति बीघा के हिसाब से खेत में डालना चाहिए जिससे इस तरह की बीमारी नहीं रहेगी।
जड़ माहो
कहीं-कहीं गेहूं की फसल में जड़ माहू कीट का प्रकोप भी देखने को मिला जो गेहूं फसल में जड़ के पास बहुत छोटा काले रंग का माहू चिपका रहता है जो जड़ से रस चूस कर फसल को नुकसान पहुंचाता है इसके नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस एल की 200 एम एल मात्रा या थायोमेथोक्जाम 25.2 ग्रा. की 125 ग्राम या क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी की 2.5 लीटर या बायफेंथ्रिन 10 इसी 1.500 लीटर प्रति हेक्टेयर के मान से 500 लीटर पानी मे मिलाकर छिड़काव करने की सलाह दी।
सिंचाई
साथ ही गेहूं की फसल में जल मांग के अनुसार सिंचाई करने की सलाह दी अधिक पानी देने से भी पीलापन की समस्या हो सकती है गेहूं की फसल में किस्म के अनुसार 4 से 6 पानी की आवश्यकता होती है जो फसल बुवाई के 21 दिन 45 दिन 65 दिन 85 दिन 105 दिन और अंतिम पानी होने पर 120 दिन की फसल पर सिंचाई करें प्रत्येक सिंचाई के बीच में मौसम के अनुसार 15 से 20 दिन का अंतर रखें। इस मौके पर नवीन राव पूनम राव जितेंद्र राव येवले के खेत भी देखे।