सोयाबीन कृषकों को साप्ताहिक सलाह (28 अगस्त-3 सितम्बर 2023 )
29 अगस्त 2023, इंदौर: सोयाबीन कृषकों को साप्ताहिक सलाह (28 अगस्त-3 सितम्बर 2023 ) – भा.कृ.अनु.प.-भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान, इंदौर द्वारा कहा गया है कि सोयाबीन वर्तमान में फसल लगभग 50-65 दिनों की है एवं फूल आने/फलियों में दाने भरने की स्थिति में है। इस स्थिति में सोया कृषकों को निम्न सलाह दी जा रही है –
1. कृषकों से प्राप्त समाचार के पिछले सप्ताह इंदौर जिले के कुछ क्षेत्रों में नकली फफूंदनाशकों का विक्रय करने हेतु किसी विशेष फफूंदनाशक के खाली डिब्बे क्रय किये जा रहे हैं, अतः सलाह है कि नकली दवाइयों से सावधान रहें एवं इनका क्रय करते समय विक्रेता से पक्का बिल लें , जिस पर बैच नंबर एवं एक्सपायरी दिनांक स्पष्ट लिखा हो।
2. कृषकों को सलाह है कि चूहें द्वारा सोयाबीन की फलियों दाने खाने से होने वाले नुकसान से बचाने हेतु प्रबंधन के उपाय अपनाएं। इसके लिए फ्लोकोउमाफेन 0.005% रसायन से बने प्रति हेक्टेयर 15-20 बेट/हे. बनाकर चूहों के छेदों के पास रखें ।
3. बिहार हेयरी कैटरपिलर का प्रकोप होने पर किसानों को सलाह हैं कि प्रारंभिक अवस्था में झुण्ड में रहने वाली इन इल्लियों को पौधे सहित खेत से निष्कासित करें एवं इसके नियंत्रण हेतु फसल पर लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.90सी.एस. (300 मिली/हे) या इंडोक्साकार्ब 15.8 एस. सी. (333 मिली/हे) का छिड़काव करें।
4. पत्ती खाने वाली तीनों इल्लियों (सेमीलूपर/तम्बाकू/चने की इल्ली) या इनमें से कोई एक इल्ली के साथ-साथ रसचूसने वाले कीट (सफ़ेद मक्खी/एफिड) एवं तना छेदक कीट (तना मक्खी/चक्र भृंग) के एक साथ नियंत्रण हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक जैसे क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. या थायोमिथोक्सम 12.60%+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) का छिड़काव करें।
5. फली भेदक इल्लियाँ विशेषकर चने की इल्ली या पत्ती खाने वाली इल्लियाँ जैसे सेमीलूपर/तम्बाकू की इल्ली काएक साथ प्रकोप हो या इनमे से किसी भी एक इल्ली का प्रकोप होने पर नियंत्रण हेतु निम्न में से किसी भी एक रसायन का छिड़काव करें : इंडोक्साकार्ब 15.8 एस. सी (333 मि.ली/हे ), या फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी (150 मि.ली.) या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी., (250-300मिली/हे) या नोवाल्युरोन + इन्डोक्साकार्ब 04.50% एस. सी. (825-875 मिली/हे) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी, (150 मि.ली./हे ) या इमामेक्टिनबेंजोएट 01.90 (425 मि.ली./हे), या फ्लूबेंडियामाइड 20 डब्ल्यू.जी (250-300 ग्राम/हे) या स्पायनेटोरम 11.7
एस.सी (450 मिली/हे केवल तम्बाकू की इल्ली के नियंत्रण हेतु), या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 % +लैम्बडासायहेलोथ्रिन 04.60 % ZC, (200 मिली/हे सेमीलूपर इल्ली के नियंत्रण के लिए) का छिडकाव करें. इनसे पत्ती खाने वाली इल्लियों के साथ साथ फूल खाने वाली इल्लियों का नियंत्रण हो सकेगा।
6.चक्र भृंग के नियंत्रण हेतु सलाह हैं कि प्रारंभिक अवस्था में ही आइसोसायक्लोसरम 9.2% W/W Dc (10%W/V) DC (600 मिली/हे) या एसिटेमीप्रीड 25%+बायफेंथ्रिन 25%WG (250ग्रा./हे) या ब्रोफ्लानिलाइड300 एस.सी. (42-62 ग्राम/हे), या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली/हे) या थायक्लोप्रिड 21.7एस.सी. (750 मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी (1 ली./है) या इमामेक्टीन बेन्जोएट (425 मिली/ है ) याक्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल18.5 एस.सी 18.50 % SC का छिड़काव करें। यह भी सलाह दी जाती है कि इसकेफैलाव की रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट कर दें।
7. वर्तमान में सोयाबीन फसल पर एन्थ्राक्नोज, रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट जैसे फफूंदजनित रोगों का प्रकोपदेखा जा रहा है। कृषकों को सलाह है कि फफूंदजनित रोगों से सुरक्षा हेतु अपनी फसल पर टेबूकोनाजोल 25.9ई.सी. (625 मिली/हे) या टेबूकोनाझोल 10%+सल्फर 65%WG (1250 ग्राम/हे) या कार्बेन्डाजिम+मेन्कोजेब 63% WP (1250 ग्राम/हे) या पिकोक्सीस्ट्रोबिन 22.52% w/wSC (400 मिली/हे) या फ्लुक्सापाय्रोक्साड167 g/l + पायरोक्लोस्ट्रोबीन 333 g/l SC (300 ग्रा/हे.) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 133 g/l +इपिक्साकोनाजोल 50g/l SE (750 मिली/हे) जैसे अनुशंसित फफूंदनाशकों में से किसी एक का सुरक्षात्मक छिड़काव करें।
8. जहाँ पर पीले मोज़ेक वायरस रोग के लक्षण देखे जा रहे हैं, कृषकों को सलाह है कि इसके प्रारंभिक लक्षण दिखते ही तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें एवं अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं. एवं पीले मोज़ेक वायरस रोग को फ़ैलाने वाले वाहक कीट सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु अनुशंसित कीटनाशक एसिटेमीप्रीड 25%+बायफेंथ्रिन 25%WG (250ग्रा./हे) का छिडकाव करें। इसके स्थान पर पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन (125मिली/हे) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे) का भी छिड़काव किया जा सकता है। इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है।
9. सूखे की स्थिति में जिन कृषकों के पास सिंचाई की व्यवस्था है, अधिक समय तक बारिश की प्रतीक्षा करने के स्थान पर भूमि में दरारें पड़ने से पूर्व ही फसल में सिंचाई करें। साथ ही नमी संरक्षण के वैकल्पिक उपाय जैसे भूसे (5 टन/हे) की पलवार लगाएं।
10. ऐसे किसान जो आगामी वर्ष के लिए उपयोगी सोयाबीन बीज का बीजोत्पादन कर रहे हैं, शुद्धता बनाये रखने के लिए फूलों के रंग एवं पौधों/पत्तियों/तने पर पाए जाने वाले रोएं के आधार पर भिन्न किस्मों के पौधों को अपने खेत से निष्कासित करें।
अन्य सुरक्षात्मक उपाय / सामान्य सलाह
1 तम्बाकू की इल्ली एवं चने की इल्लियों के नियंत्रण हेतु बाजार में उपलब्ध कीट-विशेष फेरोमोन ट्रैप याप्रकाश प्रपंच लगाएं इनके सेप्टा लगाने से पूर्व अपने हाथ स्वच्छ है यह सुनिश्चित करें।
2 जैविक सोयाबीन उत्पादन करने वाले कृषकों को सलाह है कि पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर, तम्बाकू की इल्ली ) से फसल की सुरक्षा एवं प्रारंभिक अवस्था में ही रोकथाम हेतु बेसिलस थुरिन्जिएन्सिस अथवा ब्युवेरिया बेसिआना या नोमुरिया रिलेयी (1.0 ली./हेक्टे) का छिड़काव करें।
3 कीट-भक्षी पक्षियों द्वारा इल्लियों को खाने से होने वाले नियंत्रण को और सुविधाजनक बनाने हेतु सोयाबीन फसल में पक्षियों की बैठने हेतु “T” आकार के बर्ड-पर्चेस लगाएं इससे कीट-भक्षी पक्षियों द्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है।
4 वायरस जनित पीला मोज़ेक/सोयाबीन मोजेक रोगों से सुरक्षा हेतु इन रोगों को फैलाने वाले रसचू सक कीट सफ़ेद मक्खी/जासिड के नियंत्रण के लिए अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।
5 अपने खेत की नियमित निगरानी करें एवं खेत में जाकर 3-4 स्थानों के पौधों को हिलाकर सुनिश्चित करें कि क्या आपके खेत में किसी इल्ली/कीट का प्रकोप हुआ है या नहीं और यदि है, तो कीड़ों की अवस्था क्या है? तदनुसार उनके नियंत्रण के उपाय अपनाएं।
6 सोयाबीन की फसल घनी होने पर चक्र भृंग का प्रकोप अधिक होने की सम्भावना होती है , इसके लिए प्रारंभिक अवस्था में ही (एक सप्ताह के अन्दर) दो रिंग दिखाई देने वाली ऐसी मुरझाई/लटकी हुई ग्रसित पत्तियों को तने से तोड़कर जला दे या खेत से बाहर करें।
7. अपने खेतों में चूहे के नियंत्रण के उपाय अपनाएं इसके लिए फ्लोकोउमाफेन 0.005% रसायन से बने प्रति हेक्टेयर 15-20 बेट/हे. बनाकर चूहों के छेदों के पास रखें ।
8. सोयाबीन फसल पर पौध संरक्षण के लिए अनुशंसित रसायनों (कीटनाशक/फफूंद नाशक) के छिड़काव में पर्याप्त पानी की मात्रा (नेप्सेक स्प्रेयर या ट्रैक्टर चलित स्प्रेयर से 450 लीटर/हे पॉवर स्प्रेयर से 125 लीटर/हे न्यूनतम) का उपयोग करें।
9. कीट एवं रोगों से फसल सुरक्षा हेतु उपयुक्त रसायनों का छिड़काव किया जाना चाहिए, भले ही सोयाबीन फसल फूल आने की अवस्था में हो।
10. किसी भी प्रकार का कृषि-आदान क्रय करते समय दुकानदार से हमेशा पक्का बिल लें, जिस पर बैच नंबर एवं एक्सपायरी दिनांक स्पष्ट लिखा हो।
11. ऐसे रसायन (कीटनाशक/खरपतवार नाशक/फफूंदनाशक) जो सोयाबीन फसल में उपयोग हेतु भारत सरकार के केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड द्वारा जारी सूची में शामिल नहीं, उपयोग नहीं करें।
12. जिन रसायनों (कीटनाशक/खरपतवार नाशक/फफूंदनाशक) के मिश्रित उपयोग की वैज्ञानिक अनुशंसा या पूर्व अनुभव नहीं है, ऐसे मिश्रण का उपयोग कदापि नहीं करें। इससे फ़सल को नुकसान हो सकता है।
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