State News (राज्य कृषि समाचार)

सोयाबीन कृषकों को उपयोगी सलाह

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25 सितम्बर 2023, इंदौर: सोयाबीन कृषकों को उपयोगी सलाह – भा.कृ .अनु.प.-भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान, इंदौर द्वारा 25 सितंबर  से 1 अक्टूबर 2023 तक की अवधि के लिए सोयाबीन कृषकों को उपयोगी सलाह दी गई है।

अ. ऐसे क्षेत्र जहाँ जून माह के अंतिम सप्ताह में बोवनी हुई थी, फसल 90-95 दिन की हो गई है, सोयाबीन की शीघ्र पकने वाली किस्में परिपक्व होकर कटाई के लिए लगभग तैयार है, अतः सोया कृषकों को निम्न सलाह दी जा रही है –

1 सोयाबीन की शीघ्र पकनेवाली किस्मों में 90% फलियों का रंग  पीला  पड़ने पर फसल की कटाई कर सकते हैं। इससे बीज के अंकुरण में विपरीत प्रभाव नहीं होता।

2 सोयाबीन फसल की कटाई करने से पूर्व कृषकगण कृपया मौसम का पूर्वानुमान देखें  एवं कटाई के 4-5 दिन तक बारिश नहीं होने की सम्भावना पर ही कटाई करें, अन्यथा कटाई के बाद होने वाली वर्षा से फफूंद लगकर उत्पादन की गुणवत्ता में कमी आ सकती है।

3 सोयाबीन की कटी  हुई  फसल को  धूप  में सुखाने के पश्चात गहाई करें।  तुरंत गहाई करना संभव नहीं होने की स्थिति में बारिश से बचाने हेतु फसल को सुरक्षित स्थान पर इकठ्ठा करें।

4 आगामी वर्ष बीज के रूप में उपयोगी सोयाबीन की फसल की गहाई 350 से 400 आर.पी.एम. पर करें जिससे बीज की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़े।

5 सोयाबीन फसल परिपक्व होने की स्थिति में बारिश होने वाले क्षेत्रों में तुरंत खेत से अतिरिक्त जल की निकासी की व्यवस्था  करें  एवं जलभराव की स्थिति से होने वाले नुकसान से फसल को  बचाएं।

6 सोयाबीन की फलियों में दाने भरने या परिपक्वता की अवस्था में फसल पर होने वाली लगातार बारिश से सोयाबीन की गुणवत्ता में कमी आ सकती है  या फलियों के दाने अंकुरित होने की भी संभावना हो सकती है, अतः सलाह  है कि उचित समय पर फसल की कटाई  करें जिससे फलियों के चटकने से होने वाले नुकसान या फलियों के अंकुरित होने से बीज की गुणवत्ता में आने वाली कमी से बचा जा सके।

ब. ऐसे क्षेत्र जहाँ सोयाबीन की देरी से बोवनी हुई थी (जुलाई माह) या जहा मध्यम समयावधि या देरी से पकने वाली किस्में लगाई गई है, कीट या रोग नियंत्रण के लिए निम्न उपाय अपनाने की सलाह है।

7 जहाँ पर फसल 80-90 दिन की हो चुकी है, फलियों में दाना भर गया है, वहाँ कीट/रोग प्रकोप से अधिक नुकसान नहीं होगा। ऐसी अवस्था में कीटनाशक/फफूंदनाशकों का उपयोग लाभदायक नहीं होगा. अतः फसल की अवस्था और कीट/रोग प्रकोप की तीव्रता को संज्ञान में ले कर ही कीट प्रबंधन करें।

8 महाराष्ट्र के कुछ जिलों में (यवतमाल, वर्धा, हिंगोली, आदि) पीले मोज़ेक वायरस रोग का प्रकोप देखा गया हैं. इसके साथ साथ जहा भी इस रोग का प्रकोप है, कृषकों को सलाह है कि इसके प्रारंभिक लक्षण दीखते ही तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें एवं अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं. एवं पीले मोज़ेक वायरस रोग को फ़ैलाने वाले वाहक कीट सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु अनुशंसित कीटनाशक एसिटेमीप्रीड 25%+बायफेंथ्रिन 25%WG (250ग्रा./हे) का छिडकाव करें. इसके स्थान पर पूर्वमिश्रित कीटनाशकथायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन (125मिली/हे) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे) काभी छिड़काव किया जा सकता है। 
9  एन्थ्राक्नोज रोग के नियंत्रण हेतु टेबूकोनाजोल 25.9 ई.सी. (625 मिली/हे) या टेबूकोनाझोल 10%+सल्फर65%WG (1250 ग्राम/हे) का छिडकाव करें. जबकि रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट, कालर रॉट, पोड ब्लाइटजैसे फफूंद जनित रोगों से फसल को सुरक्षित करने हेतु पिकोक्सीस्ट्रोबिन 22.52% w/wSC (400 मिली/हे) याफ्लुक्सापाय्रोक्साड 167 g/l + पायरोक्लोस्ट्रोबीन 333 g/l SC (300 ग्रा/हे.) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 133 g/l +
इपिक्साकोनाजोल 50g/l SE (750 मिली/हे). (बीजोत्पादन कार्यक्रम वाले खेत में भी दाने भरने की अवस्था में  इन्हीं  फफूंदनाशकों से छिडकाव किया जा सकता है । )

10 दाने भरने की अवस्था में फली भेदक चने की इल्ली द्वारा फलियों के अन्दर से दाने खाने की सम्भावना होती  है , अतः इसके नियंत्रण हेतु निम्न में से किसी एक कीटनाशक का छिडकाव करने की सलाह हैं. इंडोक्साकार्ब 15.8 एस. सी (333 मि.ली/हे ), या फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी (150 मि.ली.) या नोवाल्युरोन + इन्डोक्साकार्ब 04.50 % एस. सी. (825-875 मिली/हे) या इमामेक्टिन बेंजोएट 01.90 (425 मि.ली./हे)।

11 तम्बाकू की इल्ली के नियंत्रण हेतु सलाह है कि फसल पर फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी (150 मि.ली.) याफ्लूबेंडियामाइड 20 डब्ल्यू.जी. (250-300 ग्रा./हे) या स्पायनेटोरम 11.7 एस.सी (450 मिली/हे) का  छिड़काव  करें।

12 सेमीलूपर इल्ली के नियंत्रण हेतु सलाह है कि आवश्यकता अनुसार फसल पर लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.90 सी.एस. 300 मिली/हे. या फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी (150 मि.ली.) या फ्लूबेंडियामाइड 20 डब्ल्यू.जी. (250- 300 ग्रा./हे) या एसिटेमीप्रीड 25%+बायफेंथ्रिन 25%WG (250 ग्रा/हे) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल18.5 एस.सी (150 मिली/हे) या इंडोक्साकार्ब 15.8 ई.सी. (333 मिली/हे) या आइसोसायक्लोसरम9.2% W/W Dc (10% W/V) DC (600 मिली/हे) का छिड़काव करें ।

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