भिंड में प्राकृतिक कृषि पर दो दिवसीय प्रशिक्षण सम्पन्न
08 मार्च 2024, भिंड: भिंड में प्राकृतिक कृषि पर दो दिवसीय प्रशिक्षण सम्पन्न – कृषि विज्ञान केन्द्र, लहार भिण्ड द्वारा भिंड जिले के ग्राम मगदपुरा में दो दिवसीय प्राकृतिक कृषि पर प्रशिक्षण का आयोजन किया गया । कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. एस.पी. सिंह के निर्देशन में यह कार्यक्रम हुआ।
डॉ. एस.पी. सिंह ने बताया कि प्राकृतिक कृषि जैविक कृषि से भिन्न है, क्योकि जैविक कृषि में खादों एवं जैविक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है ,जबकि प्राकृतिक कृषि में प्रकृति प्रदत्त उत्पादों एवं साधनों का उपयोग किया जाता है। इसमें उत्पादन को प्रकृति की शक्ति माना जाता है तथा कृषि कर्षण क्रिया कम से कम की जाती है। वहीं प्राकृतिक खेती के नोडल अधिकारी डॉ. बी.पी.एस. रघुवंशी ने बताया कि इस पद्धति में रासायनिक खाद, गोबर खाद ,जैविक खाद, केचुआ खाद एवं जहरीले कीटनाशक, रासायनिक खरपतवार नाशक, रासायनिक फफूंदनाशक नहीं डालना है, केवल एक देशी गाय की सहायता से इस खेती को कर सकते हैं । किसानों की पैदावार का आधा हिस्सा उनके उर्वरक, खाद, कीट एवं रोग नाशकों में चला जाता है। यदि किसान खेती में अधिक मुनाफा या फायदा कमाना चाहता है तो उसे प्राकृतिक खेती की तरफ अग्रसर होना चाहिए। उन्होंने प्राकृतिक खेती के उत्पाद जीवामृत, बीजामृत, घनजीवामृत के बारे में विस्तार से चर्चा की ।
श्री रघुवंशी ने बताया कि बीजामृत से बीजोपचारित करने से बीजों की अंकुरण क्षमता एवं अंकुरण प्रतिशत बढ़ती है, बीजों में एक समान अंकुरण, फंगस एवं वायरस को रोकता है। वहीं जीवामृत गाय के गोबर , गोमूत्र, गुड़ , बेसन एवं पीपल एवं बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी से बनाते हैं। यह जीवामृत जब सिंचाई के साथ खेत में प्रयोग किया जाता है, तो भूमि जीवाणुओं की संख्या तीव्र गति से बढ़ती है एवं भूमि के भौतिक, रासायनिक व जैविक गुणों में सुधार होता है।
केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक उद्यानिकी डा. कर्णवीर सिंह ने मल्चिंग के बारे में बताया कि इसमें जुताई के स्थान पर फसल के अवशेषों को भूमि पर आच्छादित कर दिया जाता है। वैज्ञानिक डॉ. एन.एस. भदौरिया ने ब्रह्मास्त्र अग्नि अस्त्र तथा नीमास्त्र के बारे में बताया। डॉ. रूपेन्द्र कुमार तथा डॉ. सुनील शाक्य ने अपने विषय से सम्बंधित कृषकों से चर्चा की । पूर्व अध्यक्ष खनिज विकास निगम श्री कोकसिंह नरवरिया ने भी चर्चा की । कृषकों के सामने जीवामृत, बीजामृत आदि उत्पाद को बनाकर बताया गया ।
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