रबी फसलों में डीएपी पर ही निर्भर न होकर काम्पलेक्स उर्वरक देने की सिफारिश
22 नवम्बर 2023, भोपाल: रबी फसलों में डीएपी पर ही निर्भर न होकर काम्पलेक्स उर्वरक देने की सिफारिश – मध्य प्रदेश में रबी फसल की बुवाई तेजी से चल रही है जिसमें गेहूँ, चना, मटर, मसूर, सरसों, अलसी मुख्य फसलें हैं। जिसमें प्राय: किसानों द्वारा डीएपी यूरिया का प्रयोग किया जाता है जो कि एक लोकप्रिय किन्तु महंगा आदान है। कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि यूरिया, डीएपी के स्थान पर काम्पलेक्स उर्वरक (एनपीके) मिश्रण का उपयोग करें। जिसमें नाइट्रोजन एवं फास्फोरस तत्वों के साथ-साथ सल्फर एवं पोटाश तत्व की पूर्ति भी हो सके। सल्फर तिलहनी फसल सरसों, राई में उपज बढ़ाने के साथ-साथ दाने में तेल की मात्रा में बढ़ोतरी करता है। काम्पलेक्स मिश्रण में 85% फास्फोरस घुलनशील अवस्था में होने से फसल को उपलब्धता बरकरार रहती है। साथ ही पोटाश तत्व दाने में चमक लाने का कार्य करता है।
डीएपी यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता न होने पर विकल्प के रूप में जैसे सिंचित गेहॅू हेतु अनुशंसित उर्वरक एनपीके (120:60:40) किग्रा/हे., की पूर्ति के लिए
विकल्प-1 यूरिया 261 किग्रा/हे. एसएसपी 375 किग्रा/हे. एमओपी 67 किग्रा/हे. है।
विकल्प-2 यूरिया 130 किग्रा/हे., एनपीके 28:28:0 214 किग्रा/हे. एवं एमओपी 67 किग्रा/हे.,
विकल्प-3 यूरिया 130 किग्रा/हे., एनपीके (20:20:0) किग्रा/हे. 300 किग्रा/हे. एवं एमओपी 67 किग्रा/हे.,
विकल्प-4 यूरिया 213 किग्रा/हे., एनपीके ( 20:20:0) 231 किग्रा/हे. एमओपी 23 किग्रा/हे.
सिंचित गेहूं के लिये पोषक तत्व की प्रतिपूर्ति हेतु किसी भी एक विकल्प को किसान अपना सकते हैं।इस प्रकार डी.ए.पी यूरिया के विकल्प के रूप में एनपीके काम्पलेक्स का उपयोग कर आदान की लागत को कम कर अधिक उत्पादन एवं लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम)