राष्ट्रीय गोकुल मिशन एक आशा
देश में पिछले दस वर्षों में फसलों के उत्पादन में एक सकारात्मक वृद्धि देखी गई है। साथ-साथ फसल उत्पादन की लागत में भी वृद्धि हुई है जिसके कारण किसानों की आय तथा उनके जीवन स्तर में सुधार तो आया है पर वह सम्पन्न बनाने के लिए काफी नहीं था। इसलिये किसानों को अपनी खेती के आय के स्रोत के अतिरिक्त भी कुछ सोचना होगा, ताकि उनकी आय में वृद्धि हो सके। इसके लिए उन्हें खेती के साथ-साथ दूध, अंडा, ऊन, मछली तथा मांस उत्पादन की ओर भी सोचना होगा। देश में पिछले दस वर्षों में दूध उत्पादन में एक सकारात्मक वृद्धि हुई है। वर्ष 2004-05 में जहां देश का दूध उत्पादन 925 लाख टन था वहीं यह 2014-15 में बढ़ कर 1463 लाख टन तक पहुंच गया। पिछले दस वर्षों में इससे लगभग 58 प्रतिशत वृद्धि हुई है। भारत पिछले कुछ वर्षों से विश्व का सबसे अधिक दूध उत्पादन करने वाला देश बना हुआ है। अब देश के प्रति व्यक्ति को 322 ग्राम दूध प्रतिदिन मिलता है, जबकि विश्व का यह औसत मात्र 294 ग्राम प्रतिदिन है। देश में दूध उत्पादन की यह जागरूकता गुजरात के दूध उत्पादक सहकारी संस्था अमूल के कारण आई। जिसके कारण लगभग हर राज्य में इस प्रकार की संस्था का जन्म हुआ जिसने किसानों में दूध उत्पादन के प्रति जागरूकता उत्पन्न की और देश को दूध उत्पादन के क्षेत्र में इस स्थिति तक पहुंचा दिया। भारत सरकार ने भी देश में पशुओं के संरक्षण व उनके उत्थान के लिये राष्ट्रीय गोकुल मिशन का गठन किया है। जिसका उद्देश्य देशी जातियां उत्थान तथा संरक्षण, प्रजनन द्वारा अनुवांशिक गुणों में सुधार, उत्पादकता तथा उत्पादन में वृद्धि, विलक्षण पशुओं जिनकी उत्पादन क्षमता नहीं के बराबर है। उनकी संतानों को एक उत्पादक पशु के रूप में विकसित कर देश को दूध उत्पादन के क्षेत्र में बहुत ऊपर ले जाया जा सकता है और प्रदेश व देश को बच्चों में कुपोषण के कारण लगे दाग से भी बचाया जा सकता है। किसानों को भी राष्ट्रीय गोकुल मिशन का लाभ उठाकर अपने विलक्षण पशुओं को उन्नत जातियों में परिवर्तित कर दूध उत्पादन में वृद्धि करने में अपना योगदान देने में अपने प्रयास भी करने चाहिए ताकि उनकी आर्थिक दशा सुधर सके।