मध्यप्रदेश के फलक पर कृषि विकास का इन्द्रधनुष
- सुनील गंगराड़े, मो.: 9826034864
23 फरवरी 2022, मध्यप्रदेश के फलक पर कृषि विकास का इन्द्रधनुष – भारत में जब भी कृषि विकास के उन्नयन को रेखांकित किया जाएगा, मध्यप्रदेश का उल्लेख सदैव शिखर पर होगा। क्षेत्रफल की दृष्टि से देश के दूसरे बड़े राज्य मध्यप्रदेश की रहस्यगर्भा, रत्नगर्भा माटी अपने अंतस में अकूत खजाने समेटे है। भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 9 प्रतिशत मध्यप्रदेश में है। देश के इस मध्य क्षेत्र मध्यप्रदेश ने खेती में अनेक इन्द्रधनुषी पताकाएं फहराई हैं। मक्का से मूसली तक और सोयाबीन के फैलाव से स्टीविया जैसी ताजातरीन फसल लेने में राज्य के कृषकों ने अपरिमित कौशल का प्रदर्शन किया है। इस लेख में आंकड़ों का घटाटोप न करते हुए, बीते 15 वर्ष के कालखंड में कृषि फलक पर मध्यप्रदेश की उपलब्धियों को तरतीबवार प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
राज्य में कृषि क्षेत्र में नीतिगत हस्तक्षेप बुनियादी सुविधाओं के विस्तार, किसानों की वित्तीय-आर्थिक मजबूती से चहूँओर प्रगति हुई है। कृषि क्षेत्र में शासन स्तर पर त्वरित नीतिगत निर्णय की आवश्यकता को देखते हुए कृषि केबिनेट का गठन भी हुआ। जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने हेतु विशेष प्रयास किए गए। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी जैविक खेती में मध्य प्रदेश में किये गये नवाचारों को अनेक अवसरों पर सराहा। इस डेढ़ दशक से भी अधिक के दौर में मध्यप्रदेश में कृषि उत्पादन, सिंचाई का रकबा, कृषि विपणन हर क्षेत्र में बढ़ौत्री हुई।
अनाज उत्पादन एवं क्षेत्र बढ़ा
आंकड़ों के आइने में जब हम वर्ष 2005 के आंकड़े देखते हैं और उनकी तुलना 2020-21 से करते हैं तो संतोषप्रद उपलब्धि का अनुभव होता है। वर्ष 2005 में गेहूं का रकबा केवल 41.88 लाख हेक्टेयर था जो वर्ष 2020-21 में दुगना बढक़र 98 लाख हेक्टेयर से भी अधिक हो गया। और इसी अनुपात में उत्पादन जो वर्ष 2005 में 62 लाख टन था, वर्ष 2021 में 3 करोड़ 56 लाख टन से अधिक हुआ। धान का क्षेत्रफल वर्ष 2005 में केवल 17 लाख हेक्टेयर था, उत्पादन 16.97 लाख टन वो 2020-21 में बढक़र क्रमश: 34 लाख हेक्टेयर और 1 करोड़ 23 लाख टन हुआ। मप्र की कृषि विकास यात्रा की ये कुछ बानगियां हैं जिसके मूल में शिवराज सरकार द्वारा किसानों और विशेष रूप से वंचित कृषक वर्ग की मदद-सहायता के लिए, लिए गये अनेक नीतिगत फैसले हैं। इन 15-17 वर्षों में चरण दर-चरण सुविचारित रणनीति के तहत कृषि उत्पादन, उत्पादकता और क्षेत्रफल में बढ़ौत्री को अंजाम दिया गया।
सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि
अखिल भारतीय स्तर पर सोयाबीन उत्पादन में मध्यप्रदेश की भागीदारी 46 प्रतिशत के साथ पहली पायदान पर है। गेहूं, दलहन, मोटे अनाज में भी मध्य प्रदेश का देश के अग्रणी राज्यों में प्रतिष्ठापूर्ण स्थान है। म.प्र. ने सिंचाई के क्षेत्र में आशातीत वृद्धि की है। राज्य में सिंचित रकबा वर्ष 2005 में मात्र 6 लाख हेक्टेयर होता था जो बढक़र 42 लाख हेक्टेयर हो गया है। इस बढ़त का प्रमुख कारण किसान पुत्र मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा खेती और उसकी समस्याओं को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव कर उसका निदान करना था। अधूरी सिंचाई योजनाओं को समयबद्ध सीमा में पूरा करने के साथ सिंचाई क्षेत्र बढ़ाने के लिए अन्य ोतों की संभावनाओं का भी उपयोग किया गया। वर्ष 2025 तक लगभग 65 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है।
समर्थन मूल्य पर खरीदी
कृषि में किए अनेक नवाचारों, पहलों से आने वाले समय में कृषि परिदृश्य में सकारात्मक वृद्धि होगी। समर्थन मूल्य पर किसानों से एक-एक दाना खरीदने की मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता ने भी किसानों को अपना श्रेय देने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया। समर्थन मूल्य पर वर्ष 2020-21 में 17 लाख किसानों से 1 करोड़ 28 लाख टन गेहूं की रिकॉर्ड खरीद, जिसमें पंजाब को भी पीछे छोड़ दिया, 37 लाख टन से अधिक की धान खरीदी भी किसानों से की गई।
फसल बीमा का लाभ
वर्ष 2016 से प्रारम्भ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए प्रदेश के वार्षिक बजट में 2200 करोड़ रूपये की राशि का प्रावधान है। प्रदेश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कुल वर्षवार 4 करोड़ 43 लाख 61 हजार 570 किसान खरीफ 2016 से रबी 2021-22 तक (पाँच वर्षों में) पंजीकृत हुए। वर्तमान समय तक 73 लाख 69 हजार 614 किसानों को रबी 2019-20 तक की राशि 16 हजार 750 करोड़ 87 लाख रूपये का दावा राशि का वितरण किया गया है।
जैविक/प्राकृतिक खेती
प्रदेश में जैविक खेती का कुल क्षेत्र लगभग 16 लाख 37 हजार हेक्टेयर है जो देश में सर्वाधिक है। जैविक उत्पाद का उत्पादन 14 लाख 2 हजार मी. टन रहा, जो क्षेत्रफल की भाँति ही देश में सर्वाधिक है। जैविक खेती को प्रोत्साहन स्वरूप प्रदेश में कुल 17 लाख 31 हजार क्षेत्र हेक्टेयर जैविक प्रमाणिक है, जिसमें से 16 लाख 38 हजार एपीडा से और 93 हजार हेक्टेयर क्षेत्र, पी.जी.एस. से पंजीकृत हंै।
नि:शुल्क स्वाईल हेल्थ कार्ड वितरित
जिला स्तर पर 50 मृदा परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की गई हैं और विकासखण्ड स्तर पर 265 मृदा स्वास्थ्य परीक्षण प्रयोगशालाएँ स्थापित की जा रही हैं। प्रदेश के 90 लाख किसानों को नि:शुल्क स्वाईल हेल्थ कार्ड वितरित किये जा चुके हैं।
शून्य प्रतिशत ब्याज पर 14 हजार 428 करोड़ का ऋण
प्रदेश में किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर फसल ऋण दिया जा रहा है। वर्ष 2003-04 में कृषकों को खेती के लिए मात्र 1273 करोड़ का फसल ऋण मिला था। इस वर्ष किसानों को रुपये 14 हजार 428 करोड़ के ऋण उपलब्ध कराये जा चुके हंै। विगत दो वर्ष में किसानों को 26 हजार करोड़ के ऋण शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर दिये गये हैं।
दुग्ध उत्पादन राष्ट्रीय औसत से अधिक
प्रदेश का दुग्ध उत्पादन पिछले वर्ष 7.52 प्रतिशत वृद्धि के साथ बढक़र 17.1 मिलियन टन हो गया है। राष्ट्रीय स्तर पर यह वृद्धि लगभग साढ़े पाँच प्रतिशत है। प्रदेश दुग्ध उत्पादन और पशुधन में 4 करोड़ 6 लाख 37 हजार 375 की संख्या के साथ आज देश में तीसरे स्थान पर है।
उपलब्ध जल-क्षेत्र में मछली पालन
प्रदेश के सिंचाई जलाशयों एवं ग्रामीण तालाबों के कुल उपलब्ध जल-क्षेत्र के 99 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र में मछली पालन हो रहा है। किसानों की तरह मछुआरों को भी शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण सुविधा उपलब्ध कराने फिशरमेन क्रेडिट कार्ड बनाये जा रहे हैं। अभी तक कुल 16 हजार 320 मछुआ क्रेडिट कार्ड बनाये जा चुके हैं।
संत तिरुवल्लुवर के मुताबिक कृषक बिन निज स्वार्थ से, लोक का भरण करता है और इस संपूर्ण जगत के जीवों की, अपनी इस सत्ता के आश्रय में ले आता है। कृषि अनंत, कथा अनंता। जिस देश की, प्रदेश की आधी से ज्यादा आबादी कृषि से जुड़ी हो और जिस प्रदेश का मुख्यमंत्री स्वयं कृषक पुत्र हो, इस राज्य के किसानों की कामयाबी की कहानियां सात समंदर पार भी सुरभित हंै। मुख्यमंत्री किसान विदेश अध्ययन यात्रा ऐसी ही एक योजना है जिसके तहत प्रदेश के अनेक प्रगतिशील कृषक नीदरलैंड, इजराईल, आस्ट्रेलिया आदि देशों में कृषि तकनीक देखने गए और यहां आकर अपने खेतों में अनुसरण किया और लाभ उठाया। राष्ट्रीय दलहन अनुसंधान केन्द्र भोपाल, अंतर्राष्ट्रीय बोरलॉग इंस्टीट्यूट जबलपुर, अंतर्राष्ट्रीय शुष्क क्षेत्रीय अनुसंधान अमलाहा जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की स्थापना से प्रदेश की खेती को नई दिशा मिली है। कस्टम हायरिंग सेंटर, मार्केटिंग एवं लॉजिस्टिक हब से किसानों को फारवर्ड बेकवर्ड लिंकेज मिलने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
प्रदेश के समग्र विकास और उन्नति के लिए कृषि क्षेत्र का विकास निरंतर होता रहे यह आवश्यक है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान इसके लिए लगातार नीतियां बना रहे हैं और योजनाएं गढ़ रहे हैं, और ये नीतियां और कार्यक्रम जमीन पर उतर भी रहे हैं। खेती को लाभकारी बनाने फसल विविधीकरण को अपनाने, बागवानी फसलों को बढ़ाने और किसानों की उपज का उचित मूल्य दिलाने की दिशा में शिवराज सरकार ने अनेक प्रभावी कदम उठाए हैं, परन्तु इन नीतियों की निरंतरता, प्रयासों की गंभीरता ही इस पंचरंगी कृषि के फलक पर विकास का इन्द्रधनुष उतारेगा।
महत्वपूर्ण खबर: रतलाम के ढाई लाख किसानों के खाते में आए 318 करोड़