State News (राज्य कृषि समाचार)

फ़सल का उचित भंडारण व प्रमुख कीट व्याधिँया

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लेखक: डॉ.विवेक सिंह तोमर सामाजिक विज्ञान केंद्र, सलकनपुर, सीहोर एवं डॉ.संदीप शर्मा सेवानिवृत कृषि कीट वैज्ञानिक, कृषि महाविद्यालय, सीहोर

13 दिसम्बर 2023, सीहोर: फ़सल का उचित भंडारण व प्रमुख कीट व्याधिँया – बीज फसल उत्पादन का एक महत्वपूर्ण आधार है और यह फसलों के विपुल उत्पादन में अहम भूमिका निभाता है l हम सभी जानते हैं कि यदि बीज निरोग स्वस्थ और कुछ पूर्ण है तो फसल भी अच्छी होती होगी रोग एवं कीटों से फसल को हानि केवल खड़ी फसल में ही नहीं बल्कि अनाज भंडारगृह में भी होती है प्राय सभी बीजों को कुछ समय भंडारण के पश्चात ही बोया जाता है इस दौरान बीज को फफूंद या रोगाणुओं से बचाए रखना एक चुनौती पूर्ण कार्य होता है विभिन्न उद्देश्यों के लिए हमारे देश में उत्पादित अनाज का लगभग 70% भंडारण किया जाता है कुल संग्रहित अनाज का लगभग 10% भंडारण के दौरान कीटों एवं फफूंदियो द्वारा क्षतिग्रस्त हो जाता हैl  लगभग 14 मिलियन टन प्रतिवर्ष देश में भण्डारण  नुकशान आका गया है रुपयों में लगभग 7 हजार करोड रुपए की हानि होती है l केवल भंडारण कीटो से लगभग 1300 करोड़ रूपए नुकशान प्रतिवर्ष होता है (igmri.dfpd.gov.in)

भंडारण के दौरान हानि पहुंचाने वाले की फफूदियो के बारे में जान लेना बहुत आवश्यक है जिससे किसान भाई उचित समय पर सही कदम उठाकर अनाज को होने वाली हानि से बचा सकते हैंI

भंडारण में संग्रहित अनाज को दो प्रकार के कारकों से हानि होती है I

1.जीवित- जैसे चूहे,फफूद, कीड़े और अनेक प्रकार के जीवाणु I 2. अजीवित- बीज की नमी, भंडारगृह का तापमान, आर्द्रता आदि I

भंडारण फफूंद:

कई फफूंदी जैसे राइजोपस,स्कालेरोटीनिया,एस्परजिलस,फयूजेरियम,पेनिसिलियम आदि भंडारण के दौरान संग्रहित अनाज को नुकसान पहुंचाते हैं l भंडारणगृहों में फफूंद से ही करीब 2% हानि आकी गई हैl भंडारण में हानि पहुंचाने वाली फफूंद की करीब डेढ़ सौ जातियां बीज के साथ संलग्न पाई गई हैl यह फफूंदी भंडारगृहों में बीज की सतह पर या उसके अंदर होती हैl इनका टीका या तो भण्डारगृह में ही पहले से मौजूद रहता है या फिर इनके बीजाणु धूलकण के साथ बीज तक पहुंच जाते हैंl यह फफूंदी कई प्रकार से अनाज को हानि पहुंचती है जैसे:

1. अंकुरण क्षमता का घटना :- भंडारण में बीच की अंकुरण क्षमता घटने के अनेक कारण है l इनमें एक कारण भंडारणों में फफूंद द्वारा बीज के भूर्ण भाग पर आक्रमण है l

2. बीज के अंकुर या अन्य भाग काले या बदरंग हो जाते हैं जिससे बीच का बाजार भाव कम हो जाता है विशेष कर धन्य फसलों में जैसे कि गेहूं, मक्का आदि l

3. फफूंद के आक्रमण के द्वारा बीजों में कई रासायनिक परिवर्तन होते हैं और उनकी श्वसन क्रिया बढ़ जाती है जिससे बीजों की हानि होती हैl

4 फफूंद के आक्रमण से बीजों के वजन में भी कमी आती हैl

5. कुछ फफूद विशेष रूप से एस्पेरगिलस फ्लेक्स अपनी वृद्धि के समय बीजों में विशेष प्रकार का जहर ‘’आफ्लाटसिन’’ पैदा करते हैं l ऐसे जहर युक्त अनाज खा लेने से मनुष्य या जानवर बीमार पड़ जाता है और कभी-कभी उनकी मृत्यु हो जाती है

6. जब फफूंद युक्त बीज को किसान खेतों में बोते है तो खेतों में इनके द्वारा विभिन्न प्रकार की बीमारी उत्पन्न हो जाती हैl

7. वसा अम्लों पर प्रभाव, वसा अम्लो में बढ़ोतरी भंडारण फफूंद के द्वारा होती है जो की भंडारित बीज की गुणवत्ता को बुरी तरह से प्रभावित करती हैl

भंडारण के दौरान मुख्यरुप से हानि पहुचाने वाले कीट :

चावल का घुन

यह कीट भूरे रंग का करीब 3 मिमी लंबा होता हैl इसके शरीर का अग्र भाग नुकीला होता है l प्रोंढ मादा अनाज के दानों में छोटी सी गुहा बानाती है तथा उसमें अंडे विसर्जित करती हैंl अंडे से निकलने वाली इलिया अंदर ही अंदर दाने को खाती है इस कीट का प्रकोप सर्वप्रथम चावल पर पाया गया था किंतु अब भंडारण में गेहूं के लिए भी एक समस्या बन गया हैl

खपरा बीटल  

इस कीट की छोटी अंधकार पीले भूरे रंग का कल रंग की माला एक बार में 125 अंडे देती है जिसे रोयदार सुंडी निकलती है जो कि बिना आहार महीने भर जिंदा रह सकती हैl अनाज घुन इनके पूर्ण गहरे भूरे या काले रंग के तथा 3 मि. लंबे होते हैंl इस कीट की सुंडी व प्रोंढ दोनों अवस्थाएं अनाज को हानि पहुंचती हैl

पल्स बीटल

यह छोटा सा चौकोर आकृति के साथ-साथ अपने मुखाँगो के अग्रभाग जो की मोथरा होता है यह कीट दांनो को खाकर सीधा नुकसान तो करते ही है बल्कि वह अपनी जीवन क्रियाओ से भंडार की नमी व तापमान बढ़ाते हैं जो अनाज पर फफूंद का आक्रमण बढ़ाने में सहायक होते हैंl

नियंत्रण विधियां :-

भंडार से पूर्व

भंडारण से पूर्व फसल की की कटाई शुष्क मौसम में पूरी तरह पक जाने के बाद ही करेंl

भंडारण से पूर्व बीज तथा भंडार गृहों को साफ कर ले भंडार की दीवारें फर्श की दरारों गढ़ों को बंद कर दें दीवारों में 120 से 150 सेंटीमीटर ऊंचाई तक तारकोल पोत देना ठीक रहता हैl भंडारगृह को 10-12 किलोग्राम प्रति 1000 घन फुट के हिसाब से  ई.डी.सी.टी मिश्रण से प्रघूमन करके जिसमें छिपे हुए किट व अङे नष्ट हो जाएl

भंडारण के लिए नए बोरो या थेलियां का इस्तेमाल करें यदि पुराने बोरे उपयोग में आते हैं तो ई. डी.सी.टी मिश्रण 15 किलोग्राम प्रति 1500 बोरो के हिसाब से उपचारित करेंl

अनाज के गोदाम में रखना के पहले उसे भली-भांति सुखा ले जिससे अनाज के अंदर की नामी 8 से 10% तक हो जाएl  

अनाज को खालियान से भंडार घर तक ढोने में प्रयुक्त गाड़ी साफ सुथरी होना आवश्यक हैl

अनाज भंडारण के लिए पंजाब कृषि विश्वविधालय द्वारा विकसित पी.ए.यू कोठी और

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई द्वारा दिल्ली द्वारा विकसित पूसा कोठी के प्रयोग मे लाया जाए l

अंतरराष्ट्रीय अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) हैदराबाद  द्वारा निर्मित ट्रिपल लेयर प्लास्टिक भण्डारण बैग बहुत ही उपयोगी साबित हुआ है जो की कीट व्याधियो से सुरक्षा प्रदान करता है l

भंडार में एक हिस्सा मैलाथियन 50 ई॰सी + 25 हिस्सा पानी का एक छिड़ॅकाव करेंl

भंडारण के समय

भंडारण की दीवार एवं बोरी के ढेर अथवा दो बोरी के घेरे के बीच में निरीक्षण तथा भंडारण में हवा के संचार हेतु कम से कम 30 सें॰मी का अंतर रखना चाहिए बोरियों के ढेर की ऊपरी सतह पर छत के बीच कम से कम 60 सें॰मी॰ का अंतर आवश्यक रहना चाहिए l

बोरियों की ढेर का आकार 9X6 मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए l

भंडारगृह शुष्क एवं ठंडा रखने चाहिए जिससे कीड़े फफूंदी का प्रकोप कम हो l

गोदाम में कीड़े उड़ते हुए पाए जाएं तो भंडारगृह का प्रद्युम्न एल्युमिनियम फास्फाइड से (7 टिक्की प्रति 1000 घन फ़िट स्थान )करना चाहिए l

नीम की निंबोलियों का पाउडर का एक भाग तथा 100 भाग अनाज को मिलाकर भंडारण करें l बीज के भंडार को शुष्क एवं ठंडा रखने से कीड़े एवं फफूंदी का प्रकोप कम किया जा सकता है l बीज की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए बीज की नमी 9% व भण्डारगृह का तापमान 250C लाभकारी होता हैl

सुरक्षित नमी प्रतिशत
      फसलनमी प्रतिशत
सामान्यतःनमीरोधक पात्र
धान, गेहू, जो, ज्वार, मक्का, बाजरा128
चना, उर्द, मूंग अरहर, मसूर,सूरजमुखी9 
सरसों, तिल85
कपास106
बरसीम, लुर्सन107
फूलगोभी,मैथी75
पालक98
गाजर87
मूंगफली95
शलजम,मूली65
मिर्च, टमाटर,बैगन86
फ़सल का उचित भंडारण व प्रमुख कीट व्याधिँया

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