राज्य कृषि समाचार (State News)

कपास की फसल में कीट प्रबन्धन – आई. पी. एम. का उपयोग करें

02 मार्च 2024, खंडवा: कपास की फसल में कीट प्रबन्धन – आई. पी. एम. का उपयोग करें – मध्य प्रदेश के खंडवा कृषि महाविद्यालय द्वारा आई. पी. एम. परियोजना के तहत कृषक प्रशिक्षण का आयोजन गत 29 फरवरी को पंधाना विकासखंड के ग्राम भगवानपुरा में किया गया। वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. सतीष परसाई ने बताया कि मौसम की अनुकूल परिस्थितियों के कारण इस वर्ष कीट की अधिक समस्या रही। उन्होंने आई. पी. एम. के अंतर्गत प्रकाश प्रपंच, फीरोमोन प्रपंच, चिपचिपे प्रपंच, टी आकार की खूंटिया जैसे उपायों के कीट प्रबन्धन में उपयोग की आवश्यकता बताई।

मई में ना लगायें कपास

डाॅ. परसाई ने कृषकों से अपील कि वे कीटनाशकों का आवश्यकता अनुसार उपयोग करे तथा कीट प्रकोप का आर्थिक मानक हानि स्तर (ई. टी. एल.) आने पर ही कीटनाशकों डालें । कीटनाशक सदैव अनुशंसित मात्रा में ही प्रयोग करें, एक ही कीटनाशक के लगातार उपयोग से और कीटनाशकों के अनावश्यक मिलान से बचें। कृषकों को कपास में गुलाबी डेन्डू छेदक की पुर्नउत्पत्ति के कारणों, कीट की पहचान हानि एवं प्रबन्धन के उपायों के बारे मेें बताया गया। आपने कहा कि गुलाबी डेन्डू छेदक को सीमित रखने के संबंध में मई माह में लगाये जाने वाले कपास को अविलम्ब बन्द करने की आवश्यकता बताई। साथ ही कपास की फसल को दिसम्बर में समाप्त करने की आवश्यकता भी बताई।

कपास में कब डालें कीटनाशक

उन्होेंने कपास की 45 दिन की फसल से आरम्म कर खेतों में प्रति एकड़ दो फीरोमोन प्रपंच लगाने की सिफारिश की। डाॅ. परसाई ने कहा कि जब लगातार तीन रात तक फीरोर्मान प्रपंच में गुलाबी डेन्डू छेदक की नर पंखियाँ आवे तब खेत से बिना किसी भेदभाव के कपास के बीस हरे घेटों को चुने। यदि उनमें से दो या अधिक घेटों में गुलाबी इल्ली की उपस्थिति दिखाई दे तब कीटनाशक रसायन का छिड़काव आरम्भ करें। आरम्भ में कम विषैले एवं कम बजट के कीटनाशकों जैसे प्रोफेनोफास या कयूनालफास या क्लोरपायरीफास का चयन करें। नवम्बर माह में फसल पर जब अधिकतम घेटे हो और कीट का अधिकतम प्रकोप हो तब तेज विषैले असर वाले महंगे कीटनाशकों का उपयोग करें। ऐसे कीटनाशकों में इमामेक्टिन बेन्झोएट या स्पाइनोसेड या क्लोरानट्रिनिपाल या इण्डाकार्ब जैसे कीटनाशकों में से किसी भी रसायन का चुनाव किया जा सकता है। प्रशिक्षण में गाँव के वरिष्ठ कृषक श्री तिलक जाधव मुख्य अतिथि रहे। संचालन श्री मंगेश सोनी एवं आभार श्री मनोज चाकरे ने दिया ।

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