राज्य कृषि समाचार (State News)

कपास और मिर्च फसल में अमृतपानी व नीम तेल बेहतर विकल्प

11 सितंबर 2020, मंडलेश्वर। कपास और मिर्च फसल में अमृतपानी व नीम तेल बेहतर विकल्प निमाड़ क्षेत्र में कपास यानी सफेद सोना और मिर्च ये दो प्रमुख फसलें हैं और दोनों में ही इस वर्ष सही समय पर बरसात न होने और फिर ज्यादा बारिश के कारण कीट व बीमारी ज्यादा लग रही है. खरगोन-बड़वानी जिलों के 285 गांवों में गत 6 वर्षों से बेहतर कपास उत्पादन (बीसीआई) कार्यक्रम संचालित करने वाली संस्था निरंजनलाल अग्रवाल फाउंडेशन एवं के.के.फाइबर्स, खरगोन के प्रमुख श्री आशुतोष अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान में किसान कपास और मिर्च दोनों ही फसलों में तेला, माहो, सफ़ेद मच्छर जैसे कीटों एवं बीमारियों के आक्रमण से बहुत परेशान हैं, यह उत्पादन को प्रभावित कर सकता है, वहीं संस्था सचिव श्री प्रीतेश अग्रवाल ने बताया कि बीसीआई द्वारा किसानों को अमृत पानी और नीम तेल का उपयोग बहुतायत से कराया जा रहा है, क्योंकि नीम तेल के स्प्रे से रसचूसक कीटों का नियंत्रण एवं अमृत पानी के उपयोग से हानिकारक कीटों का प्रभाव कम होता है.

महत्वपूर्ण खबर : कृषि अध्यादेश में संशोधन के लिए किसान संघ ने ज्ञापन दिया

लाभदायक कीटों में वृद्धि के साथ ही जमीन की उर्वराशक्ति बढऩे से उत्पादन में भी वृद्धि होती है. इसके लिए अभी हमारा फील्ड स्टॉफ किसानों को फोन लगाकर, वाट्सएप ग्रुप पर वीडियोज, मैसेज और फोटो के द्वारा भी जरुरी जानकारी दे रहा है.
प्रत्येक गांव में अमृत पानी व नीम तेल का छिड़काव जैसी कम लागत वाली तकनीकी सलाह के साथ-साथ किसानों के बीच डेमो भी दिखा रहे हैं,ताकि किसान इसे देखकर बाद में स्वयं बना कर उपयोग कर सके.
परियोजना प्रबंधक श्री गौरव निखोरिया ने बताया कि अमृत पानी बनाना आसान है. इसे बनाने में प्रमुख रूप से बेसन, गुड़, गोमूत्र, गोबर, नीम और अकाव पत्ती आदि का उपयोग किया जाता है. इनका घोल बनाकर 10 से 12 दिनों के लिए छोड़ देते है. फिर ये एक जैविक कीटनाशी और टॉनिक के रूप में हमें प्राप्त होता है, जो कि सभी फसलों के लिए उपयोगी है.

Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *