Forest produce: मध्य प्रदेश में लघु वनोपजों के निर्यात के लिये मिलेगा जैविक प्रमाण-पत्र
16 फरवरी 2024, भोपाल: मध्य प्रदेश में लघु वनोपजों के निर्यात के लिये मिलेगा जैविक प्रमाण-पत्र – लघु वनोपजों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये आदिवासी बहुल जिलों को जल्द ही जैविक प्रमाण-पत्र मिलेगा। मध्य प्रदेश के वन मंत्री श्री नागरसिंह चौहान ने इसके लिये सभी औपचारिक प्रक्रियाएं पूरी करने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि तेन्दूपत्ता संग्राहकों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिये उन्हें संबल योजना में शामिल किया गया है।
तेंदूपत्ता संग्रहण से जुड़े जनजातीय परिवारों की आर्थिक सुरक्षा के लिये तेंदूपत्ता संग्रहण दर 3000 रूपये प्रति मानक बोरा से बढ़ा कर 4000 रूपये प्रति मानक बोरा कर दी गई है। वर्ष 2003 में संग्रहण दर 400 रूपये प्रति मानक बोरा थी। इस निर्णय के परिणामस्वरूप संग्राहकों को लगभग 560 करोड़ रूपये का संग्रहण पारिश्रमिक के रूप में वितरित किया गया है।
वर्तमान में लगभग 15 लाख परिवारों के 38 लाख सदस्य लघु वनोपज संग्रहण कार्य से जुड़े हैं। इनमें 50 प्रतिशत से ज्यादा जनजातीय समुदाय के हैं। उनहें बिचौलियों के शोषण से बचाने और उनकी संग्रहित लघु वनोपज का लाभ दिलाने के लिए सहकारिता का त्रिस्तरीय ढांचा बनाया गया है। इसमें प्राथमिक स्तर पर 15.2 लाख संग्रहणकर्ताओं की सदस्यता से बनायी गयी 10 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियां है। द्वितीय स्तर पर 51 जिलों में जिला स्तरीय यूनियन तथा शीर्ष स्तर पर म.प्र. राज्य लघु वनोपज संघ कार्यरत है।पिछले 10 सालों के 2000 करोड़ रुपये संग्राहकों को (बोनस) प्रोत्साहन पारिश्रमिक के रूप में दिये जा चुके हैं।
लघु वनोपज संग्राहकों को वनोपज का उचित मूल्य दिलाने हेतु राज्य शासन द्वारा 32 प्रमुख लघु वनोपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी घोषित किया गया है ताकि यदि बाजार में उचित मूल्य न हो तो संग्राहक को वनोपज का उचित मूल्य मिल सके।
लघु वनोपज संग्राहकों की आय बढ़ाने के लिये प्रसंस्करण पर भी ध्यान दिया जा रहा है तथा प्रदेश में प्रधानमंत्री वन विकास योजना के तहत 126 वनधन केन्द्रों की स्थापना की स्वीकृति दी जा चुकी है। इनमें से लगभग 70 वन धन केन्द्रों द्वारा प्रसंस्करण उत्पाद निर्माण का कार्य भी शुरू कर दिया गया है।
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