State News (राज्य कृषि समाचार)

राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे और कनाडा के पीएम महामहिम स्कॉट मो के बीच हुई बैठक

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22 फरवरी 2024, नई दिल्ली: राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे और कनाडा के पीएम महामहिम स्कॉट मो के बीच हुई बैठक – कृषि राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे और कनाडा के सस्केचेवान प्रांत के प्रधानमंत्री महामहिम स्कॉट मो के बीच बुधवार को कृषि भवन, नई दिल्ली में बैठक संपन्‍न हुई। इस बैठक का एजेंडा दालों, पोटाश, कृषि प्रौद्योगिकियों और अनुसंधान साझेदारी के सुसंगत और विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत के साथ सस्केचेवान के बीच जारी व्यापार संबंधों के बारे में चर्चा करना था।

राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे ने भारत की ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा के लिए भारत और सस्केचेवान के बीच व्यापार संबंधों के महत्व पर जोर दिया। सुश्री करंदलाजे ने इस बात का उल्लेख किया कि सस्केचेवान यूरेनियम, पोटाश, दालों, मटर, चना और अर्ध-रासायनिक लकड़ी के गूदे के उत्पादों और वस्तुओं का एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता है और भारत में दालों के आयात के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है। उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी, कृषि-तकनीक और अपशिष्ट जल उपचार के क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं का पता लगाने पर जोर दिया तथा भारत और सस्केचेवान के बीच नियमित तकनीकी समूह की बैठकों के माध्यम से टिकाऊ कृषि के क्षेत्र में ज्ञान के आदान-प्रदान, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को मजबूत बनाने का प्रस्ताव रखा।

महामहिम श्री स्कॉट मो ने इस बात का उल्लेख किया कि भारत-सस्केचेवान संबंध मजबूत हुए हैं और सस्केचेवान भागीदार देशों को ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा हासिल करने में मदद कर रहा है। महामहिम श्री स्कॉट मो ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कृषि-खाद्य उत्पादन प्रणाली को आगे बढ़ाने, टिकाऊ कृषि-खाद्य उत्पादों, नवाचार को साझा करने और प्राकृतिक संसाधनों को विकसित करने के महत्व को भी रेखांकित किया। इसके अलावा उन्होंने टिकाऊ कृषि, कैनोला और गेहूं जैसी फसलों के कार्बन फुटप्रिंट के बारे में तुलनात्मक विश्लेषण और बेंचमार्क अध्ययन के लिए ग्लोबल इंस्टीट्यूट फॉर फूड सिक्योरिटी (जीआईएफएस) के महत्व पर जोर दिया और भारत के साथ प्रौद्योगिकियों और सर्वोत्तम टिकाऊ उत्पादन प्रथाओं को साझा करने की इच्छा व्यक्त की। महामहिम श्री स्कॉट मो ने तकनीकी समूह की बैठकों के माध्यम से भारत और सस्केचेवान के बीच सहयोग के क्षेत्रों, ज्ञान के आदान-प्रदान और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बारे में चर्चा करने और संभावनाओं का पता लगाने पर सहमति प्रकट की।

दोनों पक्षों ने आपसी संबंधों को मजबूत बनाने के लिए चर्चा में निरंतरता और नियमित संवाद का समर्थन किया।

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