राज्य कृषि समाचार (State News)

उदयपुर कृषि विश्वविद्यालय की अनुसंधान परिषद की बैठक हुई

17 अप्रैल 2024, उदयपुर: उदयपुर कृषि विश्वविद्यालय की अनुसंधान परिषद की बैठक हुई – महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर की अनुसंधान परिषद् की बीसवीं बैठक सोमवार 15 अप्रेल, 2024 को अनुसंधान निदेशालय में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक की अध्यक्षता में आयोजित की गई।

इस अवसर पर डॉ. कर्नाटक ने कहा कि उदयपुर विश्वविद्यालय कृषि अनुसंधान में अग्रणी है। संस्थान ने मक्का, मूंगफली एवं अफीम की उन्नत नई किस्मों का विकास के साथ राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार प्राप्त किये एवं विभिन्न संस्थानों से एमओयू किये। डॉ.कर्नाटक ने कहा कि अनुसंधान परियोजनाओं के तकनीकी कार्यक्रम को राष्ट्रीय लक्ष्य को आधार मानते हुए करनी चाहिए एवं हर अनुसंधान का परोक्ष व अपरोक्ष लाभ राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, आधारभूत संरचनाओं, मांग आपूर्ति व कृषक जगत को सुदृढ़ करने में होना चाहिए। माननीय कुलपति महोदय ने बैठक विशेष आमंत्रित विशेषज्ञ डॉ एस. के. शर्मा, सहायक महानिदेशक (मानव संसाधन) भा.कृ.अ.प., नई दिल्ली एवं डॉ. प्रभात कुमार, उद्यानिकी आयुक्त, भारत सरकार, नई दिल्ली का स्वागत किया।

इस अवसर पर डॉ. एस. के. शर्मा, सहायक महानिदेशक (मानव संसाधन) भा.कृ.अ.प., नई दिल्ली ने कहा कि विश्वविद्यालय को अपने अन्तर्गत क्षेत्र के विशिष्ट कृषि उत्पादों के विकास व मूल्य संवर्धन पर विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है जिससे क्षेत्र, उत्पाद के साथ-साथ विश्वविद्यालय की ख्याति पूरे विश्व में बढ़ेगी। साथ ही उन्होेंने कहा कि विश्वविद्यालय को अपने अनुसंधान परिणामों को FPO व अन्य समुहों के माध्यम से प्रसारित करने चाहिए जिससे उन्हें शाश्वत रूप से समाज व कृषकों के मध्य सजीव रख सके। उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय के हर फार्म पर प्रजनक बीज का ही उत्पादन करना चाहिए जिससे विश्वविद्यालय का राजस्व बढ़ेगा। साथ ही डाॅ. शर्मा ने विकसित भारत 2047 को ध्यान में रखते हुए जल उपयोग क्षमता, नवीनीकरणीय ऊर्जा उपयोग क्षमता, मक्का से ईथेनोल बनाने के साथ कम उपजाऊ भूमि को उपजाऊ बनाने पर जोर दिया।

बैठक में आमंत्रित डॉ. प्रभात कुमार, उद्यानिकी आयुक्त, भारत सरकार, नई दिल्ली ने कहा कि वर्तमान जलवायु परिवर्तन एक प्रमुख समस्या है जो अन्य फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन आदि को प्रभावित कर रही है। जलवायु परिवर्तन के लिए तापमान प्रबंधन व मृदा में कार्बन स्तर में वृद्धि जैसे बिन्दुओं को ध्यान में रखना चाहिए। जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान आकर्षण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समेकित कृषि प्रणाली माॅडल अनाज फसल आधारित न होकर उद्यानिकी फसल व पशु पालन आधारित होने चाहिए जिससे कि कृषकों को अधिक आय प्राप्त हो सके। साथ ही उन्होंने फसल बुवाई से लेकर मूल्य संवर्धन तक यांत्रिकीकरण की महती आवश्यकता बताया। उन्होंने कहा कि समेकित प्रणाली में उद्यानिकी फसलों , विदेशी मशरूम खेती को सम्मिलित करना चाहिए और बाजार स्थिति को देखते हुए मशरूम खेती को वर्षभर करने की सलाह दी। डॉ. प्रभात ने स्थानीय सब्जियों पर उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना पर जोर दिया साथ ही शस्य वानिकी फसलों पर कार्य करने पर जोर दिया।

बैठक के प्रारम्भ में अनुसंधान निदेशक डॉ.अरविन्द वर्मा ने स्वागत किया एवं विगत बैठक में लिये गये निर्णयों की अनुपालना रिपोर्ट एवं विश्वविद्यालय के कृषि अनुसंधान पर रिपोर्ट प्रस्तुत की। कृषि अनुसंधान केन्द्र, उदयपुर एवं बांसवाड़ा के क्षेत्रीय निदेशक द्वय डॉ. अमित त्रिवेदी, डॉ. हरगिलास मीणा ने अपने क्षेत्र में किये जा रहे अनुसंधान कार्यों एवं परिणामों पर प्रस्तुतीकरण दिया।

बैठक में विश्वविद्यालय के निदेशक, सभी संघटक महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्रों के निदेशक व कृषि विज्ञान केन्द्र, वरिष्ठ वैज्ञानिक, कृषि विभाग राजस्थान सरकार के अधिकारी उपस्थित थे।

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