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जियो लाइफ ने दिखाई पोषणयुक्त और विषमुक्त खेती की राह

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पोषण संवेदनशील खेती पर वेबिनार संपन्न

29 मार्च 2024, इंदौर: जियो लाइफ ने दिखाई पोषणयुक्त और विषमुक्त खेती की राह – कृषक जगत किसान सत्र के अंतर्गत राष्ट्रीय कृषि अखबार कृषक जगत एवं जियो लाइफ एग्रीटेक इंडिया प्रा. लि. के संयुक्त तत्वावधान में ‘पोषण संवेदनशील खेती’ विषय पर गत दिनों ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता श्री विनोद लाहोटी, सीएमडी एवं सुश्री निधि लाहोटी, डायरेक्टर (एनपीडी) जियो लाइफ ग्रुप ने पोषण संवेदनशील खेती विषय पर चर्चा की। चर्चा का विषय पोषणयुक्त और विषमुक्त खेती पर केंद्रित था। इस मौके पर श्री एके सिंह गौर,एनएमएम भी मौजूद रहे। इस वेबिनार में बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए, जिनमें मध्यप्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश और उड़ीसा के किसान भी थे। वेबिनार में वक्ताओं द्वारा किसानों के सवालों का समाधानकारक जवाब दिया गया। कृषि ज्ञान प्रतियोगिता के तीन विजेताओं को जियो लाइफ का उत्पाद पुरस्कार में देने की घोषणा की गई। वेबिनार का संचालन कृषक जगत के संचालक श्री सचिन बोंद्रिया ने किया।

जियो का अर्थ है धरती और लाइफ यानी प्राण

श्री लाहोटी ने जियोलाइफ़ का अर्थ बताते हुए कहा कि जियो का अर्थ है धरती और लाइफ यानी प्राण। गत 30-40 सालों से खेती में रासायनिक खाद/दवाई का अधिक प्रयोग होने से जमीन की उर्वराशक्ति और उत्पादन दोनों कम हो गया है। पर्यावरण प्रदूषण से हवा, पानी, अनाज सब ज़हरीले हो गए हैं। हमने 1973 में कृषि व्यवसाय के क्षेत्र में कदम रखा, जिसे 50 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। 2000 में विषमुक्त खेती पर अनुसंधान शुरू किया गया। 2008 में जियोलाइफ़ कम्पनी चालू की गई। देश के 22 राज्यों के अलावा विश्व के 30 देशों में हमारे उत्पाद भेजे जाते हैं। देश में  सबसे पहले नैनो तकनीक को लाने का श्रेय हमारी कम्पनी को ही जाता है। पुणे के अनुसंधान केंद्र में हाइड्रोपोनिक, विट्रो ट्रे, पॉट ट्रायल और फील्ड ट्रायल के गहन शोध के बाद आधुनिक तरीके से यहाँ के कारखाने में उत्पाद तैयार किए जाते हैं। हमारे यहां जीवाणुओं के अलावा वृक्ष आयुर्वेद पर भी अनुसंधान किए जाते हैं। हमारा उद्देश्य पोषण युक्त और विष मुक्त खेती के माध्यम से मानव के लिए सात्विक अनाज उपलब्ध कराने के साथ -साथ धरती का स्वास्थ्य भी सुधारना है।

पोषण की जरूरत न केवल मानव को बल्कि पौधों को भी

सुश्री निधि ने दृश्य-श्रव्य माध्यम से अपनी बात रखते हुए कहा कि पोषण की जरूरत न केवल मानव को बल्कि पौधों को भी होती है। आवश्यक तत्व पोषण ऊर्जा के स्रोत हैं, लेकिन सटीक पोषण दोनों को नहीं मिल रहा है। देश की तेज़ गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का बड़ा योगदान है, लेकिन यह विडंबना है कि भारत की एक तिहाई जनसंख्या को मिलने वाले अनाज से सही पोषण नहीं मिल रहा है। यूएन के एक अध्ययन के अनुसार सब्जियों में लेड, निकल और  केडमियम जैसे कैंसर कारक तत्व सुरक्षित स्तर से बहुत ज़्यादा होने से कैंसर रोगी बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण पर भी दुष्प्रभाव बढ़ रहा है। मिट्टी, जल और  वायु भी प्रदूषित हो रही है। खेती में अपेक्षित उत्पादन नहीं मिल रहा है, रोग नियंत्रण से लागत बढ़ रही है। कम लागत में अच्छी फसल और स्वस्थ जीवन के लिए पोषणयुक्त और विषमुक्त खेती की अवधारणा को लेकर जियोलाइफ़ ने पहल की है और कई लाभकारी उत्पाद बनाए हैं।

पौधों को हर अवस्था में अलग-अलग तत्वों की जरूरत

सुश्री लाहोटी ने कहा कि अच्छी फसल के लिए पौधों को हर अवस्था में अलग-अलग तत्वों की जरूरत होती है, जिनको सही समय, सही तरीका, सही मात्रा और सही प्रक्रिया से डालें तो अच्छे नतीजे मिलते हैं। जियोलाइफ़ ने अपने 15 साल के अनुसंधान के बाद सभी फसलों के लिए  एक संतुलित पूर्ण पोषण पैकेज में एक ही पैकेट में उपलब्ध कराया है, जिसमें 5 प्रोडक्ट हैं। इसके प्रयोग से उत्पादन में 30-100  प्रतिशत की वृद्धि  देखी गई है। तेलंगाना में मूंगफली की फसल में 100-120 बेग/एकड़ के उत्पादन के साथ रोगमुक्त मूंगफली के आकार, तेल के प्रतिशत और स्वाद में भी वृद्धि हुई।

विषमुक्त खेती के तहत इन उत्पादों के प्रयोग से जहाँ पौधा पोषण युक्त होगा, वहीं अनाज विष मुक्त होगा। मिट्टी के स्वास्थ्य में भी सुधार होगा। पौधों का  स्व जीवन और प्रतिरोध बढ़ेगा तो अच्छा उत्पादन होगा। लागत कम होगी तो कृषि लाभगत हो जाएगी। श्री लाहोटी ने कहा कि पौधे की पांच चरणों की अवस्था के लिए यह उत्पाद सिर्फ एक एकड़ में प्रयोग करें और शेष में अन्य डालें। चमत्कारिक परिणाम सामने आएँगे। हमारा उद्देश्य है कि पूरे समाज को पोषणयुक्त और विषमुक्त अनाज मिले।

प्रश्नोत्तरी

डॉ. योगेंद्र कौशिक अजड़ावदा (उज्जैन) ने पूछा कि गौ आधारित खेती के तहत क्या प्राकृतिक खेती में मिट्टी और मानव स्वास्थ्य के लिए ऐसे प्रयास हो सकते हैं कि किसानों को बहुत कम आदान लेना पड़े? श्री लाहोटी ने ज़वाब दिया कि हम खुद गौ आधारित खेती को इसे प्रोत्साहित करते हैं। हमारा एडवांस  उत्पाद हर्बल पुनाब जल जीवामृत से भी अच्छा है, जो खेतों में उगने वाले खरपतवार आदि मिलाकर बनाया जाता है। श्री सुशील पाटीदार, मंदसौर ने पूछा कि किस तत्व की कमी के कारण कीट पौधों की ओर आकर्षित होते हैं ? सुश्री लाहोटी ने कहा कि पौधे कीटों का भोजन है। जब तक पौधों में सुरक्षा दीवार नहीं होगी, कीट भोजन। यदि कम्पनी उत्पाद टेबसिल का प्रयोग करेंगे, तो पौधे की  आंतरिक सुरक्षा दीवार के कारण कीट आकर्षित नहीं होंगे, यदि हुए भी तो वे काम नहीं कर सकेंगे। श्री पाटीदार का दूसरा सवाल था कि अफीम उत्पादक क्षेत्र मंदसौर जिले में यलो मोजेक वायरस का हमला हुआ है, क्या इसे लेकर कोई रिसर्च हुई है। श्री गौर ने पूरी जानकारी देने की बात कही। श्रीमती आशालता पाठक, भोपाल, ने पूछा कि रिसर्च ट्रायल और फील्ड के ट्रायल में क्या फर्क आता है? और क्या यह ग्रीन हाउस में सही काम करता है? श्री लाहोटी ने जवाब दिया कि लैब में चार स्तरों पर अनुसंधान किया जाता है, उनके नतीजों के आधार पर हमारे रिसर्च फार्म में दो सीजन परीक्षण करते हैं। इसके बाद फार्मर फील्ड किया जाता है। वहां के अनुकूल नतीजों के बाद उत्पाद को व्यावसायिक रूप से बाजार में उतारा जाता है। हमारे उत्पाद ग्रीन हाऊस में भी वही काम करते हैं। आप इनकी अनुशंसा कर सकती हैं। श्री मिलिंद पाटीदार, बड़वानी ने पूछा कि क्षेत्र की मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन बहुत कम है ? हल्की  मिट्टी होने से उत्पादन कम होता है। कार्बन प्रोडक्ट का कितनी आवृत्ति में उसे उपयोग करें कि ऑर्गेनिक कार्बन बढ़ा पाएं। श्री लाहोटी ने कहा कि कार्बन दिनोंदिन कम होता जा रहा है। इसके लिए बेक्टेरिया की जनसंख्या बढ़ाना जरूरी है। हमारे उत्पाद बेक्टोगैंग में 24 प्रकार के बेक्टेरिया हैं और एक एमएल में 50 करोड़ बेक्टेरिया हैं। एक एकड़ में आधा लीटर की अनुशंसा की जाती है। इस तरह 25 हजार करोड़ बैक्टेरिया सक्रिय हो जाते हैं। 15 दिन में नतीजे आ जाते हैं।  श्री राजेंद्र गौर, हरदा ने जायद मूंग फसल में अंधाधुंध कीटनाशकों के प्रयोग पर चिंता व्यक्त की। जिस पर श्री लाहोटी ने सहमति जताई और कहा कि इसके लिए पूरा पैकेज विकसित करना होगा। जैविक खेती को अपनाना पड़ेगा, तभी  सही अनाज नई पीढ़ी को दे पाएंगे। इसके अलावा श्री अनिल कुमार शर्मा अलवर,श्री विमल पटेल पिपरई (अशोकनगर) ने भी अपने विचार रखे।

कृषि ज्ञान प्रतियोगिता

इसमें तीन प्रश्न पूछे गए थे जिनका श्री मोहन अगल्चा, तलवाड़ा बुजुर्ग (बड़वानी), श्री सिद्धार्थ पटेल, गुसाईगंज,अयोध्या और श्री के. एस. पात्रा, गंजम (उड़ीसा) ने सही और सटीक उत्तर देकर विजेता बने। विजेताओं को जियोलाइफ़ की ओर से कम्पनी उत्पाद ‘प्रवक्ता किसान किट’ देने की घोषणा की गई।

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