कृषि फसलों की लागत कम करने पर जोर दिया जाना चाहिए : डॉ. शर्मा
छत्तीसगढ़ में कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की समीक्षा बैठक हुई
07 फरवरी 2024, रायपुर: कृषि फसलों की लागत कम करने पर जोर दिया जाना चाहिए : डॉ. शर्मा – इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में आज यहां भारत के पांच पूर्वी राज्यों – छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, तथा बिहार में भारत के पूर्वी राज्यों की खरीफ फसलों की लागत एवं समर्थन मूल्य निर्धारण के लिए क्षेत्रीय बैठक आयोजित की गई। कार्यक्रम में भारत सरकार के कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के अध्यक्ष डॉ. विजय पाल शर्मा उपस्थित थे l अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने की। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ कृषि विभाग की संचालक डॉ. चंदन संजय त्रिपाठी, आयोग के सदस्य सचिव डॉ. अनुपम मित्रा तथा आयोग के सदस्य द्वय डॉ. एन.पी. सिंह तथा आर.एल. डागा, विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी, कृषि महाविद्यालय, रायपुर के अधिष्ठाता डॉ. जी.के. दास सहित बैठक में पांच पूर्वी राज्यों छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, तथा बिहार के कृषि लागत से जुडे़ अर्थशास्त्रियों और नोडल अधिकारी तथा छत्तीसगढ़ राज्य के प्रगतिशील कृषक उपस्थित थे।
आयोग के अध्यक्ष डॉ. विजय पाल शर्मा ने कहा कि हमारा देश आज अनाज वाली फसलों जैसे – धान एवं गेहूँ का आवश्यकता से अधिक उत्पादन कर रहा है तथा अब इनके भंडारण में समस्या आ रही है जबकि दूसरी ओर दलहन और तिलहन फसलों के उत्पादन में वृद्धि के बावजूद देश अब भी आत्म निर्भर नहीं हो पाया है। अतः हमें फसल विविधिकरण को अपनाते हुए अनाज फसलों की बजाय दलहन एवं तिलहन फसलों के उत्पादन पर अधिक ध्यान देना होगा।
बैठक में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कहा कि फसल विविधिकरण में मूल्य संवर्धन को ध्यान में रखना चाहिए जैसे चावल की पोषकता और चावल की उच्च गुणवत्ता को ध्यान में रखकर उपार्जन मूल्य मिलना चाहिए। संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी ने छत्तीसगढ़ की ज्वलंत समस्या चोरी और चराई को बताते हुए कहा कि इस के समाधान के लिए सामुदायिक रूप से प्रयास किये जाने चाहिए। कृषि महाविद्यालय, रायपुर के अधिष्ठाता डॉ. जी.के. दास ने छत्तीसगढ़ में फसलों की व्यवहारिक लागत आकलन हेतु ध्यान आकृष्ट किया। बैठक में पांच पूर्वी राज्यों छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, तथा बिहार के कृषि लागत से जुडे़ अर्थशास्त्रियों और नोडल अधिकारियों ने विचार व्यक्त किये ।
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