State News (राज्य कृषि समाचार)

विश्व पर्यावरण दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

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06 जून 2023, देवास: विश्व पर्यावरण दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित – कृषि विज्ञान केन्द्र, देवास में विश्व पर्यावरण दिवस(5 जून ) पर ‘मिशन लाइफ स्टाईल फॉर इनवायरनमेंट ‘के तहत जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. ए.के.बड़ाया और अन्य वैज्ञानिकों ने किसानों को पर्यावरण की रक्षा को लेकर विभिन बिंदुओं पर सम्बोधित किया गया। इस कार्यक्रम में करीब 104 किसान भाई एवं कृषक महिलाएं उपस्थित थीं ।

डॉ बड़ाया ने कहा कि पौधे और पेड़ हवा, भोजन के साथ-साथ हमारे द्वारा उपयोग किए जाने वाले अन्य दैनिक उत्पादों के आवश्यक स्रोत हैं। अतः अधिक पेड़ लगाएं जिससे प्रकृति का संतुलन बनाया रखा जा सके। ग्लोबल वार्मिंग, मरीन प्रदूषण के बढ़ते खतरे और बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करें, ताकि पर्यावरण सुरक्षित रखा जा सके। डॉ. निशीथ गुप्ता ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की शुरूआत घर से ही करें। हमारे घर से निकले हुए कचरे को यथा स्थान पर ही डालने का संकल्प लें ,क्योंकि यही फैलकर प्रदूषण फैलाता है। डॉ. महेन्द्र सिंह ने बताया कि प्राकृतिक नॉन रिन्यूवेवल स्त्रोतों का उचित उपयोग किया जाना चाहिए एवं वनों की कटाई को रोका जाना चाहिए जिससे भूमि क्षरण से बचा जा सके। डॉ. मनीष कुमार ने प्रदूषण और जनसंख्या को नियंत्रित कर पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली अपनाने पर ज़ोर दिया । डॉ.लक्ष्मी ने कहा कि अंधाधुंध पेड़-पौधों की कटाई के कारण ऑक्सीजन की कमी हो रही है ,मौसम चक्र भी बिगड़ रहा है। प्राकृतिक आपदाओं का प्रकोप हो रहा है। अतः हर वर्ष एक पौधा लगाकर अपने व्यक्तित्व को निखारें।

श्रीमती नीरजा पटेल ने इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की 2023 की थीम ‘‘प्लास्टिक प्रदूषण का समाधान’’ के अंतर्गत प्लास्टिक या पॉलीथीन से प्रकृति को होने वाले नुकसान और प्रदूषण को देखते हुए प्लास्टिक या पॉलीथीन का उपयोग जीवन में नहीं करने और विकल्प में पेपर बैग या कपड़े के बने बैग का उपयोग करने की अपील की। श्रीमती अंकिता पाण्डेय ने वातावरण को शुद्ध और सुरक्षित रखने में सहायक पेड़, पौधे, धरती, मृदा, जीव-जन्तु और जल के महत्व और मिट्टी के कटाव , बढ़ नियंत्रण में योगदान का उल्लेख किया। डॉ. सविता कुमारी ने घरों से निकले हुए कचरे को विभिन्न तकनीकी से रिसायक्लिंग कर, सूखे और गीले कचरे को अलग कर पुनः उपयोग कर जीवामृत, बीजामृत, केंचुआ खाद आदि बनाकर भूमि सुधार कार्यक्रम में अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।कार्यक्रम के उपरांत केन्द्र परिसर में विभिन्न प्रकार के पौधे लगाकर पर्यावरण को सुरक्षित करने की शपथ दिलाई गई।

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