यूरिया का उपयोग कम करने पर जोर दिया कृषि वैज्ञानिकों ने
13 अगस्त 2021, रायपुर । यूरिया का उपयोग कम करने पर जोर दिया कृषि वैज्ञानिकों ने – आजादी के 75 वर्षों में भारत की प्रगति एवं उपलब्धियों को उत्सव के रूप में सबके सामने लाने के लिए केन्द्र सरकार के सभी विभागों में ‘‘आजादी का अमृत महोत्सव‘‘ के अंतर्गत विभिन्न आयोजन किये जा रहे है। इसी श्रृखंला में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में संचालित मृदा परिक्षण एवं फसल अनुक्रिया सहसंबंध पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना द्वारा कृषकों एवं कृषि वैज्ञानिकों के मध्य ई-गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा में प्रदेश के कवर्धा, अंबिकापुर एवं कोण्डागांव के कृषकों और वैज्ञानिकों के मध्य मृदा स्वास्थ एवं मृदा परीक्षण आधारित उर्वरक प्रबंधन विषय पर चर्चा हुई।
परियोजना के समन्वयक, डॉ. प्रदीप डे, प्रमुख वैज्ञानिक, भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल, के मार्गदर्शन में आयोजित इस ई-गोष्ठी के मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. आर.के. बाजपेयी थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि महाविद्यालय, रायपुर के मृदा विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष, डॉ. के. टेडिया, ने की। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. आर.के. बाजपेई ने पर्यावरण आधारित संतुलित उर्वरक प्रबंधन हेतु राज्य की नरवा-गरवा-घुरवा-बाड़ी योजना द्वारा बनाई जा रही वर्मीकंम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट का उर्वरक प्रबंधन में उपयोग करने एवं नत्रजन प्रबंधन हेतु यूरिया के उपयोग में कमी लाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अनावश्यक रासायनिक उर्वरकों का उपयोग मृदा स्वास्थ पर गंभीर असर डालता है। इसे जैविक खादों के उपयोग से सुधारा जा सकता है। कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ के. टेडिया ने संतुलित उर्वरक हेतु मृदा परीक्षण आधारित उर्वरक प्रबंधन के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरक महंगे होते जा रहे हैं, इनके अनावश्यक उपयोग कर कृषक आर्थिक बचत कर सकते हैं। कार्यक्रम में मृदा विज्ञान विभाग के प्राध्यापक, डॉ वी.एन. मिश्रा द्वारा कृषकों की मृदा परीक्षण आधारित उर्वरक प्रबंधन की विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। परिचर्चा में परियोजना प्रभारी डॉ एल. के. श्रीवास्तव द्वारा कृषकों को फसल उत्पादन एवं उर्वरक प्रबंधन पर उनके विभिन्न जिज्ञासाओं और समस्याओं के समाधान बताए गये।
ई-गोष्ठी में वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ राकेश बनवासी, वैज्ञानिक तथा डॉ रविन्द्र कुमार तिग्गा, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रभारी कृषि विज्ञान केन्द्र, अंबिकापुर, डॉ. बी.पी. त्रिपाठी वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रभारी कृषि विज्ञान केन्द्र कवर्धा, तथां डॉ. ओमप्रकाश, प्रभारी कृषि विज्ञान केन्द्र कोण्डागांव अपने सहयोगी वैज्ञानिकों के साथ गोष्ठी में शामिल हुए। परिचर्चा में कोण्डागांव से लगभग 30, अंबिकापुर से 21 तथा कवर्धा से 10 किसान सम्मिलित हुये। परिचर्चा में उपस्थित विभिन्न जिलों के कृषकों द्वारा मृदा स्वास्थ एवं उर्वरक प्रबंधन पर वैज्ञानिकों के साथ चर्चा की गई। कृषकों एवं वैज्ञानिकों के मध्य इस परिचर्चा का संचालन डॉ राकेश बनवासी, वैज्ञानिक, मृदा विज्ञान विभाग द्वारा किया गया।