State News (राज्य कृषि समाचार)

उदयपुर में मक्का पर फॉल आर्मीवार्म प्रबंधन पर किसानों को सलाह

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28 सितम्बर 2023, उदयपुर: उदयपुर में मक्का पर फॉल आर्मीवार्म प्रबंधन पर किसानों को सलाह – आई.सी.ए.आर. – एन.सी.आई.पी.एम. व विद्या भवन कृषि विज्ञान केन्द्र, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र झाडोल ब्लॉक (उदयपुर) के खैराड़ गांव में गत  26 सितम्बर 2023 को मक्का में समेकित नाशीजीव प्रबंधन पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। जिसमें एन.सी.आई.पी.एम के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. मुकेश सहगल, वैज्ञानिक डॉ. मुकेश खोखर व डॉ. अनूप ने किसानो को सम्बोधित किया।

वर्तमान में मक्का में फॉल आर्मीवार्म एक विनाशकारी एवं खतरनाक कीट के रूप में उभर कर आया है। जिसने किसानो की फसलो में विगत वर्षो में काफी नुकसान पहुँचाया है। इस दिशा में आई.सी.ए.आर.- एन.सी.आई.पी.एम. व केवीके, बड़गांव ने मक्का में समेकित नाशीजीव प्रबंधन के तहत् 100 किसानों के खेतों पर प्रदर्शन लगाया। फॉल आर्मीवार्म एक बहुभक्षी कीट है और कीटनाशकों के अंधाधुंध, अविवेकपूर्ण व लगातार प्रयोग से इस कीट का प्रबंधन मुश्किल हो रहा है। इसलिये इस परियोजना के तहत् फॉल आर्मीवार्म के समन्वित प्रबंधन पर जोर दिया जा रहा है, ताकि मानव स्वास्थ्य व वातावरण प्रदूषित न हो और लाभदायक कीटो की संख्या में वृद्धि हो।

इस परियोजना के तहत् किसानो को गहरी जुताई, अन्तराशस्य, फेरामोन ट्रैप , टी (अड्डे), छलावा फसल (नेपियर घास), उर्वरको का संतुलित प्रयोग, ट्राईकोग्रामा (अण्ड परजीवी), नीम ऑयल, जैविक कीटनाशकों का प्रयोग व कीटों के आर्थिक हानिस्तर पर रसायनो का संतुलित प्रयोग आदि के समेकित उपयोग कर प्रबंधन के प्रदर्शन लगाये गये। डॉ. सहगल ने बताया कि यह कीट बहुत पुराना नहीं है यदि समय रहते इस कीट को समेकित तरीके से प्रबंधन कर लिया जावे तो काफी हद तक मक्का की फसल में हो रहे नुकसान से बचा जा सकता है। उन्होंने देशभर में एन.सी.आई.पी.एम. द्वारा चलाये जा रही परियोजना व फसलो में विभिन्न आई.पी.एम.मॉडल के बारे में विस्तार से बताया। डॉ. खोखर ने मक्का की फसल में विभिन्न बीमारियों व उनकी समेकित रोकथाम के बारे मे बताया। डॉ. अनूप ने मक्का में कीटों के द्वारा क्षति के आकलन व प्रबंधन पर जोर दिया। डॉ. दीपक जैन, विषय विशेषज्ञ पौध संरक्षण, केवीके, उदयपुर जो कि उदयपुर में इस परियोजना का क्रियान्वयन कर रहे है उन्होने बताया कि यदि समय बुवाई तथा शुरूआत में कीट की पहचान व लक्षण दिखाई देते ही समेकित प्रबंधन किया जाये तो फसल में लागत भी कम होगी तथा लाभदायक कीटो की संख्या में भी वृद्धि होगी व पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। डॉ. जैन ने फॉल आर्मीवार्म की पूर्ण जीवनचक्र व पहचान के बारे में भी समझाया। प्रक्षेत्र दिवस में 180 कृषक व कृषक महिलाओं ने भाग लिया। श्री दिनेश व गांव के प्रगतिशील किसान हीरालाल पटेल ने मक्का में फॉल आर्मीवार्म के प्रबंधन हेतु चल रही इस परियोजना से हो रहे फायदे के बारे में बताया। अंत में एन.सी.आई.पी.एम. (उपजनजाति) परियोजना के तहत् किसानों की आय वृद्धि व समन्वित कीट प्रबंधन हेतु उन्नत किस्म के विभिन्न सब्जियों के बीजो, रोप व फेरामोन ट्रेप, जैविक कीटनाशको का भी वितरण किया गया।     

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