किसान संगठनों के समूह ने किया कृषि महाविद्यालय की ज़मीन बेचने का विरोध
12 अगस्त 2022, इंदौर: किसान संगठनों के समूह ने किया कृषि महाविद्यालय की ज़मीन बेचने का विरोध – किसान संगठनों के समूह अ भा किसान संघर्ष समन्वय के साथियों ने इंदौर की ऐतिहासिक धरोहर कृषि महाविद्यालय की 147 हेक्टेयर भूमि को बेचने के सरकारी प्रयासों का विरोध किया है। इंदौर में आयोजित जय जवान, जय किसान सम्मेलन में इस बात को प्रमुखता से रखकर कहा गया कि यदि सरकार ने हठधर्मिता दिखाई तो किसानों द्वारा इसका पूरी ताकत के साथ विरोध किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ दिनों से इंदौर जिला प्रशासन द्वारा कृषि महाविद्यालय की अनुसन्धान वाली ज़मीन को अन्य प्रयोजन के लिए लेने की कवायद की जा रही है। जिसका कृषि के वर्तमान और पूर्व छात्रों द्वारा सतत विरोध किया जा रहा है। इसी क्रम में अ भा किसान संघर्ष समन्वय के साथियों मेघा पाटकर, नर्मदा बचाओ आंदोलन,डॉ सुनीलम , किसान संघर्ष समिति ,श्री सत्यवान,अ भा किसान खेत मजदूर संघटना , श्री अविक शाह, जय किसान आंदोलन ,कामरेड श्री हनन मौला और श्री अशोक ढवले, अ भा किसान सभा और श्री प्रेमसिंह गेहलावत, अ भा महासभा ने विरोध करते हुए सरकार को चेताया है कि इंदौर की ऐतिहासिक धरोहर कृषि महाविद्यालय की भूमि को बेचना कतई मंज़ूर नहीं है। यह कॉलेज 500 से अधिक विद्यार्थियों को कृषि की शिक्षा दे रहा है। इसके अलावा यहां जैविक खेती,विविध ज्वार प्रयोग,कपास, सूरजमुखी आदि फसलों पर शोध कार्य भी हो रहे हैं। ऐसी महत्वपूर्ण भूमि को सघन वन के नाम पर बेचने की कोशिश की जा रही है , जबकि यह क्षेत्र 300 सालों से ऑक्सीज़ोन बना हुआ है। दरअसल शासन/प्रशासन इस 147 हे ज़मीन को बेचकर मॉल्स /होटल जैसा कार्य करना चाह रहे हैं, जो मंज़ूर नहीं है। यह कृषि महाविद्यालय युवाओं,किसानों, मज़दूरों की आजीविका का प्रमुख आधार है। सरकार इसकी कृषि भूमि को बिकाऊ मानकर बेचना बंद करें। यदि सरकार अपना फैसला थोपती है, तो किसानों द्वारा पूरी ताकत के साथ इसका विरोध किया जाएगा।
अभाविप का हस्ताक्षर अभियान – दूसरी ओर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इंदौर के कृषि महाविद्यालय की भूमि को बचाने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया है, जिसमें छात्रों,खिलाड़ियों और आम नागरिकों द्वारा हस्ताक्षर किये जा रहे हैं। इस हस्ताक्षर अभियान को अच्छा जन समर्थन मिल रहा है।
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