National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

अंतरिक्ष विज्ञान के माध्यम से कृषि क्षेत्र में आएगी क्रांति : श्री तोमर

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आरआईसैट व वेदास का उपयोग कर कृषि-निर्णय समर्थन प्रणाली विकसित करने पर एमओयू

18 दिसम्बर 2022, नई दिल्ली ।  अंतरिक्ष विज्ञान के माध्यम से कृषि क्षेत्र में आएगी क्रांति : श्री तोमर  – केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान व प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, एमओएस पीएमओ; पीपी/डीओपीटी; परमाणु ऊर्जा व अंतरिक्ष, डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में आरआईएसएटी (रिसैट)-1ए उपग्रह के डेटा उत्पाद और सेवाओं को राष्ट्र को समर्पित किया। इस दौरान आरआईसैट व वेदास का उपयोग कर कृषि-निर्णय समर्थन प्रणाली विकसित करने पर कृषि व अंतरिक्ष विभाग के बीच एमओयू साइन हुआ। कार्यक्रम के हिस्से के रूप में इसरो द्वारा तकनीकी कार्यशाला भी आयोजित की गई, जिसमें यूजर समुदाय के लाभ के लिए आरआईसैट-1ए डेटा का उपयोग करके केस स्टडी और संभावित एप्लीकेशन्स का प्रदर्शन किया गया।

इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि आज कृषि के क्षेत्र में एक नया आयाम जुड़ रहा है। अंतरिक्ष विज्ञान के माध्यम से कृषि क्षेत्र में क्रांति का सूत्रपात हो रहा है। कृषि और अंतरिक्ष विभाग के बीच हुआ समझौता कृषि क्षेत्र की ताकत को और बढ़ाएगा। किसानों तक यह ज्ञान पहुंचेगा तो उनका उत्पादन और उत्पादकता बढ़ेगी। उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ेगी और एक्सपोर्ट के अवसर बढ़ेंगे।

कार्यक्रम में मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में पिछले आठ वर्षों में प्रमुख उपलब्धि रही कि विज्ञान को दो स्तर पर उपयोग में लाया जाए। पहला इसका उपयोग ‘ईज ऑफ लीविंग’ में किया जाए और दूसरा इसे प्रयोगशाला से निकाल कर विभागों व मंत्रालयों में बांटा जाए।

डॉ. सिंह ने कहा कि एमओयू साइन हो रहा है, अगली बार एमओयू की आवश्यकता नहीं होगी। आप अपना सैटेलाइट बनाएंगे और हम उसे छोड़ेंगे। यह काम शुरू हो गया है। जहां तक कृषि क्षेत्र का संबंध है तो चार-पांच स्तर पर प्रमुख रूप से वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग किया जा सकता है। इसमें ड्रोन प्रमुख है। बहुत-सी ऐसी फसलें हैं, जहां सिंचाई नहीं हो सकती, वहां भी ड्रोन से सिंचाई संभव है। दूसरा उपज को बढ़ाना, तीसरा है सेल्फ लाइफ को बढ़ाना यानि उपज को देश के अलग-अलग हिस्सों में बिना नुकसान के पहुंचाना और चौथा आपदा नियंत्रण।

इस मौके पर कृषि सचिव श्री मनोज अहूजा, सचिव अंतरिक्ष विभाग श्री एस. सोमनाथ, डीजी- आईसीएआर डॉ. हिमांशु पाठक, अतिरिक्त सचिव, कृषि विभाग श्री प्रमोद मेहरदा, इसरो के वैज्ञानिक सचिव श्री शांतनु, निदेशक श्री नीलेश देसाई, श्री प्रकाश चौहान आदि मौजूद थे।

आरआईएसएटी-1ए डेटा कृषि, जैव संसाधन, पर्यावरण, जल संसाधन और आपदा प्रबंधन के लिए निर्णय समर्थन प्रणाली विकसित करने में अत्यंत उपयोगी होगा। ये डिजिटल सूचना उत्पाद किसानों, विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लिए बेहद फायदेमंद होंगे, क्योंकि वे उन्हें अपनी फसलों को प्रभावित करने वाली समस्याओं की तुरंत पहचान करने और समय पर ऐसी समस्याओं को दूर करने में मदद करेंगे, जिससे फसल की पैदावार और आय में वृद्धि होगी

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