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कृषि के मशीनीकरण से किसानों की आय और कृषि अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा

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22 दिसम्बर 2023, नई दिल्ली: कृषि के मशीनीकरण से किसानों की आय और कृषि अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा – कृषि मशीनीकरण पर उप मिशन (एसएमएएम) को राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों के माध्यम से 2014-15 से लागू किया जा रहा है। एसएमएएम को अब राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) की केंद्र प्रायोजित योजना के तहत लागू किया जा रहा है और यह निर्णय लिया गया है कि विभिन्न योजनाओं के तहत सभी मशीनीकरण घटकों को अब एसएमएएम के तहत लागू किया जाएगा।

इस योजना का उद्देश्य मुख्य रूप से महिला किसानों सहित छोटे और सीमांत किसानों तक पहुंचना और कस्टम हायरिंग केंद्रों को बढ़ावा देकर कृषि मशीनीकरण का लाभ देना हैं। जिससे हाई-टेक और अधिक कीमत  वाले कृषि उपकरणों के केंद्र बनाए जा सकें और विभिन्न कृषि यंत्रों  का वितरण किया जा सके। इसके अलावा प्रदर्शन और क्षमता निर्माण गतिविधियों के माध्यम से हितधारकों के बीच जागरूकता लाना और पूरे देश में स्थित सरकार के परीक्षण केंद्रों पर प्रदर्शन परीक्षण और प्रमाणन सुनिश्चित करना हैं।

एसएमएएम योजना के उद्देश्य इस प्रकार हैं:

छोटे और सीमांत किसानों और उन क्षेत्रों तक जहां कृषि बिजली की उपलब्धता कम है, कृषि मशीनीकरण की पहुंच बढ़ाना।

छोटी भूमि जोत और व्यक्तिगत स्वामित्व की उच्च लागत के कारण उत्पन्न होने वाली प्रतिकूल अर्थव्यवस्थाओं को दूर करने के लिए ‘कस्टम हायरिंग सेंटर’ को बढ़ावा देना।

उच्च तकनीक और उच्च मूल्य वाले कृषि उपकरणों के लिए केंद्र बनाना।

प्रदर्शन और क्षमता निर्माण गतिविधियों के माध्यम से हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करना।

पूरे देश में स्थित नामित परीक्षण केंद्रों पर प्रदर्शन परीक्षण और प्रमाणन सुनिश्चित करना।

कृषि मशीनीकरण पर उप मिशन (एसएमएएम) योजना के तहत, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग किसानों को व्यक्तिगत स्वामित्व के आधार पर कृषि मशीनों और उपकरणों की खरीद और कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी), हाई टेक हब, फार्म मशीनरी बैंक और एफएमबी  लगाने  के लिए वित्तीय सहायता देता  है।

छोटे और सीमांत किसानों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के किसानों, महिला किसानों और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के किसानों को लागू अधिकतम सीमा के साथ मशीन की लागत का 50% की दर पर वित्तीय सहायता दी जाती है। अन्य किसानों के लिए वित्तीय सहायता की दर लागत का 40% है। कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) की स्थापना के लिए ग्रामीण उद्यमियों (ग्रामीण युवा और एक उद्यमी के रूप में किसान), किसानों की सहकारी समितियां, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और पंचायतों को परियोजना लागत का 40% की दर से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। सीएचसी की परियोजना लागत 60 लाख रुपये और हाईटेक हब की परियोजना लागत 250 लाख रुपये तक हो सकती है। कम मशीनीकृत राज्यों के चिन्हित गांवों में 10 लाख रुपये तक की परियोजना लागत के फार्म मशीनरी बैंक स्थापित करने के लिए सहकारी समितियों, एफपीओ, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और पंचायतों को 80% की दर से वित्तीय सहायता भी दी  जाती है।

ड्रोन प्रदर्शन पर अनुदान

कृषि यंत्रीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम) में  किसानों को इसकी खरीद और प्रदर्शन के लिए ड्रोन की लागत का 100% की दर से अधिकतम 10 लाख रुपये प्रति ड्रोन तक वित्तीय सहायता मिलती जाती है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), फार्म मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थानों, कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के तहत संस्थानों द्वारा राज्यों के  कृषि विश्वविद्यालय (एसएयू), और अन्य केंद्र सरकार के कृषि संस्थान/विभाग और भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) कृषि गतिविधियों में लगे हुए हैं।

किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को किसानों के खेतों पर इसके प्रदर्शन के लिए किसान ड्रोन की लागत का 75% तक अनुदान देते हैं । जो ड्रोन खरीदना नहीं चाहते हैं लेकिन कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी), हाई-टेक हब, ड्रोन निर्माताओं और स्टार्ट-अप से प्रदर्शन के लिए ड्रोन किराए पर लेंगे ,इन कार्यान्वयन एजेंसियों को 6000 रुपये प्रति हेक्टेयर का आकस्मिक व्यय भी दिया  जाता है । ड्रोन प्रदर्शनों के लिए ड्रोन खरीदने वाली  एजेंसियों का आकस्मिक व्यय 3000 रुपये प्रति हेक्टेयर तक सीमित है।

किसानों को ड्रोन सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए किसान एफपीओ और ग्रामीण उद्यमियों की सहकारी समिति के तहत सीएचसी द्वारा ड्रोन की खरीद के लिए 40% की दर से अधिकतम 4 लाख रुपये तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। सीएचसी स्थापित करने वाले कृषि स्नातक ड्रोन की लागत का 50% की दर से अधिकतम 5 लाख रुपये प्रति ड्रोन तक वित्तीय सहायता प्राप्त करने के पात्र हैं।

ड्रोन खरीद के लिए 5 लाख रूपये

व्यक्तिगत स्वामित्व के आधार पर ड्रोन की खरीद के लिए लघु और सीमांत अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की महिलाओं और उत्तर पूर्वी राज्य के किसानों को लागत का 50% की दर से अधिकतम 5 लाख रुपये तक और अन्य किसानों को 40% की दर से अधिकतम 4 लाख रु तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

एसएमएएम योजना का मुख्य फोकस कृषि मशीनों और उपकरणों की कस्टम हायरिंग सेवाओं के लिए नेटवर्क का विस्तार करना है ताकि कृषि बिजली का उपयोग बढ़ाया जा सके और छोटे खेतों के लिए कृषि उपकरणों और मशीनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।

देश भर में  44 हजार से अधिक कृषि मशीनरी केंद्र

योजना की शुरुआत के बाद से, किसानों को व्यक्तिगत स्वामित्व के आधार पर 15.55 लाख से अधिक मशीनें और उपकरण प्रदान किए गए हैं और विभिन्न राज्यों में 44,000 से अधिक सीएचसी/हाई-टेक हब/एफएमबी स्थापित किए गए हैं।

एसएमएएम के तहत किसान ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए 141.39 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है, जिसमें किसान ड्रोन की खरीद और 100 केवीके, 75 आईसीएआर संस्थानों और 25 एसएयू के माध्यम से किसानों के खेतों पर उनके प्रदर्शनों के आयोजन के लिए आईसीएआर को जारी किए गए 52.50 करोड़ रुपये शामिल हैं।

किसानों को सब्सिडी पर 461 किसान ड्रोन की आपूर्ति और किसानों को ड्रोन सेवाएं प्रदान करने के लिए 1585 किसान ड्रोन सीएचसी की स्थापना के लिए राज्य सरकारों को धन उपलब्ध कराया गया है। देश भर में आईसीएआर के 193 संस्थानों द्वारा 263 एग्री-ड्रोन खरीदे गए हैं। इन संस्थानों के 260 कर्मियों ने ड्रोन पायलट प्रशिक्षण लिया है। कृषि में ड्रोन के फायदों के बारे में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से, इन संस्थानों ने 16,471 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हुए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का पालन करते हुए पोषक तत्वों, उर्वरकों, रसायनों (कीट और कीट) अनुप्रयोगों पर 15,075 ड्रोन प्रदर्शन किए हैं।

महिला एसएचजी ड्रोन योजना को मिली मंजूरी

केंद्र सरकार ने हाल ही में 1261 करोड़ रुपये के बजट  के साथ महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को भी ड्रोन चलाने की योजना को मंजूरी दी है।15 हज़ार  चयनित महिला एसएचजी को ड्रोन उपलब्ध कराया जाएगा ताकि वे  इस योजना के तहत  कृषि प्रयोजन (उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग ) के लिए किसानों को ड्रोन किराये पर दे सकें । कुल 15 हज़ार  ड्रोन में से पहले 500 ड्रोन 2023-24 में लीड फर्टिलाइजर कंपनियों (एलएफसी) उनके आंतरिक संसाधन से चयनित एसएचजी को वितरण के लिए खरीदेंगी  ।

इस योजना के तहत शेष 14,500 ड्रोन 2024-25 और 2025-26 के दौरान दिए  जाएंगे और महिला एसएचजी को खरीद के लिए ड्रोन और सहायक शुल्क की लागत का 80% की दर से अधिकतम 8 लाख रुपये तक केंद्रीय वित्तीय सहायता दी  जाएगी।

एसएचजी के क्लस्टर लेवल फेडरेशन (सीएलएफ) राष्ट्रीय कृषि इन्फ्रा फाइनेंसिंग सुविधा (एआईएफ) के तहत ऋण के रूप में शेष राशि (खरीद की कुल लागत घटाकर सब्सिडी) बढ़ा सकते हैं। सीएलएफ को एआईएफ ऋण पर 3% की दर से ब्याज छूट प्रदान की जाएगी। यह योजना किसानों के लाभ के लिए बेहतर दक्षता, फसल की पैदावार बढ़ाने और लागत कम करने के लिए कृषि में उन्नत प्रौद्योगिकी को शामिल करने में मदद करेगी। यह योजना एसएचजी को स्थायी व्यवसाय और आजीविका सहायता भी प्रदान करेगी और वे प्रति वर्ष कम से कम 1 लाख रुपये की अतिरिक्त आमदनी देने  में सक्षम होंगे।

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