राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

मध्य प्रदेश : अधर में फसल बीमा योजना

23 अगस्त 2020, भोपाल। मध्य प्रदेश : अधर में फसल बीमा योजना किसानों को खेती में मौसम की मार से हुए नुकसान से राहत देने के लिये केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना म.प्र. में लालफीताशाही के कारण अधर में लटकी हुई है। संभवत: म.प्र. देश का ऐसा एकमात्र राज्य होगा, जहां खरीफ सीजन के लिए फसल बीमा की अंतिम तिथि 31 जुलाई से बढ़ा कर 18 अगस्त की गई थी। लेकिन आधा खरीफ सीजन निकल जाने के बाद भी प्रदेश में योजना को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।

असामान्य वर्षा के दौर में कहीं पर भारी वर्षा हुई है तो कहीं पर लम्बे समय से वर्षा ही नहीं हुई। दोनों ही स्थिति में किसान को नुकसान है, जिसकी भरपाई का प्रावधान फसल बीमा योजना में है। मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर में ही कम वर्षा के कारण सोयाबीन की फसल को नुकसान हो रहा है। आष्टा तहसील के ग्राम लक्ष्मीपुरा के किसान श्री देवीसिंह बताते हैं कि वर्षा की कमी से सोयाबीन की फसल पीली पड़ गई है और अफलन की स्थिति आ गई है। तहसीलदार को ज्ञापन दिया है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई है। ग्राम चूनाखुर्द के किसान श्री सालगराम शर्मा का कहना है कि 9 एकड़ की सोयाबीन पीली पड़ गई है। किसान क्रेडिट कार्ड से फसल बीमा की प्रीमियम 1234 रु. कट गये हैं। लेकिन बीमा के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही है। इस तरह की शिकायतें लगभग सभी जिलों में हैं।

फसल बीमा कम्पनियों से जुड़े सूत्र बताते हैं कि राज्य शासन योजना के लिए तीन बार टेण्डर बुला चुका है लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है। ऐसी स्थिति में खरीफ सीजन में प्रधानमंत्री फसल योजना का क्रियान्वयन कैसे हो पायेगा? जब तक शासन कम्पनियों के जिलेवार गठन की अधिकारिक सूचना नहीं देगा तब तक कम्पनियां जिलों में काम नहीं कर पायेंगी। शासन के सूत्र बताते हैं कि कोरोना आपदा के कारण फण्ड की कमी है और कम्पनियों ने भी हाई प्रीमियम रेट के टेण्डर प्रस्तुत किये हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय होगा कि ऋणी किसानों के खाते से फसल बीमा की प्रीमियम राशि कट चुकी है।

कहां अटकी?

  • तारीख पर तारीख
  • 31 जुलाई से 18 अगस्त हुई
  • सोयाबीन फसल प्रभावित
  • किसानों की जान सांसत में

वास्तव में प्रदेश में फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन के लिए शुरुआत ही देर से हुई। योजना के प्रति शासन की बेरुखी से बीमा कम्पनियां भी हतोत्साहित हुई। अन्य राज्यों में समय पर हुई कार्यवाही के कारण कम्पनियों ने अपना रुख उन राज्यों की ओर कर लिया। राज्य शासन बीमा की अंतिम तिथि बढ़ाने के बावजूद किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पाया।
प्रदेश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की स्थिति चाहे जो हो किसान के सामने असमंजस यह है कि फसल को नुकसान होने की स्थिति में प्रीमियम भरने के बाद भी अधर में लटकी इस योजना से उनके नुकसान की भरपाई कैसे होगी?

  • राजेश दुबे
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