जैव विविधता को संरक्षित कर मानवता के साथ ही पूरे ग्रह को बचा रही हैं कृषक बिरादरी- श्रीमती द्रौपदी मुर्मू
कृषि-जैव विविधता संरक्षण सिर्फ कर्तव्य नहीं, इकोसिस्टम के अस्तित्व के लिए महत्ती आवश्यकता हैं- श्री तोमर
13 सितम्बर 2023, नई दिल्ली: जैव विविधता को संरक्षित कर मानवता के साथ ही पूरे ग्रह को बचा रही हैं कृषक बिरादरी- श्रीमती द्रौपदी मुर्मू – राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने गत दिवस किसानों के अधिकारों पर चार दिवसीय वैश्विक संगोष्ठी का शुभारंभ पूसा, नई दिल्ली में किया। केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने समारोह की अध्यक्षता की। इस अवसर पर विभिन्न श्रेणियों में 26 पादप जीनोम संरक्षक पुरस्कार किसानों व संगठनों को प्रदान किए गए। इस मौके पर राष्ट्रपति ने प्लांट अथारिटी भवन का उद्घाटन किया व पौधा किस्मों के पंजीकरण के लिए आनलाइन पोर्टल लांच किया। राष्ट्रपति ने यहां प्रदर्शनी का शुभारंभ कर मंत्रियों के साथ अवलोकन भी किया। कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी, सचिव श्री मनोज अहूजा, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक, पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (पीपीवीएफआरए) के अध्यक्ष डॉ. त्रिलोचन महापात्र, आईटीपीजीआरएफए के सचिव डॉ. केंट ननडोजी, एफएओ के भारत के प्रतिनिधि श्री टाकायुकी, आईसीएआर के पूर्व डीजी डा. आर.एस. परोधा, राजनयिक, संधि के अनुबंध देशोँ के प्रतिनिधि, किसान, वैज्ञानिक, कृषि से जुड़े संगठनों के पदाधिकारी भी उपस्थित रहे। आयोजन में पीपीवीएफआरए, आईसीएआर, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान तथा राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो सहभागी है।
खाद्य एवं कृषि के लिए पादप आनुवंशिक संसाधनों पर अंतरराष्ट्रीय संधि (आईटीपीजीआरएफए), एफएओ, रोम एवं केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा आयोजित वैश्विक संगोष्ठी के अवसर पर अपने संबोधन में श्रीमती मुर्मु ने कहा कि भारत की समृद्ध कृषि-जैव विविधता वैश्विक समुदाय के लिए एक खजाना रही है। हमारे किसानों ने कड़ी मेहनत व उद्यमपूर्वक पौधों की स्थानीय किस्मों का संरक्षण किया है, जंगली पौधों को पालतू बनाया है एवं पारंपरिक किस्मों का पोषण किया है, जिन्होंने विभिन्न फसल प्रजनन कार्यक्रमों के लिए आधार प्रदान किया है। राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने कहा कि एक नोबेल पुरस्कार विजेता व अर्थशास्त्री ने बिहार के गांव का दौरा करते समय एक बार टिप्पणी की थी “भारतीय किसान, वैज्ञानिकों से बेहतर हैं”। राष्ट्रपति ने कहा कि मैं इस कथन से पूर्णतः सहमत हूं, क्योंकि कृषि में हमने परंपरा को प्रौद्योगिकी के साथ सहजता से मिश्रित किया है। कृषि मानव जाति का पहला ज्ञात व्यवसाय है, यह कृषि-जैव विविधता पर फला-फूला, जो प्रकृति ने हमें दी है।
केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने कहा कि कृषि-जैव विविधता संरक्षण सिर्फ कर्तव्य नहीं है, बल्कि इकोसिस्टम के अस्तित्व के लिए महत्ती आवश्यकता है, भारत सरकार इस उद्देश्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत इस अंतरराष्ट्रीय संधि (आईटीपीजीआरएफए) के तहत सहमत सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्ध रहा है व इसके अक्षरश: पालन मेँ विश्व में सर्वोपरि कार्य कर रहा है। यह तथ्य, भारतीय संसद द्वारा पौधों की विविधता व किसानों के अधिकार संरक्षण अधिनियम-2001 के रूप में अधिनियमित राष्ट्रीय कानून से बहुत स्पष्ट रूप से रेखांकित है। इस कानून के अधिनियमन के बाद से, भारत सरकार ने कानून में किए प्रावधानों के अनुरूप इसका पालन सुनिश्चित करने के लिए पूरी शिद्दत के साथ काम किया है। उन्होंने कहा कि भारत के पौधा किस्म संरक्षण ढांचे की विशेषताओं में से एक, इसका किसानों के अधिकारों पर ध्यान केंद्रित करना है। यह अधिनियम किसानों की पीढ़ियों के अनवरत प्रयासों से पौधों के आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण व विकास में किसानों की अमूल्य भूमिका को मान्यता देता है। यह एक्ट किसानों को खेत में बचाए गए बीजों के संरक्षण, उपयोग करने, आपस में बांटने, साझा करने व बेचने का अधिकार देता है। यह प्रावधान किसानों को स्थानीय ज्ञान व नवाचार को बढ़ावा देते हुए उनकी स्वायत्तता संरक्षित करते हुए कृषि मूल्य श्रृंखला में सक्रिय रूप से भाग लेने का अधिकार देता है।