पंचायती राज मंत्रालय के तहत एक नई योजना – स्वामित्व के लिए 200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है
8 फरवरी 2021, नई दिल्ली। 2021-22 के बजट में पंचायती राज मंत्रालय को कुल 913.43 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं जो 2020-21 के संशोधित अनुमान से 32 प्रतिशत अधिक है। आवंटित बजट के मुख्य हिस्से के रूप में 593 करोड़ रूपए केंद्र प्रायोजित योजना राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के लिए दिए गए हैं। इस योजना का उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पाने के लिए पंचायती राज संस्थानों को मजबूत करना है। ग्रामीण स्थानीय सरकारों की क्षमता निर्माण के माध्यम से मिशन अंत्योदय के साथ अभिसरण पर मुख्य ध्यान केंद्रित करना भी इस योजना का लक्ष्य है। पंचायत भवन, कंप्यूटर और ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी और प्रशिक्षित जनशक्ति जैसी बुनियादी सुविधाएं और पंचायती राज संस्थानों के चुने हुए प्रतिनिधियों और अन्य अधिकारियों को गुणवत्ता प्रशिक्षण प्रदान करना राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के प्रमुख घटक हैं।
एक नई योजना ‘स्वामित्व‘ के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। गाँव में रहने वाले लोगों को ग्रामीण रिहायशी इलाकों में घर और प्रॉपर्टी कार्ड जारी करने के लिए भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा ड्रोन तकनीक की मदद से सर्वेक्षण किया जाएगा।
स्वामित्व योजना के पहले चरण को 79.65 करोड़ रुपए के बजट के साथ स्वीकृति दी गई है। इस पायलट चरण के दौरान, यह योजना 9 राज्यों-उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, राजस्थान और आंध्र प्रदेश में कार्यान्वित की जा रही है। 31 जनवरी, 2021 तक लगभग 23,300 गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। लगभग 1,432 गांवों के 2.30 लाख संपत्ति धारकों को प्रॉपर्टी कार्ड दिए जा चुके हैं और यह प्रक्रिया लगातार चल रही है। इसी तरह पंजाब, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश राज्यों में 210 कंटीनुअस ऑपरेटिंग रेफरेंस सिस्टम (कोर) नेटवर्क स्थापित किए जा रहे हैं। इनके मार्च 2021 तक पूरा होने और चालू होने की संभावना है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने राज्यों में लगभग 130 ड्रोन टीमें तैनात की हैं और अब भारत में बने ड्रोन्स की सप्लाई से इस प्रकिया को और तेजी प्रदान की जा रही है। उम्मीद है कि मार्च 2021 तक लगभग 250 ड्रोन टीमें तैनात हो जाएंगी। 2021-22 में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लगभग 500 ड्रोन टीमें तैनात करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
मंत्रालय ने लगभग 5.41 लाख गाँवों को कवर करने के लिए भारत के शेष हिस्से में इस योजना को विस्तार देने के लिए 566.23 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ व्यय विभाग को एक प्रस्ताव भेजा है। 2021-22 में 200 करोड़ रुपये के बजट प्रावधान के साथ 16 राज्यों के 2.30 लाख गांवों को लक्षित किया जाएगा।
इस योजना में विविध पहलू शामिल हैं जैसे संपत्तियों के मुद्रीकरण की सुविधा और बैंक ऋण को सक्षम करना; संपत्ति संबंधी विवादों को कम करना; व्यापक ग्राम स्तर की योजना, सही अर्थों में ग्राम स्वराज को प्राप्त करने और ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक कदम।
स्वामित्व योजना के लिए ड्रोन की आवश्यकता ने भारत में ड्रोन मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र को बढ़ावा दिया है। ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (ओईएम) ने अब सर्वे ग्रेड ड्रोन विकसित किया है और मेक इन इंडिया कंपनियों को 175 यूनिट्स की आपूर्ति दी गई है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग, योजना के कार्यान्वयन के लिए प्रौद्योगिकी साझेदार होने के नाते, योजना लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए काम कर रहा है।
2022 तक, स्वामित्व योजना पूरे देश में कोर नेटवर्क कवरेज सुनिश्चित करेगी। कोर नेटवर्क, एक बार स्थापित होने के बाद, यह किसी भी राज्य एजेंसी या विभाग द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है। जैसे कि राजस्व विभाग, ग्राम पंचायत (जीपी), सार्वजनिक निर्माण विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, कृषि, जल निकासी और नहर, शिक्षा, बिजली, पानी और स्वास्थ्य विभाग आदि जीआईएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) आधारित एप्लीकेशन का उपयोग करके सर्वेक्षण कार्यों और योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए कोर नेटवर्क का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे ग्रामीण आबादी क्षेत्र में जरीब या पारंपरिक सर्वेक्षण प्रणाली को सुधारा जा सकता है जो रियल टाइम में 5 सेंटीमीटर-स्तरीय क्षैतिज स्थिति तक की सटीकता प्रदान करता है। रोवर्स के इस्तेमाल से भविष्य में रिकॉर्ड्स को अपडेट किया जा सकता है।
इसके तहत ग्रामीण आबादी क्षेत्र के हाई रेजोल्युशन और सटीक मैप 1:500 के स्केल पर तैयार होते हैं जिससे ग्रामीण आबादी क्षेत्रों में संपत्ति धारण का सबसे टिकाऊ रिकॉर्ड तैयार होता है जो व्यापक ग्रामीण स्तर की योजनाओं में मददगार साबित होता है।
इसके अलावा, यह पहली बार है कि देश के सभी गांवों को कवर करते हुए लाखों ग्रामीण संपत्ति के मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए अधिकांश आधुनिक तकनीक से जुड़े इस तरह के बड़े पैमाने पर अभ्यास किए जा रहे हैं।
ड्रोन सर्वेक्षण तकनीक नवीनतम सर्वेक्षण पद्धति है जो मानचित्रण गतिविधियों को आसान और अधिक कुशल बनाती है। यह सर्वेक्षण के लिए फील्ड पर जाकर लगने वाले समय कम करता है और इससे सर्वेक्षण की लागत भी काफी कम हो जाती है। साथ ही ड्रोन की मदद से टोपोग्राफिक डेटा एकत्र करना पारंपरिक भूमि-आधारित विधियों की तुलना में बहुत तेज है। इस तकनीक की उपयोगिता को संज्ञान में लेते हुए, हरियाणा, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे कई राज्य ग्रामीण आबादी क्षेत्र के सर्वेक्षण के अलावा भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। अतिरिक्त सर्वेक्षण को स्वामित्व के तहत कवर नहीं किया जा रहा है।
साथ ही, इस योजना ने कुशल जनशक्ति के लिए रोजगार का सृजन किया है। जीआईएस जनशक्ति के लिए विशाल आवश्यकता के कारण 600 से अधिक जीआईएस डिजिटाइज़र भारत के विभिन्न सर्वेक्षण (एसओआई) कार्यालयों में लगे हुए हैं और ये संख्या उनकी आवश्यकताओं के आधार पर नियमित रूप से बढ़ रही है। परिणामस्वरूप, कई स्टार्ट-अप और एमएसएमई सेवा कंपनियों ने इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपनी जीआईएस जनशक्ति बेंच स्ट्रेंथ को बढ़ाना शुरू कर दिया है।
योजना को लागू करने की दिशा में (वित्तिय वर्ष 2021-2024) के लिए, गोवा, गुजरात, केरल और ओडिशा राज्यों ने इसके अगले चरण में कार्यान्वयन के लिए मंजूरी दे दी है। छत्तीसगढ़ और त्रिपुरा पहले ही भारतीय सर्वेक्षण विभाग के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। असम, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख और तमिलनाडु राज्यों ने भी सक्रिय रूप से अगले चरण में योजना के कार्यान्वयन के लिए प्रारंभिक गतिविधियां शुरू कर दी हैं। इनसे चर्चा चल रही है। इस योजना में ग्रामीण भारत को बदलने की क्षमता स्पष्ट दिखती है। योजना के सफल कार्यान्वयन का ग्रामीण अर्थव्यवस्था के उत्थान में काफी प्रभाव पड़ेगा।