Farmer Success Story (किसानों की सफलता की कहानी)

प्रथम सफल केला उत्पादक किसान

Share

कामयाब किसान की कहानी

(विशेष प्रतिनिधि)

22  मई 2021, रायसेन।  प्रथम सफल केला उत्पादक किसान – यूँ तो म.प्र. के कई जिलों में केले का उत्पादन हो रहा है और केला उत्पादक किसान अच्छी आय भी अर्जित कर रहे हैं, लेकिन रायसेन ऐसा जिला है, जहां के दो किसानों ने जिले में पहली बार बड़े रकबे में केले की फसल लगाकर सफलता की नई इबारत लिख दी है। अब यह अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं। रायसेन जिले के बाड़ी विकासखंड के ग्राम केवलाझीर के उन्नत किसान श्री पवन यादव ने कृषक जगत को बताया कि जिले में पहले कुछ किसानों ने केले की फसल लेने की कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हो सके। इसके बाद उन्होंने निमाड़ में केले की फसल का अवलोकन करने के बाद पहली बार 10 एकड़ में जी-9 किस्म का केला लगाया है। 9 माह की फसल हो गई है। बंच निकलने के साथ केले भी बनने लगे हैं। फसल स्वस्थ और रोग मुक्त है। 15 जून तक कटिंग शुरू हो जाएगी।

समय-समय पर उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों का मार्गदर्शन मिलता रहता है। उन्हें केले का अच्छा उत्पादन मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा श्री यादव ने करीब 20 एकड़ में टमाटर भी लगाया है, जहां 1500-1800 कैरेट प्रति एकड़ टमाटर का उत्पादन हो रहा है। फिलहाल टमाटर का भाव 5-6 रु. किलो मिल रहा है। भैंसाया ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले केवलाझीर में बिजली की समस्या का जिक्र कर श्री यादव ने कहा कि ठेकेदार द्वारा बिजली की लाईन के तार इतने ढीले डाले हैं, कि हवा चलने पर तार टकराने से बार-बार फाल्ट हो जाता है। कोई लाईन मेन सुधारने नहीं आता है। जैसे-तैसे अपने स्तर पर समस्या का समाधान करना पड़ता है , क्योंकि केले की फसल को सिंचाई बहुत जरुरी है।

केवलाझीर के ही एक अन्य सक्षम स्नातक किसान श्री जोगिन्दर जाट ने भी पहली बार 15 एकड़ में केला लगाया है। बड़वानी जिले के अंजड़/सेगांव में रिश्तेदार के यहां केला फसल देखने के बाद अपने यहां केला लगाने का विचार आया। जलगांव की एक कम्पनी से पौधे बुलवा कर जुलाई में केला लगाया। फसल स्वस्थ और बढिय़ा है।

केले भी मोटे लग रहे हैं। नया क्षेत्र होने से फसल पर वायरस भी नहीं है। केले के बंच भी 25-30 किलो के निकलेंगे। केले का भाव अभी 15 रु. किलो है। कटाई तक 20 रु. किलो होने की सम्भावना है। लागत संबंधी सवाल के जवाब में श्री जाट ने कहा कि ड्रिप व्यवस्था, खाद, पौधे और मजदूरी में अब तक 19 लाख रु. खर्च हो चुके हैं। इन्होंने भी 20 एकड़ में टमाटर लगाया है, जिससे प्रति एकड़ 500 क्विंटल से अधिक उत्पादन ले रहे हैं। इन दो किसानों की केला फसल को देखकर अब उद्यानिकी विभाग वाले अन्य किसानों को भी केला फसल लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। संपर्क: 9009937412, 9406543370

केला के प्रमुख रोग एवं निदान

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *