Editorial (संपादकीय)

क्या भारत अभिनव खेती की ओर बढ़ रहा है ?

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  • शशिकांत त्रिवेदी,
    वरिष्ठ पत्रकार,
    मो. : 9893355391

18 अक्टूबर 2022, भोपालक्या भारत अभिनव खेती की ओर बढ़ रहा है ? – किसान के सरकार की प्राथमिकता सूची में शीर्ष पर होने के कारण, खेती में नवाचार आजकल सार्वजनिक चर्चा में है। जिस तरह से रोबोट और ड्रोन पारंपरिक खेती की जगह ले रहे हैं; मसलन फल चुनना, खरपतवार मारना, फसलों पर पानी और उर्वरक का छिडक़ाव करना, ड्रोन और उपग्रहों से फोटो लेने के साथ जीपीएस तकनीक के साथ मिलकर खेत खलिहान की एक बेहतरीन तस्वीर लेना आदि। इससे खेती को नए अर्थ और आयाम मिल रहे हैं। यही अभिनव खेती है। हाल ही केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के 59वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते मध्यप्रदेश को खेती में अग्रणी राज्य बनाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र की जीडीपी दर कोविड जैसी विपरीत परिस्थितियों में भी बहुत सकारात्मक रही, जिसके लिए हमारे किसान और कृषि वैज्ञानिक बधाई के पात्र हैं। श्री तोमर ने कहा कि सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि खेती में मशीनीकरण का उपयोग बढ़े और अधिक से अधिक शीघ्र स्थापित हो रहे 10,000 एफपीओ (कृषक उत्पादन संगठनों) से जुड़ें, जिन पर केंद्र सरकार 6,865 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।

मध्यप्रदेश जैसे राज्य में किसानों की मेहनत फिर रंग लाई और प्रदेश को कई बार कृषि कर्मण अवॉर्ड मिला है। आज छोटे किसान मशीनीकरण का लाभ उठा सकते हैं, प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सकते हैं, लाभकारी फसलों की ओर रुख कर सकते हैं और प्रसंस्करण सहित सरकारी सुविधाओं का उपयोग कर सकते हैं, तो उन्हें निश्चित रूप से अपनी उपज का बेहतर लाभ मिलेगा। कृषि मंत्री ने यह बताया कि कृषि में वैज्ञानिक प्रयोगों और हाल के वर्षों में सरकार द्वारा किए गए अभिनव तकनीकी हस्तक्षेपों के कारण भारत विश्व स्तर पर कृषि के क्षेत्र में सबसे प्रमुख देशों में से एक बन गया है। यह धान, गेहूं, दालों और अन्य कृषि उत्पादों का भी प्रमुख उत्पादक है। यह धान और गेहूँ उत्पादन में दूसरे और दलहन उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान पर है। उन्होंने कृषि क्षेत्र में बढ़ते वैज्ञानिक प्रयोगों के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि नवीन कृषि को बढ़ावा देने के लिए, भारत ने दुनिया की सबसे बड़ी कृषि अनुसंधान प्रणाली जैसे- राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस) विकसित की है जिसमें आईसीएआर संस्थान और राज्य कृषि विश्वविद्यालय (एसएयू) शामिल हैं। एनएआरएस ने भारत को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने और देश की कृषि प्रौद्योगिकी और सूचना जरूरतों को पूरा करने में बहुत योगदान दिया है। क्या वाकई कृषि में सरकार कुछ पहल कर रही है। कृषि क्षेत्र में आंकडों पर विश्वास किया जाए तो कई स्टार्ट अप शुरू  हुए हैं।

आंकड़ों के मुताबिक सरकार राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत नवोन्मेष और कृषि-उद्यमिता विकास नामक एक कार्यक्रम को 2018-19 से लागू कर रही है, जिसका उद्देश्य एग्रीटेक सहित कृषि स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करके नवाचार और कृषि-उद्यमिता को बढ़ावा देना है। इसी तरह इनोवेशन एंड एग्री-एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत एग्रीटेक स्टार्टअप्स सहित कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में कुल 799 स्टार्ट-अप्स को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। इसके अलावा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) वर्ष 2016-2017 में शुरू की गई राष्ट्रीय कृषि नवाचार कोष (NAIF) नामक परियोजना के तहत डिजिटल तकनीकों का उपयोग करने वाले एग्रीटेक स्टार्टअप सहित कृषि-आधारित स्टार्टअप का समर्थन कर रही है। इसके दो घटक हैं – ढ्ढ. इनोवेशन फंड और 2 इनक्यूबेशन फंड और नेशनल कोऑर्डिनेटिंग यूनिट (NCU))। लेकिन खेती के क्षेत्र में स्टार्ट अप शुरू तो हो जाते हैं लेकिन लम्बे समय तक चल नहीं पाते। खेती के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में अपना स्टार्ट -अप ‘ई फसल’ चलाने वाले रिटायर्ड आईएएस अधिकारी डॉ रवींद्र पस्तोर का कहना है कि ज़्यादातर स्टार्ट अप ऐसे शुरू हो जाते हैं जिनके उत्पाद पहले से ही मौजूद हैं। दूसरे वे हैं जिन्हे शुरुआती वित्तीय दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, कुछ वे भी हैं जिनके उत्पाद तो अलग हट कर हैं लेकिन वित्तीय संसाधन उतने नहीं हैं। इसलिए खेती के क्षेत्र में स्टार्टअप बहुत सोच समझ कर मैदान में आने चाहिए। जगह सब के लिए है। उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा डिजिटल तकनीक का उपयोग करना चाहिए। फंड जैसी दिक्कतों के लिए राष्ट्रीय कृषि नवाचार कोष के कार्यान्वयन के लिए देश भर से उत्कृष्टता केंद्र के रूप में पांच ज्ञान भागीदार (केपी) और चौबीस आरकेवीवाई-रफ़्तार कृषि व्यवसाय इनक्यूबेटर (आर-एबीआई) नियुक्त किए गए हैं। आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, एग्रीबिजनेस इन्क्यूबेटर्स (एबीआई) एग्रीटेक स्टार्टअप्स सहित स्टार्टअप्स/उद्यमियों को तकनीकी बैकस्टॉपिंग और अन्य इनक्यूवेशन सेवाएं प्रदान करते हैं। आंकड़े यह भी बताते हैं कि आईसीएआर ने 50 संस्थानों में अपने एबीआई के माध्यम से एग्रीटेक स्टार्टअप सहित कुल 818 स्टार्टअप को सहायता दी है। आरकेवीवाई के नवाचार और कृषि-उद्यमिता कार्यक्रम के तहत, केपी (ज्ञान भागीदारी) और आर-एबीआई को धन जारी किया जाता है, न कि राज्यवार। हरियाणा में कृषि और संबद्ध क्षेत्र में स्टार्टअप का समर्थन करने के लिए चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू), हिसार में एक आर-एबीआई की स्थापना की गई है। डिजिटल तकनीकों का उपयोग करने वाले चयनित एग्रीटेक स्टार्टअप करनाल सहित किसानों को लाभान्वित करने के लिए कार्यक्रम के तहत सीसीएसयू, हिसार, हरियाणा में स्थापित इनक्यूवेशन सेंटर में तकनीकी और वित्तीय सहायता ले सकते हैं। आईसीएआर के एनएआईएफ कार्यक्रम के तहत, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई), करनाल में एक कृषि-व्यवसाय ऊष्मायन (एबीआई) केंद्र स्थापित किया गया है। करनाल में डिजिटल तकनीकों का उपयोग करने वाले चयनित एग्रीटेक स्टार्टअप उपरोक्त ऊष्मायन केंद्र में तकनीकी सहायता ले सकते हैं। ये स्टार्टअप कृषि अर्थव्यवस्था से संबंधित समस्याओं को हल करके किसानों को लाभान्वित करते हैं और कृषि क्षेत्र की लाभप्रदता और दक्षता में वृद्धि करते हैं। मध्य प्रदेश जैसे राज्य में ही तकरीबन 1000 से अधिक स्टार्टअप हैं पर सफल कितने हैं ये अंदाजा लगाना मुश्किल है।

‘नवाचार और कृषि-उद्यमिता विकास’ कार्यक्रम के तहत 173 महिला स्टार्टअप/ उद्यमियों को भी सहायता दी है। भारत के महापंजीयक द्वारा आयोजित जनगणना 2011 के अनुसार देश में कुल महिला कृषकों की संख्या 3.60 करोड़ और खेतिहर मजदूरों की संख्या 6.15 करोड़ है। आंकड़ें जो भी कहें, खेती में भविष्य नवाचार और नवाचार से स्टार्ट अप में उज्जवल है।

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