उत्पादन में आगे, उत्पादकता में पीछे…
- सुनील गंगराड़े
12 जुलाई 2022, भोपाल । उत्पादन में आगे, उत्पादकता में पीछे… – भारत की दो तिहाई आबादी खेती और खेती से जुड़े कार्यों में जुटी होने के कारण इस देश की अर्थव्यवस्था की प्रमुख धुरी है कृषि। देश की एक बड़ी आबादी की आजीविका कृषि पर निर्भर है। गत वर्षों में देश में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन हुआ है। वर्ष 2021-22 में देश भर में रिकॉर्ड 31 करोड़ टन से अधिक अनाज उत्पादन हमारे किसान भाइयों की अनथक मेहनत का नतीजा है। साथ ही कृषि अनुसंधान में जुटे कृषि वैज्ञानिकों की लगन और परिश्रम का फल है, जिन्होंने विपुल उत्पादन देने वाली किस्मों और नई तकनीकों से कृषकों को रूबरू कराया। खाद्यान्न उत्पादन के मामले में देश लगातार आगे बढ़ रहा है वहीं बागवानी उत्पादन में वर्ष 2021-22 में रिकॉर्ड 33 करोड़ टन से अधिक उत्पादन कर हमने एवरेस्ट छू लिया है। कोविड महामारी के बावजूद, सप्लाई चेन में विभिन्न बाधाओं के चलते भारत ने वर्ष 2021-22 में पौने 4 लाख करोड़ से अधिक मूल्य का कृषि उपज का निर्यात किया है। हिन्दुस्तानी केले और बेबी कॉर्न ने कनाडा के बाजार तक अपनी पहुंच बनाई है। मध्य प्रदेश का गेहूं इजिप्ट के निवासियों की थाली तक पहुंच गया है।
कृषि उत्पादन के मामले में हम भले ही शिखर पर पहुंच रहे हों, पर एक विडम्बना है कि फसल उत्पादकता के क्षेत्र में हम अन्य टॉप 10 देशों की तुलना में 9वें स्थान पर हैं। खरीफ में लगाई जाने वाली कपास, धान, सोयाबीन- किसी भी फसल की उत्पादकता के क्षेत्र में भारत वैश्विक स्तर पर नीचे हैं।
देश की समुचित खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने के लिए कृषि आदानों, प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग आवश्यक है। देश में खरीफ फसलों का कुल खाद्यान्न उत्पादन में 50 प्रतिशत से अधिक योगदान होता है। खरीफ की प्रमुख खाद्यान्न फसल धान देश में 4.5 करोड़ हेक्टेयर से अधिक में लगाई जाती है परन्तु उत्पादकता वियतनाम, ब्राजील जैसे छोटे देशों से भी आधी है। यहां ये ध्यान देने योग्य है कि वैश्विक स्तर पर भारत की केवल 4 प्रतिशत भूमि खेती योग्य है और विश्व के केवल 2.4 प्रतिशत जल के उपयोग के साथ विश्व की 18 प्रतिशत आबादी याने भारत की जनसंख्या को खाद्यान्न उपलब्ध कराने में देश के कृषकों, कृषि वैज्ञानिकों, विस्तार कार्य में जुटे कार्यकर्ताओं का अभिनंदन।
आवश्यकता है फसलों की उत्पादकता बढ़ाने की, गुणवत्ता उन्नयन की। खेती में दिनोंदिन नई तकनीक का प्रादुर्भाव हो रहा है। ड्रोन, रिमोट सेंसिंग, आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस आदि का उपयोग शनै: शनै: बढ़ेगा, परन्तु इसकी पहुंच केवल बड़े और समृद्ध किसानों तक ही है। हकीकत है कि अधिकांश किसानों तक योजनाएं और तकनीक पहुंच ही नहीं पाती हैं। इसमें संभव नहीं है कि देश के 7 लाख गांव के 14 करोड़ किसानों तक संपर्क बनाना हिमालय की चढ़ाई की तरह है। इनमें निजी क्षेत्र को भी समग्र रूप से भागीदारी करना होगी, सहयोग करना होगा। इस सहयोग के मार्ग में चुनौतियां भी कम नहीं हैं। परन्तु सामंजस्य से मंजिल जरूर मिलेगी। आज खेती में तकनीक का अधिक से अधिक प्रयोग करने किसानों का पारंपरिक फसलों से रुझान नगदी फसल की ओर बढ़ाने, फसल विविधीकरण करने, उत्पादकता बढ़ाने, खेती की लागत कम करने और सबसे महत्वपूर्ण किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य दिलाने की आवश्यकता है।
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