संपादकीय (Editorial)

किसानों को नई तकनीक के साथ जुडऩा होगा

किसानों को नई तकनीक के साथ जुडऩा होगा

किसानों को नई तकनीक के साथ जुडऩा होगा – डॉ. रविन्द्र पस्तोर पूर्व आईएएस कृषि विपणन विशेषज्ञ समय समय पर कृषक जगत के पाठकों के लिए अग्री मार्केटिंग के विभिन्न पहलुओं पर लिखते रहे हैं . वर्तमान में कोरोना महामारी से उपजी विपरीत परिस्थितियों में कृषि पर पडऩे वाले प्रभाव और सरकार द्वारा उठाये गए कदमों का विश्लेषण करता हुआ और किसानों को सलाह देता हुआ यह आलेख:

  • विगत दिनों कारोना वायरस के कारण किसानों को बहुत नुकसान उठाना पड़ा। खासतौर पर फूल, फल सब्जी उगाने वाले, डेयरी वाले तथा पोल्ट्री के किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। लॉकडाउन के कारण कीमतों में 75 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। जिससे किसानों को अपनी उपज खेतों में ही नष्ट करना पड़ी।
  • लेकिन अब अव्छी खबर यह है कि केन्द्र सरकार ने नाफेड को 50,000 टन प्याज खरीदने का लक्ष्य दे कर 1,160 करोड़ की राशि उपलब्ध करवाई है। अत: किसानों को अपनी अच्छी क्वालटी की प्याज अभी बाजार में न बेच कर नाफेड की खरीद के समय बेच कर अपना घाटा कम करना चाहिए। मध्य प्रदेश में ही पिछले बर्ष की तुलना में 200 प्रतिशत अधिक प्याज पैदा हुई है।
  • अभी राज्यों की सीमाऐं सील है तथा होटल, रेस्टोरेन्ट, ढाबे , मेस आदि बंद है तथा लोग त्यौहार घरों में मना रहे है अत: जून तक मांग कमजोर रहने की सम्भावना है। किसानों को आगामी खरीफ में इन फसलों की बोनी स्थानीय बाजार की मांग को देख कर ही करना चाहिए।
  • गल्ला उगाने वाले किसानों ने विगत वर्ष की तुलना में 3.6 प्रतिशत अधिक उपज पैदा की। सरकार यह गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य 1925 प्रति क्विटल के भाव से खरीद रही है। मध्य प्रदेश के किसान अब तक 22 हजार करोड़ का गेहूं बेच चुके है और खरीदी अभी जारी है। किसानों को अपना अच्छी क्वालटी का गेहूं सरकार को बेचें।
  • बाजार बंद होने से सभी तरह की जिंसों जैसे आटा, दालें, शक्कर आदि की मांग में 20 से 25 प्रतिशत की कमी बनी हुई है। यह कमी आगे भी रहेगी। अभी सभी तरह का निर्यात बंद है तथा करोना के कारण निर्यात की मांग पर क्या असर होगा अभी देखा जाना बाकी है तो किसानो को आगामी खरीफ में उन फसलों को अधिक बोना चाहिए जिन की मांग स्थानीय बाजार में अच्छी होती है। सरकार ने नाफेड को 5.5 लाख टन तुअर तथा 1.5 लाख टन मसूर दाल खरीदी का लक्ष्य दिया गया है। अत: किसानों को दालों में अच्छे भाव मिलेगे।
  • हाल ही में वित मंत्री द्वारा खेती को गति देने के लिए 16 सूत्रीय कार्यक्रम घोषित किया गया है जिस पर किसान संगठनों तथा बाजार ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। अत: यह अभी देखना होगा की राज्य इन योजनाओं का क्रियान्वयन घरती पर कैसे करते है।
  • अभी करोना के कारण मंडियों में काम काज के पुराने तौर तरीके लगभग पूरी तरह से बदल जाने वाले है। मध्य प्रदेश सहित अनेक राज्यों नें भारत सरकार के द्वारा 2017 में जारी मॉडल मण्डी एक्ट को अपना लिया है जिस में सम्पूर्ण राज्य को एक बाजार मान कर एक लाइसेंस जारी किया जावेगा। निजी मण्डियों की स्थापना को मंजूरी दी जावेगी, सभी कोल्ड स्टोरेज, वेयर हाउस, सायलोज आदि को उपमण्डी घोषित किया जावेगा जिससे किसान सीधे इन स्थानों पर अपनी उपज बेच सकेगे। मध्य प्रदेश में सौदा पत्रक के माध्यम से लाईसेंसधारी व्यापारी कही भी सौदा कर किसानों से सीधे माल ले सकेगे। उपज को मण्डी प्रागण तक लाने की बाध्यता नही होगी। भारत सरकार के ऑन लाईन ई मण्डी ई-नाम पोरर्टल से सभी मण्डियों को जोड़ा जावेगा जिस पर किसान ऑनलाईन इंटरनेट पर अपनी उपज कहीं के भी खरीददार को बेच सकेगे।
  • किसानों को यह नई तरह की व्यवस्था से बेचना तेजी से सीखना होगा। क्योकि अब 4 जी टेलीफोन की सेवाऐं गांव गांव मे उपलब्ध है तथा स्मार्टफोन भी हर जगह लोग उपयोग कर रहे है इससे इसे अपनाने में किसानों को दिक्कत नही है। अभी भी मण्डी के भाव एग मार्क नेट पोरर्टल पर उपलब्ध है। इसके अलावा एन सी डी एक्स, एन ई एम एल एन एम सी ई, एम सी एक्स, आदि पोर्टल पर भी किसान अपनी उपज बेच सकते है।
  • मध्य प्रदेश शासन के ई-उपार्जन पोर्टल पर अभी किसान हर दिन पंजीयन कर अपनी उपज बेच रहे है। भारत सरकार एवं राज्य सरकारें अनेक तरह का पैसा आज विभिन्न योजनाओं का गांववालों के खातों में सीधे आ रहा है और लोग उसे निकाल रहे है। आनलाईन भुगतान करना भी गांव के लोगों ने सीख लिया है। अत: मोबाईल का उपयोग कर किसान को उपज बेचना सीखना है। जो वह आसानी से कर लेगा। क्यो कि पैसा सब कुछ सिखा देता है।
  • इस का फायदा यह है कि किसान को बहुत बड़ा बाजार मिल जाता है, यह नेट पर 24 घन्टे कभी भी बेच सकता है, इस पर सही खरीददार को सही कीमत पर बेचना सम्भव है, बेचने के खर्चे में बचत हो जाती है, किसान की उपज की तुलाई एक साथ होने से फसल बरबाद नही होती है।
  • लेकिन अभी भी किसान के मन में तकनीकी का डर है जिसे दूर करना आवश्यक है। गांवों में उपज कीे ग्रेडिंग की व्यवस्था नही है और बिना ग्रेडिंग ऑन लाईन बेचना सम्भव नही है। ऑन लाईन खरीददार को बहुत बड़ी मात्रा में खरीद करना होती है जो छोटे किसानों के लिए सम्भव नही है अत: किसानों को एक जैसे ग्रेड की फसल को एक साथ मिल कर बेचना होगा। किसान हमेषा फसल आने पर त्वरित बिक्री करता है। इससे एक साथ बहुत अघिक उपज बेचने के लिए आ जाती है तो भाव बहुत गिर जाते है। अत: गांवों में भन्डारण तथा ग्रेडिंग की सुविधा होना आवश्यक है तथा बैंक भन्डारण की रसीद पर ऋण उपलब्ध करा दे ताकी किसान मजबूरी में फसल न बेचे।
  • मुझे उम्मीद है कि गांव के लोग तेजी से बदल रहे है और ऑन लाईन बेचने की जो चुनौतियां है उन पर बहुत लोग काम करेगे जिन में राज्य सरकारों के अलावा स्थानीय व्यापारी, मल्टी तथा नेशनल कम्पनियां, प्रस्ंसकरण कम्पनियां, थोक व्यापारी, निर्यातक कम्पनियां, तथा ई कॉमर्स की कम्पनियां सम्मिलित है।
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