State News (राज्य कृषि समाचार)

मिर्च की ब्रांडिंग अभिनव क्रांति ला सकती है : डॉ. पस्तोर

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रिटायर्ड कमिष्नर चिली फेस्टीवल में देंगे किसान उत्पादन संघ पर उद्बोधन

खरगोन। जैविक खेती और किसानों की आर्थिक स्थिति में बढ़ोत्तरी करने के लिए हमेषा से काम करने वाले डॉ. रविंद्र पस्तोर सेवानिवृत्त होने के बाद इसी क्षेत्र में किसानों को हर स्तर से सहयोग करने के लिए कंपनी ई-फसल (इलेक्ट्रॉनिक फार्मिंग सोलूषन एसोसिएषन) का निर्माण किया। वर्ष 2016 के सिंहस्थ उज्जैन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने से पूर्व ग्रामीण विकास विभाग मनरेगा में आयुक्त और पन्ना जिलें में कलेक्टर रहे डॉ. पस्तोर ने अपनी सेवा के दौरान खेती किसानी पर महत्वपूर्ण कार्य किए है। रूरल प्लॉनिंग से डॉक्टरेट कर चुके डॉ. पस्तोर ने सेवा के दौरान उज्जैन व षाजापुर जिलों में लघु व सिमांत किसानों के उत्पादक संघ बनवाएं। वर्ष 2017 में रिटायर्ड होने के बाद किसानों, खाद, बीज, छोटे किसान, व्यापारियों और युवा कृषि व मार्केटिंग विषेषज्ञों को लेकर ई-फसल का निर्माण किया। ई-फसल के माध्यम से उन्होंने हर स्तर पर किसानों को सहयोग किया है। उज्जैन व षाजापुर जिलों में स्वयं के प्रयासों से किसानों के संघ बनवाएं और कई बेरोजगार नवयुवकों को रोजगार भी उपलब्ध कराएं है। इनमें बीएससी (कृषि), बीबीए व एमबीए (मार्केटिंग) करने वाले विद्यार्थियों को किसानों के साथ जोड़कर न इन्हें सिर्फ रोजगार दिया, बल्कि किसानों को मार्केटिंग के गुढ़ रहस्य भी बताएं। कसरावद में आगामी 29 फरवरी व 1 मार्च को होने वाले चिली फेस्टिवल में डॉ. पस्तोर कृषि अर्थव्यवस्था में किसानों को अधिक मुनाफा कैसे हो? विषय पर उद्बोधन देंगे।

प्रदेश में निमाड़ के किसान प्रगतिषील

डॉ. पस्तोर ने मप्र में किसानों की तुलना करते हुए निमाड़ के किसानों को सबसे प्रगतिषील और बुंदेलखंड व बघेलखंड की तुलना में 50 व 60 वर्ष के आगे की खेती करने वाले किसान बताया है। उनका मानना है कि यहां के किसान पूरी तरह प्रगतिषील है। मिट्टी, खाद, बीज व पानी के संयोजन से उत्कृष्ट खेती करने की ओर बढ़ चुके है, लेकिन अब उन्हें मार्केटिंग करना भी सिखना होगा। क्योंकि वर्तमान दौर में यहीं वो विधा है, जिसमें किसान पिछड़ रहे है। चिली फेस्टीवल को लेकर उन्होंने कहा कि निमाड़ के कई ऐसे कृषि उत्पाद है, जो देष में अपनी अलग पहचान रखते है। उनमें से एक महत्वपूर्ण मसाला फसल मिर्च है। कुछ वर्षों से लगातार इस फसल को लेकर खरगोन, बड़वानी व धार जैसे जिलों ने निरंतर प्रगति की है और रकबा भी बड़ा है। मिर्च की अगर ब्रांडिंग सही तरीकें से हो जाए, तो इन क्षेत्रों के किसानों के लिए अभिनव क्रांति हो सकती है।

ई-फसल के माध्यम से जुड़े 1 लाख से अधिक किसान

डॉ. पस्तोर कमिष्नरी से सेवानिवृत्त होने के बाद किसानों को लाभांवित करने के लिए ई-फसल कंपनी का गठन किया और इस कंपनी से अब तक 1 लाख 25 हजार किसान जुड़े है। उनके द्वारा न सिर्फ सोयाबीन, प्याज बल्कि नींबू व संतरा का उत्पादन करने वाले किसानों के भी एफपीओ बनाएं है, जो आज अच्छी प्रगति करने लगे है। ई-फसल कंपनी के माध्यम से किसानों को अच्छी गुणवत्ता के न सिर्फ बीज बल्कि कृषि यंत्र भी उपलब्ध कराने के लिए कंपनियों को जोड़ा है। ई-फसल के साथ 41 बीज कंपनियां 15 उर्वरक व हजारों षिक्षित बेरोजगार विद्यार्थी भी जुड़े है।

 बिचौलिये खत्म होने पर किसानों को पूर्ण मुनाफा

डॉ. पस्तोर ने कृषि क्षेत्र में गहरा अध्ययन करने के बाद इस नतीजें पर पहुंचे है कि न सिर्फ मप्र में बल्कि पूरे देष में कृषि की जोत कम होने लगी है, जिससे लघु व सीमांत किसान बढ़ गए है। यह किसान होलसेलर, प्रोसेसर व एक्सपोर्टर की मांग पूरी नहीं कर पाते है। इसके अलावा ये किसान खेती में लगने वाला आदान भी आखिरी विक्रेता से खरीदता है और अपना उत्पाद भी उन्हें बेचते है। जिससे उनकी लागत बढ़ जाती है और उपज का सही दाम नहीं मिल पाता है। साथ ही मिट्टी व पानी का सही परीक्षण नहीं कराने से अपनी खेती की लागत बढ़ा लेता है और मनचाहा उत्पादन भी नहीं ले पाता है। किसान अपनी उपज बिचोलियों को बेचता है और बिचोलियों से ही कृषि आदान खरीदता है। इससे न सिर्फ घाटा होता है, बल्कि वास्तविक आदान भी नहीं मिल पाता है। चिली फेस्टीवल मिर्च की ब्रांडिंग के लिए एक सुनहरा मौका साबित होगा, जिससे किसानों की कृषि दृष्टि बढ़ेगी और युवा किसान प्रभावित होंगे।

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