राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

क्या खेती में लैंगिक समानता ला सकती है क्रांति? ICRISAT और CGIAR का बड़ा कदम

03 अप्रैल 2025, नई दिल्ली: क्या खेती में लैंगिक समानता ला सकती है क्रांति? ICRISAT और CGIAR का बड़ा कदम – खेती में लैंगिक समानता और सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देने के लिए एक खास दो हफ्ते का अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 21 मार्च 2025 को इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (ICRISAT) में खत्म हुआ। इस पहल का मकसद था रिसर्च और नीति-निर्माण में जेंडर-संवेदनशील तरीकों को शामिल करने के लिए लोगों को तैयार करना।

ये कार्यक्रम भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के इंडियन टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन (ITEC) प्रोग्राम के तहत हुआ, जिसमें ICRISAT की ड्राइलैंड एकेडमी ने भी साथ दिया। इसमें अफ्रीका, एशिया, ओशिनिया और कैरिबियन के 26 देशों से 35 लोग शामिल हुए, जिनमें 74% महिलाएं थीं। ICRISAT के रिसर्च प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ. विक्टर अफारी-सेफा ने कहा, “यहां मौजूद विविधता लैंगिक समानता के लिए वैश्विक प्रतिबद्धता दिखाती है। ये प्रशिक्षण समावेशी रिसर्च को बढ़ावा देगा।”

प्रशिक्षण में जेंडर और डायवर्सिटी, पावर डायनामिक्स और जेंडर डेटा जैसे टॉपिक्स पर चर्चा हुई। प्रतिभागियों ने औरेपल्ले गांव में सेल्फ-हेल्प ग्रुप्स और महिला उद्यमियों से मुलाकात की और ICRISAT की रिसर्च सुविधाओं को देखा।

खेती में महिलाओं की ताकत

ICRISAT के डायरेक्टर जनरल डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा, “खेती में 65% काम महिलाएं करती हैं। साइंस और टेक्नोलॉजी से चलने वाली खेती लैंगिक समानता का गेम-चेंजर बन सकती है। आने वाला कल युवाओं और टेक्नोलॉजी की खेती का होगा।” वहीं, CGIAR की डॉ. निकोलिन डी हान ने महिलाओं के अनदेखे श्रम पर जोर देते हुए कहा, “हमें अदृश्य को दिखाना होगा और नीतियों के जरिए बदलाव लाना होगा।”

बातों से आगे बढ़ें

CGIAR की डॉ. रंजीता पुस्कुर ने कहा, “हमें सिर्फ बातों से आगे बढ़कर जेंडर डायनामिक्स को बदलना होगा। बाधाओं को पहचानें और उन्हें दूर करें।” ICRISAT अब इन प्रतिभागियों को अपने एलुमनाई और ब्रांड एंबेसडर के तौर पर देखता है।

ये पहल खेती में लैंगिक समानता की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो न सिर्फ रिसर्च बल्कि समाज को भी बदल सकता है। क्या ये क्रांति का अगला कदम होगा?

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