संपादकीय (Editorial)

गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूती की मुहर

Share

गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूती की मुहर

गरीब कल्याण रोजगार अभियान

गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूती की मुहर – कोरोना जैसे संकट में जब पूरी दुनिया दहशत में थी, तब भारत के महानगरों से अपने घर जाने के लिए, लाखों-करोड़ों प्रवासी श्रमिक भी वापिस कूच कर गए। सरकार द्वारा चलाई गई विशेष श्रमिक रेलों से, बसों से, पैदल भी मजदूर परिवार सहित घर लौट चले। रास्ते की हर कठिनाई का सामना किया, सफर की हर मुश्किल झेली। उनका ये हौसला देखकर दुनिया दंग थी।

2-2 हजार किलोमीटर से वापिस अपने गांव-बसेरे पर लौटते, गरीबी और हाशिए पर खड़े प्रवासी मजदूरों के सामने रोजी-रोटी की पहाड़ सी समस्या मुंह बाये खड़ी थी। आजीविका का अभाव, गुजर-बसर की जद्दोजहद में राहत की राह देख रहे करोड़ों श्रमिकों के लिए भारत सरकार की ‘गरीब कल्याण रोजगार योजना’ प्रकाश स्तंभ के रूप में आयी। गत 20 जून को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कामगारों के घरों के निकट और ग्रामीण क्षेत्रों में वृहद और व्यापक स्तर पर रोजगार सृजन के लिए इस महती योजना का शुभारंभ किया। बिहार के खगडिय़ा जिले से शुरू हुआ ये अभियान राजस्थान के बाड़मेर जिले तक चलेगा।

प्रधानमंत्री की घोषणा के मुताबिक गरीब कल्याण रोजगार अभियान में स्थायी बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 50,000 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च की जाएगी। मिशन मोड में शुरू हुए इस अभियान में देश के 6 राज्यों के 116 जिले जिसमें 27 आकांक्षी जिले भी शामिल हैं। बिहार- 32 जिले, मध्यप्रदेश-24 जिले, उत्तर प्रदेश-31 जिले, राजस्थान-22 जिले, झारखंड-3 जिले और ओडिशा-4 जिले हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार अधिकांशत: बिहार, उ.प्र. से मजदूर देश के अन्य राज्यों में, महानगरों में काम की तलाश में जाते हैं। चैत कटाई के समय और बुवाई के वक्त, पंजाब, गुजरात, दक्षिण भारत के राज्यों में खेतिहर श्रमिकों की मांग बढ़ जाती है। इस रोजगार अभियान में केन्द्र सरकार के 12 विभिन्न मंत्रालयों, विभागों के तहत 25 चुनिंदा कार्य क्षेत्र चिन्हित किए गए हैं।

25 गतिविधियां

इस अभियान में जो 25 गतिविधियां शामिल की गई हैं- उसमें प्रमुख हैं- सामुदायिक स्वच्छता केन्द्र (सीएससी) का निर्माण, ग्राम पंचायत भवन निर्माण, जल संरक्षण और फसल कटाई कार्य, कुओं, तालाबों, राजमार्गों का निर्माण, पौधरोपण कार्य, बागवानी, आंगनबाड़ी केन्द्रों का निर्माण, ग्रामीण आवासीय कार्यों, ठोस और तरल कचरा प्रबंधन कार्य, मवेशी घरों, पोल्ट्री शेड्स व बकरी शेड का निर्माण, वर्मी कम्पोस्ट ढांचों का निर्माण, रेलवे, पीएम कुसुम, भारत नेट, पौधारोपण, पीएम ऊर्जा गंगा परियोजना, आजीविका के लिए केवीके प्रशिक्षण आदि। साथ ही इन जिले के ग्रामीण घरों की आधुनिक आवश्यकताओं को मद्देनजर रखते हुए इंटरनेट व्यवस्था और उसके केवल बिछाने के काम को भी शामिल किया गया है। देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है जब गांव में, शहरों से ज्यादा इंटरनेट इस्तेमाल हो रहा है। हमारे किसान भाई खेती-किसानी से जुड़ी आधुनिक और नवीन जानकारी के लिए स्मार्ट फोन पर गूगल करते हैं।

पंचायतीराज मंत्रालय से लेकर पेट्रोलियम मंत्रालय तक अपने विभिन्न विभागों और मैदानी इकाइयों के साथ समन्वित रूप से गरीब कल्याण रोजगार योजना में जुट गए हैं। एक अनुमान के मुताबिक पूरे देश से 8 करोड़ मजदूर अपने पैतृक स्थान अपने अपने घर लौटे, और उनकी ये घर वापिसी रिवर्स माइग्रेशन कहलायी।

वर्क नियर होम

कोरोना महामारी में जब अधिकांश कामकाजी लोग ‘वर्क फ्राम होम’ मोड में पहुंच गए हैं तो देश की ये गरीब, वंचित बड़ी आबादी को ‘वर्क नियर होम याने ‘घर के पास ही रोजगार’ से जोडऩे की ये कवायद ग्रामीण अर्थव्यवस्था को कितनी मजबूती देती है, ये केवल चार माह में सतह पर स्पष्ट रूप से दिखने लगेगा। भारत के प्रमुख त्यौहार दीपावली पर बाजारों में चकाचौंध लौटेगी तो इस अभियान की सफलता में कोई संदेह नहीं होगा। लॉकडाउन के चलते अपने रोजगार से वंचित हुए इन श्रमिकों को मनरेगा योजना के तहत काम दिया जाएगा।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी स्वीकार किया कि घर लौटी ये प्रतिभाएं, ये हुनरमंद लोग जब गांवों के विकास में अपना योगदान देंगे तो सुनिश्चित आमदनी का एक घर के आंगन में होगा।

ऐसा ही प्रसंग मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के एक गांव में हुआ जहां चाचा-भतीजे ने खेती के औजारों से लॉकडाउन में कुआं खोद लिया और अब पूरा गांव उस कुएं का उपयोग कर रहा है। ये दोनों प्रसंग श्रमिक वर्ग की जिजीविषा, जीवंतता, संवेदनशीलता, प्रतिदान की भावना और ‘परहित सरस धर्म’ की अभिनव प्रेरक मिसाल देते हैं। इस अक्षुण्य मानव शक्ति, श्रम, ऊर्जा के समुचित संयोजन के लिए ये गरीब कल्याण रोजगार अभियान अत्यंत सामयिक कदम है।

म.प्र. के 24 जिले

इस महती योजना में लगभग आधा मध्यप्रदेश याने राज्य के 24 जिले शामिल हैं। इसमें 4 आकांक्षी जिले भी हैं। गरीब कल्याण राजगार अभियान मध्यप्रदेश के 24 जिलों में बालाघाट, झाबुआ, टीकमगढ़, छतरपुर, रीवा, सतना, सागर, पन्ना, भिण्ड, अलिराजपुर, बैतूल, खण्डवा, शहडोल, धार, डिण्डोरी, कटनी, छिंदवाड़ा, सिवनी, मंडला, खरगोन, शिवपुरी, बड़वानी, सीधी और सिंगरौली शामिल हैं। म.प्र. के चयनित जिलों में कुछ कृषि में अग्रणी हैं, कुछ विकास की धारा से छिटके हैं, कुछ बुनियादी सुविधाओं में अभी भी पीछे की पंक्ति में हैं।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था- ‘भारत गांवों में बसता है।’ अगर गांव समृद्ध नहीं हुए तो भारत भी समृद्ध नहीं होगा। यदि गांवों की कायापलट कर दी जाए तो समूचे राष्ट्र का विकास संभव हो सकेगा। वर्ष 2020 के मार्च, अप्रैल, मई की तिमाही देश के महानगरों में काम में जुटे, रोजी की तलाश में लगे श्रमिक वर्ग के लिए चिंताओं का समंदर ले आई। कोरोना के कारण शुरू हुए लॉकडाउन ने इन पीडि़तों के जीवन में परेशानियों का पर्वत खड़ा करा दिया। आमदनी के सूख गए। 50 हजार करोड़ रु. की ये गरीब कल्याण रोजगार अभियान योजना करोड़ों, वंचितों, खेतिहर श्रमिकों, दिहाड़ी मजदूरों की मुश्किलें काफी हद तक आसान कर देगी और उम्मीद है ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी एक ठोस संबल देगी।

देश के विकास में इस ‘अभियान’ का इंजिन नई गति देगा, उम्मीदों का अनंत आकाश फैलाएगा। इस अभियान का प्रभावी क्रियान्वयन योजनाबद्ध तरीके से हो, नियमित मॉनीटरिंग हो और जमीनी स्तर पर अमल के लिए शासकीय मशीनरी में मानवीय परिप्रेक्ष्य हो, संवेदना और सरोकार हो, यही अपेक्षित है। कोरोना से उपजे इस संकट और देश में शहरी-ग्रामीण आबादी के मिटते भेद, दूसरी ओर अमीरी-गरीबी की बढ़ती खाई के साथ अर्थव्यवस्था में मौजूद ढांचागत असंतुलन के निराकरण में ये प्रयास कितने सफलीभूत होंगे, ये भविष्य के गर्भ में है।

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *