फसल की खेती (Crop Cultivation)उद्यानिकी (Horticulture)

गर्मी के मौसम में फायदे से भरपूर जुकिनी (तुरई)

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प्रेषक – डाॅ. विशाल मेश्राम, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र नरसिंहपुर; डाॅ. सुनील कुमार जाटव, वैज्ञानिक (पौंध प्रजनन); डाॅ. निधि वर्मा, वैज्ञानिक (सस्य विज्ञान); डाॅ. विजय सिंह सूर्यवशी, कार्यक्रम सहायक; डाॅ. आशुतोष शर्मा, वैज्ञानिक (कृषि वानिकी); डाॅ. एस.आर. शर्मा, वैज्ञानिक (पौंध सरंक्षण); डाॅ. प्रशांत श्रीवास्तव, वैज्ञानिक (कृषि अभियांत्रिकी), कृषि विज्ञान केन्द्र नरसिंहपुर |

26 अप्रैल 2024, नरसिंहपुर:- गर्मी के मौसम में फायदे से भरपूर जुकिनी (तुरई) – जुकिनी एक ऐसी सब्जी है जो खाने में जितनी स्वादिष्ट है गुणों में भी उतनी ही पौष्टिक है। खासतौर से गर्मी के मौसम में आनेवाली इस सब्जी को अपनी डेली डायट का हिस्सा बनाना चाहिए। क्योंकि यह गर्मी के कारण होनेवाले रोगों से तो हमें बचाती ही है साथ ही जवां बनाए रखने में भी मदद करती है। जुकिनी एक ऐसी सब्जी है जो फाइबर और न्यूट्रिशंस से भरी हुई होती है। खासतौर पर गर्मी के मौसम में होनेवाली सेहत संबंधी कई समस्याओं से हमें बचाने के लिए इसमें सभी जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जुकिनी एक तरह की तोरी ही होती है लेकिन इसका रंग, आकार और बाहरी छिलका कद्दू जैसा होता है। साथ ही जुकिनी आमतौर पर हरे और पीले रंग की होती है।

इसके हैं कई नाम

जुकिनी को तोरी, तुरई और नेनुआ जैसे नामों से भी जाना जाता है। हालांकि तुरई का अंग्रेजी नाम भी जुकिनी (नबबीपदप) ही है। तुरई कई तरह की होती हैं, जिन्हें आम भाषा में मोटे छिलके की तोरी, पतले छिलके की तोरी और जुकिनी या मोटी तुरई कहते हैं।

जो खीरे की तरह दिखाई देता हो, जरूरी नहीं कि वह खीरा ही हो। यह एक तुरई (जूकीनी) हो सकती है! आमतौर पर पास्ता और पिज्जा में इस्तेमाल होने वाली खीरे जैसी दिखने वाली यह सब्जी आपने देखी होगी। आप सोच रहे होंगे कि यह विदेशी सब्जी कौन सी है भला या शायद आप पहले से ही जानते हैं, कि यह तुरई (जूकीनी) ही है।

तुरई (जूकीनी) को दुनिया भर में समर स्क्वैश या कोरगेट के रूप में भी जाना जाता है। तुरई (जूकीनी) लंबाई में एक मीटर (100 सेमी) तक बढ़ सकती है, लेकिन इसे बहुत कम लंबाई (15-25 सेमी) में ही काट लिया जाता है, जो इसकी संभावित लंबाई से लगभग आधी या उससे भी कम है। इसका वैज्ञानिक नाम कुकुर्बिटा पेपो है और यह स्क्वैश और कद्दू (पम्पकिन) परिवार से आती है। यह हल्के या गहरे हरे रंग की होती है। तुरई (जूकीनी) की कुछ हाइब्रिड किस्में गहरे पीले या नारंगी रंग की हो सकती हैं, इसे गोल्डन तुरई (जूकीनी) के नाम से भी जाना जाता है।

हालांकि तुरई (जूकीनी) के लिए मई से अगस्त तक का मौसम प्रमुख माना जाता है, लेकिन अब तुरई (जूकीनी) साल भर उपलब्ध रहती है। यह पतली, बेलनाकार सब्जी होती है जो तने की ओर से संकरी होती है। तुरई (जूकीनीध्समर स्क्वैश) पतली, कोमल छिलके और खाने योग्य बीजों वाली समर स्क्वैश की तुलना में विंटर स्क्वैश का बाहरी छिलका मोटा होता है। इसका गूदा मीठा, थोड़ा कोमल और हल्के पीले रंग का होता है। तुरई (जूकीनी) फूल आने के 2-7 दिनों के अंदर बढ़ना शुरू कर देती है और इसे जल्दी से काट लिया जाता है क्योंकि इसके बाद, इसका स्वाद कड़वा होने लगता है।

गोल्डन तुरई (जूकीनी) और ग्लोब या गोल तुरई (जूकीनी) तुरई (जूकीनी) की अन्य नई किस्में हैं। तुरई (जूकीनी) को अक्सर मैरो स्क्वैश मान लिया जाता है, जिसे वेजिटेबल मैरो (यह आमतौर पर ब्रिटेन और आयरलैंड में उगायी जाती है) के रूप में भी जाना जाता है। हालांकि, मैरो स्क्वैश सफेद धारियों वाली बड़ी और गोल होती है।

तुरई (जूकीनी) के पोषक तत्व:-

तुरई (जूकीनी) में मौजूद पोषक तत्वों का प्रतिशत

क्रं.पोषक तत्वसामग्री (प्रतिशत में)
1पानी95.6
2कार्बोहाइड्रेट्स2.69
3प्रोटीन1.14
4फैट्स0.36
5शुगर1.17
6फाइबर1
7कैल्शियम0.018
8पोटैशियम0.264

तुरई (जूकीनी) में पाए जाने वाले अन्य खनिज:-

1.मैग्नीशियम 2. फास्फोरस 3. आयरन 4. सोडियम 5. जिंक 6. मैंगनीज 7. सेलेनियम

तुरई (जूकीनी) में पाए जाने वाले अन्य विटामिन:-

थायमिन (विटामिन बी1) 2. राइबोफ्लेविन (विटामिन बी2) 3. नियासिन (विटामिन बी3) 4. पैंटोथेनिक एसिड (विटामिन बी5) 5. पाइरिडॉक्सिन (विटामिन बी6) 6. फोलेट 7. विटामिन सी (एस्कॉर्बिक ऐसिड)

तुरई (जूकीनी) के गुण:-

विभिन्न पोषक तत्वों और बायोएक्टिव कंपाउंड्स होने के कारण तुरई (जूकीनी) में ये गुण पाए जाते हैं जैसे:-

● इसमें एंटीमाइक्रोबियल गुण हो सकते हैं
● इसमें एंटीवायरल गुण हो सकते हैं
● इसका शक्तिशाली एनाल्जेसिक प्रभाव (दर्द कम करने वाली) हो सकता है
● यह एक एंटीऑक्सीडेंट हो सकती है
● इसमें कैंसररोधी क्षमता वाली (कैंसर कोशिकाओं से लड़ने वाली)
● इसमें जलन-रोधी गुण हो सकते हैं (सूजन कम करने में मदद मिल सकती है)
● यह सर्दी और दर्द में आराम दे सकती है
● यह एंटी-प्रोलिफरेटिव हो सकती है (यानी क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकती है)
● प्रो-एपोप्टोटिक हो सकती है (यानी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट करने में मदद कर सकती है)

संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए तुरई (जूकीनी) के संभावित उपयोग:-

मानव स्वास्थ्य के लिए तुरई (जूकीनी) के कुछ संभावित उपयोग निम्नलिखित हो सकते हैं:-

जवां बनाए रखती है जुकिनी

जुकिनी ऐंटिऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है। इसलिए यह हमारी त्वचा पर हमारी उम्र के कारण होनेवाले दाग-धब्बे और फाइन लाइन्स का असर नहीं होने देती। साथ ही त्वचा में झुर्रियां होने से भी रोकती है।

आंखों की दिक्कत से बचाए

गर्मी के मौसम में आमतौर पर आंखों में दो कारण से ही ड्राइनेस होती है। एक तो गर्म हवाओं के कारण बढ़ती खुश्की यानी रुखेपन से और दूसरे शरीर में होनेवाली पानी की कमी से। जुकिनी में 80 से 90 प्रतिशत तक पानी होता है। इसलिए यह सब्जी शरीर में पानी का स्तर बनाए रखने में मदद करती है। यानी शरीर को हाइड्रेट रखती है। जुकिनी आंखों के लिए इसलिए भी लाभदायक होती है क्योंकि यह अन्य न्यूट्रिऐंट्स के साथ ही विटमिन-ए से भी भरपूर होती है। विटमिन-ए हमारे शरीर में रुखापन नहीं आने देता और सूजन को रोकता है। यानी आंखें ड्राईनेस और पफीनेस दोनों से बची रहती हैं।

इन रोगों में है लाभकारी

जुकिनी हमारे शरीर में गर्मी के कारण होनेवाले रूखेपन को रोकने के साथ ही हमारी हड्डियों को मजबूत रखने, बीपी को नियंत्रित रखने, ब्लड फ्लो को बनाए रखने और टाइप-2 डायबीटीज जैसी बीमारियों को रोकने में मदद करती है।

डाबीटीज से ऐसे बचाती है

जुकिनी में स्टार्च ना के बराबर होता है और यह फाइबर से भरपूर होती है। ऐसे में अगर इसका सेवन अपनी डेली डायट में किया जाए तो यह टाइप-2 डायबीटीज का शिकार होने से हमें बचाती है।

बीपी बढ़ने से रोकती है

हाई बीपी की बीमारी से बचाए रखने और यदि किसी को यह बीमारी है तो उसकी तकलीफें बढ़ने से रोकने का काम भी जुकिनी करती है। क्योंकि यह सब्जी पोटैशियम से भरपूर होती है। पोटैशियम हमारी रक्त धमनियों यानी ब्लड वैसल्स को क्लीन और चैड़ा रखने का काम करता है। इससे बॉडी में ब्लड फ्लो को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

पाचन तंत्र को सही रखती है

पाचन तंत्र को सही रखने के लिए फाइबर युक्त डायट बहुत जरूरी होती है। जुकिनी में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है। इस कारण यह अपच, गैस और खट्टी डकारों की समस्या से हमें बचाती है।

हड्डियों को मजबूत करती है

जुकिनी में मौजूद ऐंटिऑक्सीडेंट्स, मैग्नीशियम और विटमिन-के जैसी खूबियां। मैग्नीशियम और विटमिन-के हमारी हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए जरूरी होते हैं। इसके अलावा मैग्नीशियम और ऐंटिऑक्सीडेंट्स हमारी मांसपेशियों को कमजोर होने से रोकते हैं।

मोटापा बढ़ने से रोकती है

यह हमारे शरीर में एक्स्ट्रा फैट को जमा होने से भी रोकती है। क्योंकि फाइबर को पचाने में बहुत अधिक वक्त लगता है जबकि ऊर्जा लगातार मिलती है। इसलिए हम गैर जरूरी चीजें खाने से बच जाते हैं। यानी नो क्रेविंग।

कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखती है

यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में भी मददगार है। क्योंकि इसमें हाई सॉल्यूबल फाइबर होते हैं, जो कॉलेस्ट्रॉल के बढ़ते स्तर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण रोल अदा करते हैं।

घावों के लिए तुरई (जूकीनी) के संभावित उपयोग

कद्दू (पम्पकिन) के बीज का तेल असल में तुरई (जूकीनी) के बीज से प्राप्त किया जाता है। इससे चूहों में घाव भरने की क्षमता का पता चला है । इस तेल में उच्च मात्रा में फैटी एसिड होते हैं। हालांकि कद्दू (पम्पकिन) के बीज का तेल जानवरों के घावों को ठीक करने में कारगर हो सकता है, पर मनुष्यों में इसके उपयोग की पुष्टि होना अभी बाकी है।

यूरिनरी ट्रैक्ट के संक्रमण (यूटीआई) में तुरई (जूकीनी) का संभावित उपयोग

तुरई (जूकीनी) प्रोस्टेट के बढ़ने (मामूली प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया) के कारण कम यूटीआई के लक्षणों को दूर करने में मदद कर सकती है। डैमियानो द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि तुरई (जूकीनी) खाने से मूत्र प्रवाह और जीवन में संभावित सुधार आया।

स्ट्रेस यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस दूर करने में तुरई (जूकीनी) का संभावित उपयोग

महिलाओं में तनाव के कारन होने वाली मूत्र से संबंधित परेशानी (एसयूआई) दूर करने की क्षमता के लिए तुरई (जूकीनी) के रस का 2 अन्य कंपोनेंट (इक्विसेटम अर्वेन्स और लिनम यूसिटाटिसिमम) की जांच की गई। 86 महिलाओं पर किए गए छोटे से अध्ययन में यह पाया गया कि उनमें बाथरूम कम जाने और रिसाव (यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस) के पीछे तुरई (जूकीनी) के बीज का अर्क का सेवन हो सकता है। हालांकि, कुछ महिलाओं ने सिरदर्द, पेट फूलना और गैस्ट्रिक जैसी विपरीत समस्याओं के बारे में बताया। इसलिए, इन दावों की पुष्टि करने के लिए और अधिक शोध किए जाने की जरुरत है।

पेट के कीड़ों के संक्रमण से बचने के लिए तुरई का संभावित उपयोग

अध्ययन में पाया गया है कि मनुष्यों और पशुओं दोनों को संक्रमित करने वाले नेमाटोड के रूप में जाने जाने वाले पैरासाईटिक कीड़ों को नष्ट करने में तुरई (जूकीनी) असरदार साबित हुई है। तुरई (जूकीनी) के असर को दिखाने के लिए दो पैरासाईट (सी. एलिगेंस और एच. बेकरी) पर अध्ययन किया गया। एक अध्ययन से पता चला है कि तुरई (जूकीनी) के अलग-अलग अर्क (गर्म पानी का अर्क, ठंडे पानी का अर्क और इथेनॉल अर्क) में कुकुर्बिटेन, अमीनो एसिड जैसे बायोएक्टिव यौगिक, फैटी एसिड आदि होते हैं जो सी एलीगंस और एच. बाकेरी के खिलाफ काम कर सकता है।

कैंसर के लिए तुरई (जूकीनी) का संभावित उपयोग

डीएनए में होने वाले नुकसान को रोकने में तुरई (जूकीनी) की क्षमता और इसके एंटी-जीनोटॉक्सिसिटी का मनुष्यों में बड़े पैमाने पर शोध किया गया है। यह कैंसर सेल्स के विकास को रोक सकता है। ऐसा इसकी संभावित एंटी-प्रोलिफेरेटिव और एंटीऑक्सीडेंट गतिविधियों के कारण हो सकता है। हालांकि, यह किसी भी तरह से कैंसर का 100 प्रतिशत इलाज या रोकथाम नहीं है। कैंसर जैसी गंभीर समस्या की पहचान और इलाज डॉक्टर द्वारा किया जाना चाहिए। इसलिए, कृपया इस बारे में सही सलाह के लिए डॉक्टर से परामर्श लें।

तुरई (जूकीनी) के अन्य संभावित उपयोग

तुरई (जूकीनी) इनके लिए भी काम की हो सकती है:-

● वजन को नियंत्रित रखने में
● शरीर में फैट के संतुलन के लिए
● डायबिटीज
● दिल की बीमारी
● आंखों के रोग

हालांकि बहुत से अध्ययन हुए हैं जो विभिन्न स्थितियों में तुरई (जूकीनी) के संभावित उपयोग के बारे में बताते हैं, लेकिन इनसे पूरी जानकारी नहीं मिलती है और मानव स्वास्थ्य पर इसके वास्तविक लाभ की सीमा को जानने के लिए और अधिक शोध किए जाने की आवश्यकता है।

तुरई (जूकीनी) का सेवन कैसे करें

तुरई (जूकीनी) का बहुत प्रकार से सेवन किया जा सकता है:-

इसे कच्चा खाया जा सकता है |

● काटकर सलाद के रूप में
● हल्के गर्म सलाद में पकाया जा सकता है (जैसे थाई या वियतनामी भोजन में)
● भरवां रोटी में
● भाप में पकाकर
● उबाल कर
● भून कर
● सेंक कर
● बारबेक्यू किया हुआ
● तला हुआ
● सूफ्ले में शामिल करके
● तुरई (जूकीनी) के फूलों का भरवां और “टेम्पुरा” के रूप में तल कर एक स्वादिष्ट व्यंजन के रूप में भी सेवन किया जाता है।

व्यक्ति अपनी रचनात्मकता के अनुसार तुरई (जूकीनी) को विभिन्न तरीकों से व्यंजनों में शामिल कर सकता है। हालांकि तुरई (जूकीनी) का खीरे से गहरा संबंध है, पर खीरे को कच्चा ही खाया जाता है और तुरई (जूकीनी) आमतौर पर पकाकर खाई जाती है।

तुरई (जूकीनी) के संभावित स्वास्थ्य लाभों के लिए इसका सेवन करने से पहले आपको एक अच्छे डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। किसी अच्छे डॉक्टर से परामर्श किए बिना अपने डॉक्टर द्वारा बताए गए आधुनिक इलाज के स्थान पर आयुर्वेदिक/हर्बल लेना बंद या शुरू न करें।

तुरई (जूकीनी) के दुष्प्रभाव:-

मानव स्वास्थ्य पर तुरई (जूकीनी) के दुष्प्रभावों को जानने के लिए और अधिक शोध किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि इसके लिए पूरा डेटा उपलब्ध नहीं है। इसलिए तुरई (जूकीनी) को सावधानी से और सामान्य मात्रा में खाना चाहिए। तुरई (जूकीनी) के संभावित उपयोग और स्वास्थ्य पर इसके संभावित दुष्प्रभावों के बारे में डॉक्टर से परामर्श करना बेहतर रहेगा।

तुरई (जूकीनी) के सेवन में बरते जाने वाली सावधानियां:-

तुरई (जूकीनी) को आमतौर सब्जी के रूप में खाया जाता है। हालांकि, शोध अपर्याप्त होने के कारण गर्भावस्था, स्तनपान के साथ-साथ बच्चों और बुजुर्गों के मामले में इसके सुरक्षित उपयोग के बारे में अभी भी पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है। इसलिए, इसका उपयोग करने से पहले सुरक्षा की पुष्टि करना आवश्यक है।

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