उत्तरप्रदेश के किसानों के लिए गेंहू की 45 सिंचित किस्में, जानिए गुण व विशेषतांए
23 अक्टूबर 2023, नई दिल्ली: उत्तरप्रदेश के किसानों के लिए गेंहू की 45 सिंचित किस्में, जानिए गुण व विशेषतांए – देश के कई हिस्सों में खरीफ फसल की कटाई चल रही हैं। इसके बाद रबी सीजन की प्रमुख फसल गेंहू की शुरूआत हो जायेगी। गेंहू उत्तरप्रदेश के किसानों के लिए एक अहम फसल हैं। इसका कुल क्षेत्र पूरे भारत में पहले स्थान पर हैं। देश में गेहूं का सबसे अधिक उत्पादन 5 राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में होता है। देश के कुल खाद्यान उत्पादन में गेहूं का योगदान लगभग 37 प्रतिशत है |
गेंहू की खेती सिंचित व असिंचित दोनों क्षेत्रों में की जाती हैं। इसलिए भारतीय कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा अलग-अलग मिट्टी एवं जलवायु क्षेत्रों के अनुसार कई किस्में विकसित की गई है। ताकि किसान गेंहू की अच्छी उपज ले सके। नीचे कुछ विकसित किस्में एवं उनकी विशेषताएं हैं। किसान अपने क्षेत्र के अनुसार इन किस्मों का चयन कर सकते हैं।
किस्मों की विशेषतांए
क्र० | प्रजाति | नोटीफिकेशन की तिथि | उत्पादकता कु०/हे० | पकने की अवधि दिन | पौधे की ऊँचाई से०मी० | रोगों से अवरोधिता |
1 | देवा (के०-9107) | 1/1/1996 | 45-50 | 130-135 | 105-110 | रतुआ झुलसा एवं करनाल बंट के लिए अवरोधी |
2 | के०-0307 | 6/2/2007 | 55-60 | 125-100 | 85-95 | |
3 | एच०पी०-1731 (राजलक्ष्मी) | 4/5/1995 | 55-60 | 130-140 | 85-96 | तदैव |
4 | नरेन्द्र गेहूं-1012 | 15-05-98 | 50-55 | 135-140 | 85-95 | तदैव |
5 | उजियार (के०-9006) | 15-05-98 | 50-55 | 130-135 | 105-110 | |
6 | एच०यू०डब्लू०-468 | 9/6/1999 | 55-60 | 130-140 | 85-95 | |
7 | डी०एल०-784-3 (वैशाली) | 17-08-93 | 45-50 | 130-135 | 85-90 | |
8 | यू०पी०-2382 | 6/4/1999 | 60-65 | 135-140 | 95-100 | |
9 | एच०पी०-1761 | 9/9/1997 | 45-50 | 135-140 | 90-95 | |
10 | डीबीडब्लू-17 | 2007 | 60-65 | 125-135 | 95-100 | रतुआ अवरोधी |
11 | एच०यू०डब्लू०-510 | 1998 | 50-55 | 115-120 | – | |
12 | पी०बी०डब्लू०-443 | 2000 | 50-55 | 125-135 | 90-95 | |
13 | पी०बी०डब्लू०-343 | 1997 | 60-65 | 125-140 | 90-95 | |
14 | एच०डी०-2824 | 2003 | 55-60 | 125-135 | 90-100 | |
15 | सी०बी० डब्लू०-38 | 2008 | 57-60 | 112-129 | 80-105 | |
16 | के०-1006 | 2014 | 55-60 | 120-125 | 88-90 | रतुआ एवं झुलसा अवरोधी |
17 | के०-607 | 2014 | 55-60 | 120-125 | 85-88 | |
18 | के०402 | 2013 | 55-60 | 120-125 | 85-88 | रतुआ, झुलसा अवरोधी |
19 | डी०बी०डब्लू-39 | 2009 | 55-60 | 121-125 | 80-105 | रतुआ, झुलसा अवरोधी |
20 | एच०डी०2967 | 2012 | 55-60 | 122-125 | 90-95 | – |
21 | पी०बी०डब्लू-502 सिंचित दशा (विलम्ब से बुआई हेतु) | 2004 | 45-60 | 126-134 | 80-90 | – |
22 | डी०बी०डब्लू-14 | 2002 | 40-45 | 108-128 | 70-95 | |
23 | एच०यू० डब्लू-234 | 14-05-88 | 35-45 | 110-120 | 85-90 | |
24 | एच०आई०-1563 | 2010 | 40-45 | 110-115 | 85-90 | रतुआ अवरोधी |
25 | सोनाली एच०पी०-1633 | 4/11/1992 | 35-40 | 115-120 | 115-120 | |
26 | एच०डी०-2643 (गंगा) | 19-06-97 | 35-45 | 120-130 | 85-95 | |
27 | के०-9162 | 2005 | 40-45 | 110-115 | 90-95 | |
28 | के०-9533 | 2005 | 40-45 | 105-110 | 85-90 | |
29 | एच०पी०-1744 | 9/9/1997 | 35-45 | 120-130 | 85-95 | |
30 | नरेन्द्र गेहूं-1014 | 15-05-98 | 35-45 | 110-115 | 85-100 | रतुआ एवं झुलसा अवरोधी |
31 | के०-9423 | 2005 | 35-45 | 85-100 | 85-90 | |
32 | के०-7903 | 2001 | 30-40 | 85-100 | 85-90 | |
33 | नरेन्द्र गेहूं-2036 | 2002 | 40-45 | 110-115 | 80-85 | रतुआ अवरोधी |
34 | यू०पी०-2425 | 6/5/1999 | 40-45 | 120-125 | 90-95 | |
35 | एच०डब्लू०-2045 | 2002 | 40-45 | 115-120 | 95-100 | रतुआ झुलसा अवरोधी |
36 | नरेन्द्र गेहूं-1076 | 2002 | 40-45 | 110-115 | 80-90 | तदैव |
37 | पी०बी०डब्लू-373 | 1997 | 35-45 | 120-135 | 85-90 | |
38 | डी०बी०डब्लू-16 | 2006 | 40-45 | 120-125 | 85-90 | |
39 | ए०ए०आई० डब्लू-6 ऊसरीली भूमि के लिए | 2014 | 35-40 | 110-115 | 105-110 | लीफ रस्ट अवरोधी |
40 | के०आर०एल०-1-4 | 15-05-90 | 30-45 | 130-145 | 90-100 | |
41 | के०आर०एल०-19 | 2000 | 40-45 | 130-145 | 90-100 | |
42 | के०-8434(प्रसाद) | 2001 | 45-50 | 135-140 | 90-95 | |
43 | एन०डब्लू०-1067 | 25-08-2005 | 45-45 | 125-130 | 90-95 | रतुआ अवरोधी |
44 | के०आर०एल०-210 | 2009 | 35-45 | 112-125 | 65-70 | रतुआ अवरोधी |
45 | के०आर०एल०-213 | 2009 | 35-40 | 117-125 | 60-72 | रतुआ अवरोधी (रस्ट) |
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