फसल की खेती (Crop Cultivation)

जानिए, भारत ने निर्यात किया 716 करोड़ का शहद

17 मार्च 2023, नई दिल्ली: जानिए, भारत ने निर्यात किया 716 करोड़ का शहद – शहद और मधुमक्खी पालन का भारत में एक लंबा इतिहास रहा है। शहद प्राचीन भारत में बसे पत्थरीले आश्रयों और जंगलों में चखा गया सबसे पहला मीठा खाद्य पदार्थ था। मधुमक्खी पालन उद्योग के लिए कच्चे माल के रुप में मुख्य रुप से पराग और मकरंद का प्रयोग होता है जो कि फूल पौधों से प्राप्त होता है। भारत में प्राकृतिक और वनस्पति खेती दोनों में मधुमक्खी पालन को विकसित करने की अधिकाधिक क्षमता उपलब्ध है । लगभग 500 प्रजाति के फूल पौधे, जंगली और खेती किए गए दोनों प्रजातियां पराग और मकरंद के स्त्रोतों के रूप में उपयोगी हैं ।

मधुमक्खियों की कम से कम चार प्रजातियां हैं और डंकरहित मधुमक्खियों की तीन प्रजातियां हैं इनमें से मधुमक्खियों की कई उप-प्रजातियां और नस्लें अब समाप्त हो चुकी है । हाल के वर्षों में विदेशी मधुमक्खी का परिचय दिया गया है। एक साथ मिलकर ये मधुमक्खियां जीव जंतुओं की विस्तृत विविधता का प्रतिनिधित्व करती हैं जिनका देश में शहद उद्योग के विकास के लिए प्रयोग किया जाता है । स्वदेशी और पारंपरिक पित्ती के साथ लकड़ी (कुंद), मिट्टी के बर्तन, दीवार के आलों, टोकरियों और विभिन्न आकार और बनावट के डिब्बों  के कई प्रकार होते हैं ।

किस्में :

रेप्सीड / सरसों का शहद, नीलगिरी शहद, लीची शहद, सूरजमुखी शहद, करंज/ पोंगमिआ शहद, मल्टी-फ्लोरा हिमालयी शहद, बबूल शहद, जंगली वनस्पति शहद, मल्टी और मोनो फ्लोरा शहद आदि प्राकृतिक शहद की कुछ प्रमुख किस्में है।

उत्पादन के क्षेत्र :

भारत के उत्तरी पूर्वी भाग और महाराष्ट्र प्राकृतिक शहद उत्पादन के लिए प्रमुख क्षेत्र है।

भारत का शहद – तथ्य एवं आंकड़े :

भारत ने वर्ष 2020-21 के दौरान विश्व में 716.13 करोड़ रुपए याने 96.77 मिलियन अमरीकी डॉलर मूल्य का  60 हजार  मीट्रिक टन प्राकृतिक शहद का निर्यात किया।

प्रमुख आयातक देश  (2020-21) : संयुक्त राज्य अमरीका, सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बांग्लादेश |

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