फसल की खेती (Crop Cultivation)

गेहूं में जड़ माहो का नियंत्रण कैसे करें

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गेहूं किसानों को वैज्ञानिक सलाह

  • डॉ. ए.के. सिंह – कृषि प्रसार, मो.: 8319369491
  • डॉ. के.सी. शर्मा – सस्य विज्ञान, मो.: 9200239785
  • डॉ. डी.के. वर्मा. – पादप प्रजनन, मो.: 9419033482
  • डॉ. जे.बी. सिंह. – पादप प्रजनन, मो.: 9752159512
  • डॉ. प्रकाश टी.एल. – पादप रोग विज्ञान, मो.: 8817605807
  • डॉ. राहुल गजघाठे – पादप प्रजनन, मो.: 8317036658
  • डॉ. उपेन्द्र सिंह – सस्य विज्ञान, मो.: 7987353704

14 दिसम्बर 2022, भोपाल । गेहूं में जड़ माहो का नियंत्रण कैसे करें –

  • गेहूं के लिए सामान्यतया नत्रजन, स्फुर व पोटाश-4:2:1 के अनुपात में देें। सीमित सिंचाई में 80:40:20, सिंचित खेती में 40:70:35 तथा देर से बुवाई में 100:50:25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के अनुपात में उर्वरक दें।
  • पूर्ण सिंचित खेती में नत्रजन की आधी मात्रा तथा स्फुर व पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई से पहले मिट्टी में ओरना (3-4 इंच गहरा) चाहिये। शेष बचे हुए नत्रजन की आधी-आधी मात्रा 20 दिन तथा 40 दिन बाद सिंचाई के साथ देें।
  • खेत के उतने ही हिस्से में यूरिया का भुरकाव करें, जितने में उसी दिन सिंचाई दे सकें। जहाँ तक संभव हो यूरिया बराबर से फैलायें।
  • गेहूं की अगेती खेती में (मध्य क्षेत्र की काली मिट्टी तथा 3 सिंचाई की खेती में) पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद, दूसरी 35-45 दिन तथा तीसरी सिंचाई 70-80 दिन की अवस्था में करना पर्याप्त है।
  • पूर्ण सिंचित समय से बुवाई में 20-20 दिन के अंतराल पर 4 सिंचाई करें।
  • आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने पर फसल गिर सकती है, दानों में दूधिया धब्बे आ जाते हैं तथा उपज कम हो जाती है।
  • बालियाँ निकलते समय फव्वारा विधि से सिंचाई न करें अन्यथा फूल खिर जाते हैं, दानों का मुँह काला पड़ जाता है व करनाल बंट तथा कंडुवा व्याधि के प्रकोप का डर रहता है।
  • अधिक सर्दी वाले दिनों में पाले से बचाव के लिए फसलों में सिप्रंकलर के माध्यम से हल्की सिंचाई करें, थायो यूरिया की 500 ग्राम मात्रा का 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें अथवा 8 से 10 किलोग्राम सल्फर पाउडर प्रति एकड़ का भुरकाव करें अथवा घुलनशील सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें।
  • किसान भाई अगर खरपतवार नाशक का उपयोग नहीं करना चाहते हैं तो डोरा, कुल्पा व हाथ से निंदाई-गुड़ाई 40 दिन से पहले दो बार करके खरपतवार खेत से निकाल सकते हैं।
  • श्रमिक उपलब्ध न होने पर, चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार के लिए 2,4-डी की 0.65 किलोग्राम या मेटसल्फ्यूरॉन मिथाइल की 4 ग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के 30-35 दिन बाद जब खरपतवार 2-4 पत्ती वाले हों, छिडक़ाव करें।
  • संकरी पत्ती वाले खरपतवार के लिए क्लोडिनोफॉप प्रौपरजिल 60 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 25-35 दिन की फसल में जब खरपतवार 2-4 पत्ती वाले हों, छिडक़ाव करें।
  • दोनों तरह (चौड़ी पत्तियाँ व संकरी पत्तियाँ) के खरपतवार के लिए खरपतवारनाशक मैटसल्फ्यूरॉन मिथाइल की 4 ग्राम तथा क्लोडिनोफॉप प्रौपरजिल 60 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से मिलाकर टिंक मिक्स) 25-35 दिन की फसल में छिडक़ाव करने से दोनों तरह के खरपतवार पर नियंत्रण किया जा सकता है।
  • देरी से बुवाई के लिये एच.डी. 2932 (पूसा), पूसा अहिल्या (एचआई 634), जे.डब्ल्यू. 1202, जे.डब्ल्यू. 1203, एम.पी. 3336, राज. 4238 इत्यादि प्रजातियों की बुवाई करें तथा बोवनी 31 दिसम्बर तक अवश्य कर दें।
  • खेत में गेहूं के पौधे के सूखने अथवा पीले पडऩे पर तुरन्त विशेषज्ञ की सलाह लेकर उसका शीघ्र उपचार करें ।

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