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आम के भभूतिया रोग से हानि हो रही है, बचाव के उपाय बतायें।

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समाधान

  • आम में भभूतिया रोग ओईडियम मेन्जीफेरी नामक फफूंद से होता है। यह पुष्पगुछ, पत्तियों तथा फलों की नई कोशिकाओं पर आक्रमण करती है, जिससे सर्वप्रथम छोटे धब्बों के रूप में सफेद पाउडर के रूप में दिखते हैं जो आपस में मिल कर बड़े आकार में दिखने लगते हैं। पुरानी पत्तियों व फलों में ये बैंगनी भूरे धब्बों में परिवर्तित हो जाते हैं। नई पत्तियां नीचे की ओर मुड़ जाती है। इससे फसल पूर्णत: नष्ट भी हो सकती है।
  • इसके प्रकोप को वर्ष प्रति वर्ष कम करने के लिये इस रोग से ग्रसित पत्तियों को इकट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए। अति ग्रसित पुष्प गुच्छ को निकाल कर नष्ट कर दें।
  • पोटेसियम व फास्फेट उर्वरकों का प्रयोग अनुशंसा अनुसार करे इससे प्रकोप कम होगा। पोटेसियम डाईहाईड्रोजन फास्फेट के छिड़काव से भी इसका प्रकोप कम होता है। इसे काबलिन व एसकोर अम्ल के साथ भी छिड़का जा सकता है। इसके जैविक नियंत्रण के लिये परजीवी फफूंद एम्पीकोयाइसज क्यूसकलिसा का छिड़काव भी इसके लिए प्रभावी है।
  • इसके नियंत्रण के लिये पहला छिड़काव घुलनशील गंधक के 0.1 प्रतिशत का जब पुष्पगुच्छ 3-4 इंच का हो, दूसरा छिड़काव डाईनोकेप के 0.1 प्रतिशत का पहले छिड़काव के 15-20 दिन बाद करें। तीसरा छिड़काव ट्राईडिमार्फ के 0.1 प्रतिशत का करे। पूर्ण फूल अवस्था में छिड़काव न करें।

– कैलाश, सिवनी मालवा

आम के प्रमुख रोग – नियंत्रण

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