किसानों को चना फसल में कीटव्याधि नियंत्रण के उपाय करने की सलाह
मन्दसौर। उप संचालक, किसान कल्याण तथा कृषि विकास, मन्दसौर ने रबी फसलों में लगने वाले कीटव्याधि रोग नियत्रंण हेतु जिले के किसान को समसामयिक सलाह दी है। उन्होने बताया कि विभिन्न प्राकर से फसलों को बचाया जा सकता हैं।
कृषि कार्य : गर्मी के समय खेत की गहरी जुताई करें। शुद्ध चने के बीजों की बुवाई करें। क्षेत्र में एक ही समय चने की बुवाई करें। रसायनिक खाद का उचित मात्रा में प्रयोग करें।
यांत्रिकी विधि : पौधों को हिलाकर इल्लियों को गिरायें व एकत्र कर नष्ट कर देना चाहिए। प्रकाश प्रपंच लगायें। फेरोमेन प्रपंच लगायें। खेत में चिडि़ओं को बैठने की व्यवस्था करें।
जैविक विधि : एन.पी.वी. 250 एल.ई./ हेक्टेयर तथा गुड़ 0.05 प्रतिशत व 0.1 प्रतिशत डिटरजेन्ट पावडर का मिश्रण बनाकर शाम को फसल पर छिड़केेंं। बेसिलस थूरेंजियन्सीस 1 किलोग्राम/ हे. तथा टिनोपाल 0.1 प्रतिशत व गुड़ 0.05 प्रतिशत का छिड़काव करें।
जैव-पौध पदार्थों के छिड़काव : निंबोली सत 5 प्रतिशत का छिड़काव करें। नीम तेल या कंरज तेल 10-15 मि.ली. + मि.ली. टिनोपाल को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। निम्बेसिडिन 0.2 प्रतिशत या अचूक 0.05 प्रतिशत का घोल बनाकर छिड़काव करें। 250 ग्राम लहसुन, 1 किलो हरी मिर्च का घोल बनाकर छिड़काव करें। अकउआ की पत्ती+बेसरम की पत्ती+नीम की पत्ती+ कंरज की पत्ती+धतूरे की पत्ती सभी की मात्रा एक-एक किलो लेकर काढ़ा बनाकर छिड़कें।
रसायनिक नियंत्रण: आवश्यकता पडऩे पर ही इन रसायनिक दवाओं का छिड़काव या भुरकाव करें, कीटों के रसायनिक नियंत्रण के लिये क्विनॉलफॉस 1.5 प्रतिशत प्रति हेक्टेयर के मान से भुरकाव करें, या क्विनालफॉस 25 ई.सी. 0.05 प्रतिशत या क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. 0.6 प्रतिशत या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी. 800-1000 एम.एल. 500-600 लीटर पानी के साथ मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।