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मुख्यमंत्री जी, म.प्र. में कृषि आदान विक्रेताओं के विरूद्ध की जा रही अवैधानिक कार्यवाही को रोकें

माननीय महोदय,
म.प्र. कृषि आदान विक्रेता संगठन के सदस्य पूरे मध्यप्रदेश में खाद, बीज एवं कीटनाशक दवाईयों का क्रय-विक्रय करते हुए प्रदेश में कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने में राज्य सरकार के उद्देश्य की पूर्ति करते हुए कृषकों की सहायता करते हैं।
हमारे सदस्य सिर्फ उन्हीं कंपनियों के खाद, बीज एवं कीटनाशक दवाईयों का क्रय-विक्रय करते हैं, जिन्हें केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा मध्यप्रदेश में अपने उत्पादों को बेचने की अनुमति प्रदान की जाती है और वह भी प्रत्येक जिले में कृषि विभाग से लायसेंस प्राप्त करके ही व्यापार किया जाता है। हमारे सदस्यों की दुकानों से प्रतिवर्ष नियमानुसार उत्पादों के सेम्पल लिये जाते हैं और उन्हें सरकारी लेब में परीक्षण के लिये भेजा जाता है।
परीक्षण के उपरांत प्राप्त रिपोर्ट में नमूने 1 या 2 प्रतिशत की मात्रा में अमानक होने पर म.प्र. में पिछले 2-3 माह से विक्रेताओं के विरूद्ध लायसेंस निरस्त किए जाकर एफ.आई.आर. की कार्यवाही की जा रही है, जो कि तीनों अधिनियमों की किसी भी धारा में उल्लेखित नहीं है। कृषि विभाग द्वारा की जा रही समस्त कार्यवाही अवैधानिक है।
पूर्व में भी पूरे देश में जो प्रकरण न्यायालय में गये हैं, उन सभी में कोर्ट ने यह निर्णय दिये हैं कि यदि कंपनी के मूल उत्पाद को अधिकृत विक्रेता से बिल से प्राप्त करके बिना छेड़छाड़ के विक्रय किया जाता है तो अमानक होने पर विक्रेता को दोषी नहीं माना जा सकता है।
प्रथम दृष्ट्या ऐसे प्रकरण में दोषी या तो निर्माता कंपनियां होती हैं या वे परिस्थितियां होती हैं जो कि सेम्पलिंग करते समय निर्धारित प्रक्रिया को पूरी नहीं करती है। कंपनी के गोदाम से व्यापारी के गोदाम तक परिवहन के दौरान भी प्राकृतिक कारणों से गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है, लेकिन म.प्र. में कृषि विभाग द्वारा ऐसे सभी प्रकरणों में विक्रेताओं को दोषी मानकर सीधे एफ.आई.आर. दर्ज करवाई जा रही है। अमानक और नकली दोनों शब्दों के अंतर को समझना अति आवश्यक है। लेब रिपोर्ट में कहीं भी यह उल्लेखित नहीं होता है कि उत्पाद नकली या अपमिश्रित है। सिर्फ उसे (नॉन स्टेंडर्ड) अमानक कहा जाता है। साथ ही यह भी उल्लेखनीय है कि बिना लायसेंसी के विरूद्ध कृषि विभाग के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है जो कि कृषकों को जैविक के नाम पर नकली खाद गांव-गांव में देकर गायब हो जाते हैं। इसी प्रकार यदि सहकारी सोसायटी से नमूने लिये आते हैं और वे अमानक आते हैं तो उनके विरूद्ध भी कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
अत: हमारे सदस्यों की ओर से निवेदन है कि –

  • कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया जाये कि नकली और अमानक के अंतर को समझकर वे इस प्रकार की अवैधानिक कार्यवाही को तत्काल रोकें और नियमानुसार जो कार्यवाहियां पिछले 25-30 वर्षों से अमानक के प्रकरणों में की जा रही है, उन्हीं आधारों पर अमानक श्रेणी के प्रकरणों का निपटारा हो।
  • बिना लायसेंस वाले व्यापारियों पर सख्त कार्यवाही करें।
  • सोसायटी एवं मार्कफेड के विरूद्ध भी वैधानिक कार्यवाही हो।
  • अमानक बैच नंबर को प्रतिबंधित किया जाये, पूरे लायसेंस को नहीं।
  • क्वालिटी कन्ट्रोलर और लेब इंचार्ज के विरूद्ध कार्यवाही की जाये।
  • मध्यप्रदेश में रबी सीजन में यूरिया को 80:20 के अनुपात को समाप्त किया जाये और स्थायी रूप से 50: 50 किया जाये या पूर्ण रूप से मुक्त किया जाये।
  • म.प्र. में दानेदार सुपर फास्फेट पर निजी क्षेत्र के लिये लगाया गया प्रतिबंध तत्काल हटाया जाये।

आशा है माननीय महोदय हमारे सदस्यों की समस्याओं पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करके उनके उचित समाधान के लिये कृषि विभाग के प्रमुखों को निर्देशित करने का कष्ट करेंगे ताकि प्रदेश के कृषि आदान  व्यापारी निर्भीक होकर अपना व्यापार एवं व्यवसाय कर सकें और पिछले तीन वर्षों की भांति मध्यप्रदेश को भविष्य में भी कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त करने में सरकार एवं किसानों की सहायता करते रहे और माननीय प्रधानमंत्रीजी के इस नारे को ‘सक्षम किसान-समृद्ध भारतÓ और अगले पांच वर्षों में कृषि की आय को दो गुना करना है, को साकार करने में अपना सक्रिय सहयोग प्रदान कर सकें।

  • लेखराज खत्री, संजय रघुवंशी
    उज्जैन जिला खाद, बीज, दवाई विक्रेता संघ, उज्जैन
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