मौसम आधारित बीमा लापता
बागवानी किसानों को इंतजार
05 सितंबर 2020, भोपाल। मौसम आधारित बीमा लापता- जिस प्रकार से देश चल रहा है, ईश्वर पर विश्वास दिनों दिन मजबूत होता जा रहा है। जीडीपी के नए आंकड़ों के मुताबिक देश में जो क्षेत्र पानी से ऊपर है, वो केवल कृषि है। परंतु सरकार 70 साल में नहीं सुधरी, और आने वाले 70 सालों में भी सुधरने के लक्षण नहीं है। आग लगने पर कुआं खोदने की तर्ज पर फसल खराब होने पर बीमा कंपनी चुनने की याद आती है, किसान बीमे का प्रीमियम नहीं भर पाता तो तारीख बढ़ाने की याद आती है। खेती की फसलों पर ध्यान सारा लगाते हैं, फल-फूल पीछे छूट जाते हैं। हाल में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने उद्यानिकी वेबिनार में भविष्य की रणनीति का खुलासा करते हुए बताया कि उद्यानिकी विकास का रोडमैप बनाएंगे। मुख्यमंत्री की बात से ये तो तय हो गया कि अभी हमारे पास वर्तमान की कोई कार्ययोजना नहीं है। उन्होंने ये भी बताया कि मध्यप्रदेश में 21 लाख हे. में उद्यानिकी फसलें होती हैं और लगभग 3 करोड़ टन उपज मिलती हैं। म.प्र. का संतरा, धनिया, अंगूर, मिर्ची, मटर मशहूर हैं। परंतु किसान मजबूर है, लाचार है। मौसम की मार है। सरकार भी रणनीति बना रही है।
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बागवानी फसलों के लिये प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत आने वाली मौसम आधारित फसल बीमा अधिसूचना के लिये किसान अभी भी इंतजार में हैं, जबकि प्रदेश में मौसम नित नये रंग दिखा रहा है, जिसका असर बागवानी फसलों पर भी दिखाई दे रहा है। मिर्च की खेती के लिये प्रसिद्ध खण्डवा जिले में असामान्य वर्षा के कारण मिर्च की फसल खराब हो गई। ग्राम निमाड़ खेड़ी के प्रगतिशील कृषक श्री कृष्णपाल सिंह मौर्य बताते हैं कि इस क्षेत्र में लगभग 40-50 हजार हेक्टेयर में वायरस के कारण मिर्च की फसल खराब हो गई। वहीं संतरे की फसल पर भी मौसम की मार पड़ी है। छिंदवाड़ा जिले की पाण्डुर्ना तहसील के ग्राम बाड़ी खाता के किसान श्री उमेश खोड़े कहते हैं जल्दी आई बारिश से संतरे की फसल को नुकसान हुआ, आम की फसल में फल झड़ गये। फसल बीमा के संबंध में बैंक अथवा उद्यानिकी विभाग के अधिकारी संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रहे हैं। बुरहानपुर में केले की फसल पर क्यूकंबर मोजेक वायरस का अटैक हो रहा है। फसल बीमा के संबंध में विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जिला स्तर पर कोई आदेश निर्देश नहीं मिले हैं।
सूत्र बताते हैं कि मौसम आधारित बागवानी फसलों के बीमा के लिये उद्यानिकी विभाग द्वारा बीमा कम्पनियों से 4 बार टेण्डर बुलाए जा चुके हैं लेकिन अभी कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। किसान, बैंक अधिकारी और विभागीय मैदानी अमला सभी असमंजस में हैं। फसल बीमा के लिये राज्य शासन द्वारा घोषित अंतिम तिथि 31 अगस्त भी निकल चुकी है। लेकिन अभी तक मौसम आधारित फसल बीमा योजना का नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है। फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन में इस तरह की लापरवाही से ही किसानों का भरोसा इस योजना से उठता जा रहा है। जिसके कारण इस कृषक हितैषी योजना पर अब प्रश्र चिह्न लगने लगे हैं। केन्द्र की इस महत्वाकांक्षी योजना का राज्य में क्रियान्वयन सही तरीके से हो तो किसान भी इसमें रूचि लेंगे और उन्हें इस योजना का उचित लाभ मिल पायेगा।
फिलहाल प्रदेश का खरीफ मौसम समाप्ति की ओर है लेकिन मौसम आधारित फसल बीमा योजना के पल्लवित होने का मौसम कब आयेगा? इसका जवाब ढूंढने के लिये प्रदेश का बागवानी किसान भटक रहा है।
कलेक्टर भी मांग रहे दिशा-निर्देश
मौसम आधारित फसल बीमा योजना के लागू होने में विलंब से जिलों के कलेक्टरों सहित बैंक और विभाग का मैदानी अमला भी चिंतित और परेशान हो रहा है। इसी क्रम में खरगोन कलेक्टर ने भी उद्यानिकी विभाग के आयुक्त को अर्धशासकीय पत्र भेजा है। जिसमें इस योजना में विलंब के कारण आ समस्याओं का हवाला देते हुए दिशा-निर्देश मांगे गये हैं।
इंदौर संभाग में 34 हजार हैक्टेयर की उद्यानिकी फसलें खराब
उद्यानिकी फसलों में अग्रणी मालवा निमाड़ क्षेत्र के केवल इंदौर संभाग में ही लगभग 34 हजार हे. की उद्यानिकी फसलें खराब हो चुकी हैं। इन फसलों में नुकसान का प्रतिशत 33 से 50 प्रतिशत तक है। इसमें लगभग 1136.60 हे. की फसल अतिवृष्टि से और 32846 हे. की फसलें कीट-व्याधियों से प्रभावित हुई है। इंदौर संभाग में केला, मिर्च, टमाटर, कद्दू, धनिया, फूल गोभी, पत्ता गोभी, पालक, प्याज, लौकी, गिलकी, करेला, अमरूद, नीबू आदि उद्यानिकी फसलें लगाई जाती हैं।