State News (राज्य कृषि समाचार)

सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह

Share

02 अगस्त 2023, इंदौर: सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह – भा.कृ.अनु.प.-भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान, इंदौर द्वारा 31 जुलाई से 6 अगस्त 2023  की अवधि के लिए सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह दी गई है, जो इस प्रकार है –

सोयाबीन की खेती किये जाने वाले क्षेत्रों में  उन्हीं  कीट एवं रोगों का प्रकोप बना हुआ है, जो पिछले सप्ताह देखे गए। अतः सोया कृषकों को सलाह है कि वे निम्न बिन्दुओं में दी गई जानकारी अनुसार लक्षणों को पहचान कर तुरंत कीट/रोग नियंत्रण के उपाय अपनाएं  एवं साथ ही यह सलाह भी है कि निम्नानुसार सुरक्षात्मक उपाय अपनाकर कीट/रोगों से होने वाले नुकसान से अपनी फसल को बचाएं –

सुरक्षात्मक उपाय

1 – तम्बाकू की इल्ली एवं चने की इल्लियों के नियंत्रण हेतु बाजार में उपलब्ध कीट-विशेष फेरोमोन ट्रैप या प्रकाश प्रपंच  लगाएं , इनके सेप्टा लगाने से पूर्व अपने हाथ स्वच्छ  है ,यह सुनिश्चित करें।  इसके साथ- साथ एन.पी.वी. (250 एल.ई) का छिडकाव भी किया जा सकता है।

2  –  जैविक सोयाबीन उत्पादन करने वाले कृषकों को सलाह है कि पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर, तम्बाकू की इल्ली ) से फसल की सुरक्षा एवं प्रारंभिक अवस्था में ही रोकथाम हेतु बेसिलस थुरिन्जिएन्सिस अथवा ब्युवेरिया बेसिआना या नोमुरिया रिलेयी (1.0 ली./हेक्टे) का छिडकाव करें।

3 -कीट-भक्षी पक्षियों द्वारा इल्लियों को खाने से होने वाले नियंत्रण को और सुविधाजनक बनाने हेतु  सोयाबीन फसल में पक्षियों की बैठने हेतु “T” आकार के बर्ड-पर्चेस  लगाएं , इससे कीट-भक्षी पक्षियों द्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है।

4 वायरस जनित पीला मोज़ेक/सोयाबीन मोजेक रोगों से सुरक्षा हेतु इन रोगों को फैलाने वाले रस चूसक  कीट सफ़ेद मक्खी/जासिड के नियंत्रण के लिए अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।

5 -अपने खेत की नियमित निगरानी करें एवं खेत में जाकर 3-4 स्थानों के पौधों को हिलाकर सुनिश्चित करें कि क्या आपके खेत में किसी इल्ली/कीट का प्रकोप हुआ है या नहीं और यदि  है , तो कीड़ों की अवस्था क्या  है ? तदनुसार उनके नियंत्रण के उपाय अपनाएं।

6 – सोयाबीन की फसल घनी होने पर चक्र भृंग का प्रकोप अधिक होने की सम्भावना होती है. इसके लिएप्रारंभिक अवस्था में ही (एक सप्ताह के अन्दर) दो रिंग दिखाई देने वाली ऐसी मुरझाई/लटकी हुई ग्रसित पत्तियों को तने से तोड़कर जला दे या खेत से बाहर करें।

7 – कई क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा होने की  सूचनाएं प्राप्त हुई हैं, कृषकों को सलाह है कि जलभराव से होने वाले नुकसान से सोयाबीन फसल को बचाने हेतु अतिरिक्त जल-निकासी सुनिश्चित करें।

8  – अपने खेतों में चूहें के नियंत्रण के उपाय  अपनाएं इसके लिए अनुशंसित फ्लोकोउमाफेन 0.005%ब्लाक बेट (Strom) 15-20 बेट प्रति हेक्टेयर की दर से चूहों द्वारा बनाये गए छेदों के आसपास रखें।

कीट/रोग/खरपतवार नियंत्रण हेतु सलाह

1  – कीट एवं रोगों से फसल सुरक्षा हेतु उपयुक्त रसायनों का छिडकाव किया जाना चाहिए, भले ही सोयाबीन फसल  फूल आने की अवस्था में हो।

2  – महाराष्ट्र के मराठवाडा क्षेत्र में विगत वर्षो से घोंघे (snails-slugs/गोगलगाय) द्वारा सोयाबीन की पत्तियों को खाने की समस्या बढती जा रही हैं. कृषकों को सलाह हैं कि वे सतर्क रहे एवं अपने खेतो में सतत निगरानी करते रहे. इसके लिए गुड के साथ मेटालडिहाइड 2.5% सूखे पेलेट का द्रावन बनाकर जूट के बोरे को इस द्रावन में भिगोकर अपने खेत में रात को रखे एवं अगले दिन निरिक्षण करें. साथ ही सुरक्षात्मक रूप से अपने खेत के चारों ओर  चूने की लकीर डालकर घोंघे को आने से रोके।  समस्या अधिक होने पर सोयाबीन के लिए अनुशंसित कीटनाशक जैसे मेलाथिओंन 50 ईसी. (1500 मिली/हे) या इन्डोक्साकार्ब 15.8 इ.सी. (333 मिली/हे) का फसल एवं जमीन पर छिडकाव करें।

3  –  लगातार बारिश होने वाले क्षेत्रों में एन्थ्राक्नोज नामक फफूंदजनित रोग के लक्षण दिखाई देने पर सलाह  है कि नियंत्रण हेतु शीघ्रातिशीघ्र टेबूकोनाजोल 25.9 ई.सी. (625 मिली/हे) या टेबूकोनाझोल 10%+सल्फर 65%WG (1250 ग्राम/हे) जैसे अनुशंसित फफूंदनाशकों का अपने फसल पर छिडकाव करें।

4 – इसी प्रकार कुछ क्षेत्रों में रायजोक्टोनिया एरिअल ब्लाइट नामक फफूंदजनित रोग के लक्षण दिखाई देने पर सलाह है कि नियंत्रण हेतु अनुशंसित फफूंदनाशक पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20% WG (375-500 ग्रा/हे) फफूंदनाशकों का अपने फसल पर छिडकाव करें।

5 – पीला मोज़ेक/सोयाबीन मोज़ेक रोग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फ़ैलाने वाले वाहक सफ़ेद मक्ख/एफिड की रोकथाम हेतु एसिटेमीप्रीड 25%+बायफेंथ्रिन 25%WG (250ग्रा./हे) का छिडकाव करें। इसके स्थान पर पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन (125मिली/हे) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे) का भी छिडकाव किया जा सकता हैं।  इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता ह।  यह भी सलाह है कि सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेत कृषकगणअपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।

6  – चक्र भृंग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि प्रारंभिक अवस्था में ही आइसोसायक्लोसरम 9.2% W/W Dc(10% W/V) DC (600 मिली/हे) या एसिटेमीप्रीड 25%+बायफेंथ्रिन 25%WG (250ग्रा./हे) या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली/हे) या थायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी. (750 मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी (1 ली./है) या इमामेक्टीन बेन्जोएट (425 मिली/ है ) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल18.5 एस.सी 18.50 % SC (150 मिली/हे) का छिड़काव करें। यह भी सलाह दी जाती है कि इसके फैलाव की रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर  नष्ट कर दें।

 7 -बिहार हेयरी कैटरपिलर के नियंत्रण हेतु सलाह है कि प्रारंभिक अवस्था में ही झुण्ड में रहने वाली इन  इल्लियों को पौधे सहित खेत से निष्कासित करें एवं फसल पर लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 04.90 % CS  (300 मिली/हे.) या इंडोक्साकार्ब 15.80 % EC (333 मिली/हे.) छिडकाव करें।

8 – अगले एक माह तक पत्ती खाने वाले कीटों से सुरक्षा हेतु 15-20 दिन की फसल में या फूल आने से पूर्व तक की समयावधि में क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली/हे) का छिडकाव करें. इससे अगले 30 दिनों तक पर्णभक्षी कीटों से सुरक्षा मिलेगी।

9  – तना मक्खी के नियंत्रण हेतु सलाह है कि लक्षण दिखाई देने पर पूर्वमिश्रित कीटनाशक आइसोसायक्लोसरम 9.2 WW.DC (10% W/V) DC (600 मिली/हे.) या थायोमिथोक्सम 12.60%+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350  मिली./हे.) या इंडोक्साकार्ब 15.8 ई.सी. (333 मि.ली.) का छिड़काव करें।

10  – जहाँ पर एक साथ पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर/तम्बाकू/चने की इल्ली) तथा रस चूसने वाले कीट जैसे सफ़ेद मक्खी/जसीड एवं तना छेदक कीट (तना मक्खी/चक्र भृंग) प्रकोप हो, इनके नियंत्रण हेतु पूर्व मिश्रित कीटनाशक जैसे क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (200 मिली./हे.) या थायोमिथोक्सम 12.60%+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125  मिली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) का छिडकाव करें।

11  –  जहाँ  पर तीनों प्रकार की पत्ती खाने वाली इल्लियाँ हो, इनके एक साथ नियंत्रण के लिए निम्न में से किसी भी एक रसायन का छिडकाव करें : एसिटेमीप्रीड 25%+बायफेंथ्रिन 25%WG (250ग्रा./हे) या ब्रोफ्लानिलाइड 300 g/l एस.सी. (42-62 ग्राम/हे), या फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी (150 मि.ली.) या इंडोक्साकार्ब 15.8 एस. सी (333 मि.ली/हे ), या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी., (250- 300मिली/हे) या नोवाल्युरोन + इन्डोक्साकार्ब 04.50 % एस. सी. (825-875 मिली/हे) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी, (150 मि.ली./हे ) या इमामेक्टिन बेंजोएट 01.90 (425  मि.ली./हे), या फ्लूबेंडियामाइड 20 डब्ल्यू.जी (250-300 ग्राम/हे) या लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.90सी. एस. (300 मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी.(1 ली/हे) या स्पायनेटोरम 11.7 एस.सी (450  मिली/हे), या पूर्वमिश्रित बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/है) या पूर्वमिश्रित थायमिथोक्सम़ + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली./है) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 % +लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.60 % ZC, (200 मिली/हे) का छिडकाव करें।

12 –  वर्तमान में सोयाबीन फसल लगभग 30-45 दिनों की हो गई है. इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए अब खरपतवार नियंत्रण हेतु केवल हाथ से निंदाई किये जाने की सलाह दी जाती है।

सामान्य सलाह

1 सोयाबीन फसल पर पौध संरक्षण के लिए अनुशंसित रसायनों (कीटनाशक/फफूंद नाशक) के छिडकाव में पर्याप्त पानी की मात्रा(नेप्सेक स्प्रयेर या ट्रेक्टर चालित स्प्रयेर से 450 लीटर/हे पॉवर स्प्रेयर से 125 लीटर/हे न्यूनतम) का उपयोग करें।

2 – कीट एवं रोगों से फसल सुरक्षा हेतु उपयुक्त रसायनों का छिडकाव किया जाना चाहिए, भले ही सोयाबीन फसल  फूल आने की अवस्था में हो।

3 – किसी भी प्रकार का कृषि-आदान क्रय करते समय  दुकानदार से हमेशा पक्का बिल लें जिस पर बैच नंबर एवं एक्सपायरी दिनांक स्पष्ट लिखा हो।

 4  -ऐसे रसायन (कीटनाशक/खरपतवारनाशक/फफूंदनाशक) जो सोयाबीन फसल में उपयोग हेतु भारत सरकार के केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड द्वारा जारी  सूची में शामिल नहीं है , उपयोग नहीं करें।

5 -जिन रसायनों (कीटनाशक/खरपतवारनाशक/फफूंदनाशक) के मिश्रित उपयोग की वैज्ञानिक अनुशंसा या पूर्व अनुभव नहीं है, ऐसे मिश्रण का उपयोग कदापि नहीं करें।  इससे फ़सल को नुकसान हो सकता है

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्राम )

Share
Advertisements