State News (राज्य कृषि समाचार)

मध्य प्रदेश में ‘स्वॉइल टेस्टिंग लैब’ बनी ‘सफेद हाथी’

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108 करोड़ के भवन हो रहे खण्डहर

03 जनवरी 2024, भोपाल(अतुल सक्सेना): मध्य प्रदेश में ‘स्वॉइल टेस्टिंग लैब’ बनी ‘सफेद हाथी’ – मध्य प्रदेश में किसानों को मिट्टी परीक्षण की सुविधा देकर उनकी उपज बढ़ाने के उद्देश्य से केन्द्र प्रवर्तित स्वॉईल हेल्थ कार्ड योजना चलाई जा रही है, जिसके माध्यम से किसान के खेत की मिट्टी की जांच कर उसमें उपस्थित पोषक तत्वों की जानकारी स्वॉईल हेल्थ कार्ड में दी जाती है और किसान उसके मुताबिक कम तत्वों की पूर्ति कर भरपूर उत्पादन ले सकते हैं। यही सुविधा किसानों को ब्लॉक स्तर तक सरलता से उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश में 265 नई मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाएं बनाने का निर्णय लिया गया था जिस पर लगभग 108 करोड़ खर्च करने के बाद भी केवल भवन का निर्माण हुआ है न उपकरण है और न ही स्टॉफ। भवन खण्डहर होता जा रहा है और महंगे उपकरण धूल खा रहे हैं तथा किसानों को लम्बा फासला तय कर जिला स्तर पर मिट्टी परीक्षण कराना पड़ रहा है।

इन हालात में किसानों की आय तथा उत्पादन कैसे बढ़ेगा यह विचारणीय प्रश्न है। ज्ञातव्य है कि वर्तमान में कृषि विभाग की 50 तथा कृषि विश्व विद्यालय तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों की 28 सहित कुल 78 मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाएं कार्य कर रही हंै जो पर्याप्त नहीं है। प्रत्येक विकासखंड में लगभग 40 लाख रुपये की लागत से बनी 265 प्रयोगशालाओं में ताला लटक रहा है, न तो स्टॉफ की भर्ती हुई है और न ही उपकरण खरीदे गए हैं। ऐसी स्थिति में भवन खण्डहर होते जा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक विभाग की लापरवाही से स्टॉफ की भर्ती नहीं हुई है क्योंकि कई बार फाईल शासन स्तर तक पहुंचाने के बाद भी कोई मंजूरी नहीं हुई, टीप पर टीप लगाकर फाईल वापस कर दी गई।

राज्य में 265 मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं को चलाने का मामला पहले विधानसभा में भी उठ चुका है। जिस पर तत्कालीन कृषि मंत्री ने कहा था कि उपकरण एवं अमले की व्यवस्था के लिए कार्यवाही की जा रही है शीघ्र ही प्रयोगशालाएं शुरू होंगी परन्तु अब तक किसानों को ब्लॉक स्तर पर यह सुविधा उपलब्ध नहीं हो पायी है। जबकि लैब का भवन बने लगभग 6 वर्ष बीत गए हैं 108 करोड़ खर्च हो गए हैं, नतीजा शिफर रहा है।

अब प्रयोगशालाओं की कहानी में नया मोड़ आ गया है। सूत्रों के मुताबिक रायसेन जिले में बने हुए भवनों में अतिक्रमण होने की खबर है, वहीं दीवारों पर गोबर के कंडे बनाए जा रहे हैं। कहीं पालतू पशुओं को बांधा जा रहा है और कहीं गोदाम के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा है। यही स्थिति कई जिलों में है, क्योंकि प्रयोगशाला भवनों में ताले लटक रहे हैं और जहां खुले हैं वहां गलत उपयोग हो रहा है। दूसरी तरफ केन्द्र सरकार स्वॉईल हेल्थ मैनेजमेंट एवं स्वॉईल हेल्थ कार्ड जैसी कृषक उपयोगी योजनाएं चलाकर किसानों को उनके खेत की मिट्टी के स्वास्थ्य की, पोषक तत्वों की जानकारी देने के लिए अभियान चला रही है, वहीं म.प्र. जैसे राज्य में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाएं बंद पड़ी हंै, किसानों को जिला मुख्यालय तक दौड़ लगानी पड़ रही है जिससे मिट्टी परीक्षण हो सके।अब किसानों को नई सरकार से नए वर्ष में उम्मीद है कि उन्हें शीघ्र ही ब्लाक स्तर पर मिट्टी परीक्षण की सुुविधा प्राप्त होगी, बशर्ते भवन खण्डहर न हो जाएं।

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