राज्य कृषि समाचार (State News)

मिट्टी के साथ भोजन को भी सुरक्षित रखने का संकल्प लें

05 दिसम्बर 2022, इंदौर: मिट्टी के साथ भोजन को भी सुरक्षित रखने का संकल्प लें – धरती की ऊपरी सतह जिसे मृदा या  मिट्टी कहा जाता है। इससे हमारा गहरा नाता है। मिट्टी के कारण ही हमें खेतों से अनाज, पेड़ों से हवा और धरती पर बहने वाली नदियों, तालाबों और कुँओं से जल की आपूर्ति होती है। लेकिन बिगड़ते पर्यावरण और बदलते जलवायु के कारण मिट्टी के स्वास्थ्य में निरंतर  गिरावट आ रही है। रासायनिक खादों और कीटों को मारने के लिए दवाओं के लगातार इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कमी आती जा रही है, जिससे उत्पादन प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा पराली जलाने से भी पर्यावरण को नुकसान पहुँचने के साथ ही  मिट्टी की उर्वरा शक्ति प्रभावित हो रही है। आइये आज विश्व मृदा दिवस (5  दिसंबर ) पर पराली नहीं जलाने और रासायनिक खादों के इस्तेमाल को कम करते हुए मिट्टी बचाने का संकल्प लें, ताकि सभी को भोजन उपलब्ध हो सके।  

5 दिसंबर  विश्व मृदा दिवस –उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2013 में  संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 68वीं सामान्य सभा की बैठक में पारित संकल्प के द्वारा 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाने का संकल्प लिया गया था। विश्व मृदा दिवस का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा, कृषि के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के नियंत्रण , गरीबी उन्मूलन और सतत विकास के लिए मिट्टी के महत्व के बारे में दुनिया भर में जागरूकता बढ़ाना है। मृदा दिवस की हर साल एक थीम होती है। विश्व मृदा दिवस 2022 की थीम है, ‘मृदा, जहां भोजन शुरू होता है।’ इस थीम के जरिए मिट्टी को मनुष्यों और पशुओं  को भोजन प्रदान करने वाला महत्वपूर्ण माध्यम बताया जा रहा है। इसकी गुणवत्ता बिगड़ने पर संपूर्ण संसार को खतरा होने की आशंका प्रकट की गई है।

इसलिए हो रही मिट्टी खराब  -हम सभी जानते हैं कि वर्तमान में रासायनिक खादों और फसलों के कीटों को मारने के लिए दवाओं के निरंतर  इस्तेमाल से  मिट्टी की संरचना खराब होने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति समाप्त होती जा रही है। दुनिया में मिट्टी के बिना कोई खाद्य सुरक्षा नहीं हो सकती है । मिट्टी के जैविक गुणों में कमी आने के साथ ही  यह प्रदूषण का भी शिकार हो रही है। हमारे भोजन का 95 फीसदी हिस्सा मिट्टी से ही आता है। मिट्टी में रहने वाले जीव कार्बन को संचित करने में मदद करते हैं । मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीव पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने में दिन-रात काम करते रहते हैं। पेड़ों की जड़ें भी मिट्टी को बांध कर रखती है। जिससे तेज बारिश आने पर मिट्टी को सोख लेती हैं। लेकिन पेड़ों की अंधाधुंध कटाई होने से मिट्टी एक दम पानी को नहीं सोख पाती है और पानी के बहाव में मिट्टी भी बह जाती है। पेड़ों की संख्या में कमी के कारण बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाएं भी बढ़ रहीं हैं। इसके अलावा पराली जलाने से भी पर्यावरण को नुकसान से अधिक मिट्टी की उर्वरा शक्ति प्रभावित होती है। केवल एक टन पराली जलाने से 5.5 किग्रा नाइट्रोजन, 2.3 किग्रा फास्फोरस, 25 किग्रा पोटेशियम और 1.2 किग्रा सल्फर जैसे मिट्टी के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।  फसल की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का उपजाऊ और स्वस्थ रहना बहुत जरुरी होता है । खेत में फसल की बुवाई से पहले मिट्टी की जांच बहुत जरुरी है, ताकि यह पता लग सके कि आपके खेत की मिट्टी में किन तत्त्वों की कमी है। पोषक तत्वों जैसे, लौह, जिंक, कापर की उचित मात्रा के प्रयोग से फसल को फायदा होता है और उत्पादन भी बढ़ता है।

ऐसे रोकें मिट्टी का क्षरण  –  मिट्टी के क्षरण को रोकना हर किसी की जिम्मेदारी है। खास तौर से किसानों के खेती करने के तरीक़े टिकाऊ नहीं होने के साथ ही भूमि के उपयोग में बेवजह के  बदलावों के कारण भी मिट्टी का क्षरण अधिक होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि मिट्टी के क्षरण को कैसे रोका जाए। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार  मिट्टी में उर्वरता शक्ति को बनाए रखने के लिए लंबी और जल्दी से बढ़ने वाली फसलों के बाद बौनी फसलों को लगाना  चाहिए ,क्योंकि गन्ने के बाद चारा फसलों को उगाने से मिट्टी की उर्वरता घटती है, इसलिए गन्ने के बाद दलहनी फसलों की खेती करें । इससे मिट्टी की उर्वरता शक्ति बढ़ती है । खेत में अधिक पानी वाली फसल करने के बाद कम पानी वाली फसलों को लगाएं, जैसे, धान के बाद मटर, मसूर, सरसों और चना इत्‍यादि ।  

किसान कल्याण के सरकारी प्रयास – दुनिया के कई देश कृषि प्रधान हैं । इसके मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र संघ ने किसानों के हित के लिए कई अभियान चलाए हैं, जिनमें मृदा संरक्षण पर विशेष बल दिया गया है। भारत में आधी आबादी कृषि पर निर्भर है। भारत में भी मृदा संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्वस्थ धरा, हरा खेत का नारा दिया। वहीं मिट्टी के स्वास्थ्य व उर्वरकता को बढ़ाने के लिए 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की  , जिससे किसान अपने खेतों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों एवं उर्वरकों के फसल-वार सुझावों से उत्पादकता सुधार में सहायता मिल सकें।  फसलों का उत्पादन बढ़ने से खुशहाली आएगी। आइये विश्व मृदा दिवस 2022 पर आज इस वर्ष की थीम  ‘मृदा, जहां भोजन शुरू होता है’  को अपनाते हुए मिट्टी के साथ -साथ भोजन को भी सुरक्षित रखने का संकल्प लें , ताकि प्राणिमात्र  स्वस्थ रह सके।

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