केवीके देवास ने खेड़ा में श्रीअन्न की खेती का प्रशिक्षण आयोजित किया
20 मार्च 2023, देवास: केवीके देवास ने खेड़ा में श्रीअन्न की खेती का प्रशिक्षण आयोजित किया – प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज (श्री अन्न) सम्मेलन का उद्घाटन किया गया। इसी परिप्रेक्ष्य में कृषि विज्ञान केन्द्र, देवास द्वारा विकासखण्ड सोनकच्छ के ग्राम खेड़ा में मोटा अनाज (श्री अन्न) की खेती एवं उसके संवर्धन पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. ए.के.बड़ाया, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. के.एस.भार्गव, शस्य वैज्ञानिक डॉ.महेन्द्र सिंह, मृदा वैज्ञानिक डॉ. सविता कुमारी सहित 67 कृषकों ने भागीदारी की।
डॉ. ए.के.बड़ाया ने मोटे अनाज की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मोटा अनाज हमारे स्वास्थ्य में अहम भूमिका अदा करता है। आज हमारे देश में मधुमेह की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है, मोटे अनाज के सेवन से मधुमेह की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है।मोटे अनाज के सेवन से वजन, कोलेस्ट्राल, बी.पी. एवं हृदय संबंधी बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है। जबकि शस्य वैज्ञानिक डॉ. महेन्द्र सिंह ने मोटे अनाज की खेती के बारे में विस्तार से चर्चा कर बताया कि मोटे अनाज की खेती में पानी की काफी कम आवश्यकता पड़ती है। साथ ही कम उर्वरक के प्रयोग में भी इसकी खेती अच्छे ढंग से की जा सकती है। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती के अंतर्गत मोटे अनाज की खेती एक अच्छा समावेश हो सकता है। डॉ. सिंह ने बताया कि मोटे अनाज में ग्लूटिन नहीं पाया जाता है तथा इसमें प्रोटीन, फाइबर, मैग्नेशियम एवं पोटेशियम तत्वों की अधिक मात्रा पाई जाती है, जिसके कारण इन्हें सुपर फूड का दर्जा दिया जा रहा है एवं इनके सेवन से कई तरह की बीमारियों से निजात पाई जा सकती है।
डॉ. के.एस.भार्गव ने खेती में उपयोग होने वाले विभिन्न सिंचाई तरीकों के बारे में विस्तृत चर्चा की और बताया कि नई-नई तकनीकी जैसे स्प्रिंकलर, ड्रिप इत्यादि का उपयोग कर पानी की बचत की जा सकती है। आपने खेती में लागत कम करने के लिए मशीनरी के उपयोग एवं उनके रख-रखाव के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। मृदा वैज्ञानिक डॉ. सविता कुमारी ने अच्छी गुणवत्तायुक्त पैदावार हेतु संतुलित एवं जैविकउर्वरकों के उपयोग पर जोर दिया और खेती में वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने की विधि और उपयोगिता के बारे में बताया। साथ ही मोटे अनाज की खेती के लिए प्राकृतिक तरीकों को अपनाने की सलाह दी और उन्होंने जीवामृत, बीजामृत, घनजीवामृत एवं दशपर्णी अर्क बनाने के विभिन्न प्राकृतिक तरीकों के बारे में चर्चा की। इस कार्यक्रम में सालिडेरीडेड संस्था की प्रमुख श्रीमती पूर्वा दीक्षित एवं उनके सहयोगी श्री धर्मेन्द्र बैरागी, श्री बहादुर सिंह, श्री लखन राजपूत और श्री अनिल ठाकुर का भी सराहनीय सहयोग रहा।
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