पारम्परिक खेती से हटकर कृषक औषधीय पौधों की खेती करें : डॉं. बिसेन
जबलपुर। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में औषधीय संगधीय पौध निदेशालय आनंद गुजरात एवं अखिल भारतीय समन्वित औषधीय संगधीय एवं पान परियोजना जनेकृविवि के संयुक्त तत्वाधान में तीन दिवसीय प्रशिक्षण का उद्घाटन करते हुये कुलपति डॉ. प्रदीप कुमार बिसेन ने कहा कि विवि से औषधीय संगधीय पौधों की 650 प्रजातियां राष्ट्रपति भवन में लगाई गई हैं जो इस विवि की सर्वश्रेष्ठता का प्रतीक है। साथ ही मध्यप्रदेश के करीब 26 जिलों का कार्यक्षेत्र इस विश्वविद्यालय का है। जो अधिकतर आदिवासी अंचल में हैं। कुलपति डॉ. बिसेन ने प्रशिक्षणार्थियों से आव्हान किया कि पारम्परिक खेती से हटकर कृषक औषधीय एवं संगधीय पौधों की खेती करें।
इस कार्यक्रम में गुजरात से आये डॉ. एन.ए. गजभिये, डॉ. गीता, डॉ. के.ए. कलारिया, डॉ. आर.पी. मीना तथा मुख्य संयोजक डॉ. पी.एम. सारन ने किसानों को औषधीय संगधीय पौधों की आदर्श कृषि एवं संग्रहण पद्धति पर प्रशिक्षण दिया। इस कार्यक्रम को पूर्णता प्रदान करने लिये जनेकृविवि की पान परियोजना की प्रमुख अन्वेषक डॉ. विभा पंाडे का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
विभागाध्यक्ष डॉं. ए.एस. गोंटिया, डॉं. एस.के. द्विवेदी, डॉं. आर.के. समैया, डॉं. ज्ञानेन्द्र तिवारी के मार्गदर्षन में यह प्रषिक्षण कार्यक्रम चल रहा है। जिसमें जबलपुर, रीवा, सागर एवं इन्दौर संभाग के 50 कृषक प्रषिक्षण लेने आये हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉं. (श्रीमति) अनुभा उपाध्याय ने किया।
औषधीय पौधों का महत्व