सोयाबीन में संतुलित उर्वरक प्रबंधन पर कृषक संगोष्ठी आयोजित
21 जून 2022, इंदौर । सोयाबीन में संतुलित उर्वरक प्रबंधन पर कृषक संगोष्ठी आयोजित – भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान, इंदौर द्वारा ‘पोषण प्रबंधन हेतु सोयाबीन में संतुलित उर्वरक प्रबंधन विषय पर ऑनलाइन कृषक संगोष्ठी आयोजित की गई।जिसमें मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान तथा हरियाणा राज्यों के कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं कृषि विभाग के संबंधित वैज्ञानिक, अधिकारियों एवं प्रगतिशील कृषकों समेत कुल 400 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
मुख्य वक्ता संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक (सस्य विज्ञान) डॉ एस.डी. बिल्लोरे ने किसानों से कहा कि असंतुलित खाद के प्रयोग से बचना चाहिए क्यों कि असंतुलित मात्रा में प्रयोग किये गए उर्वरकों से पौधों द्वारा पोषक तत्वों के अवशोषण में सही लाभ नहीं मिल पाता है , साथ ही जब हम किसी एक ही तत्व का सालों तक उपयोग करते हैं, तो दूसरे तत्व का संतुलन बिगड़ने लगता है, जिसके कारण उत्पादकता पर प्रभाव पड़ता है। डॉ बिल्लोरे ने कहा कि आर्थिक क्षमता के अनुसार यदि उर्वरकों का प्रयोग करना हों, तो किसी एक पोषक तत्व की कमी करने के बजाय फसल के लिए आवश्यक सभी प्रमुख तत्त्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस , पोटाश एवं सल्फर की मात्रा में कमी करनी चाहिए। उन्होंने सोयाबीन फसल के लिए अनुशंसित प्रति हेक्टेयर 20:60:40:20 किग्रा. नाइट्रोजन, फास्फोरस , पोटाश एवं सल्फर पूर्ति हेतु यूरिया 56 कि.ग्रा. + 375 कि.ग्रा. सुपर फॉस्फेट व 67 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ़ पोटाश अथवा डी.ए.पी 125 कि.ग्रा.+ 67 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ़ 25 किग्रा/ हे बेन्टोनेट सल्फर अथवा मिश्रित उर्वरक 12:32:16 @200 किग्रा + 25 किग्रा/ हे बेन्टोनेट सल्फर / 20:20:13 @300 किग्रा +25 किग्रा/ हे बेन्टोनेट सल्फर का प्रयोग करने की सलाह दी।
इसके पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डॉ बी.यु. दुपारे ने स्वागत भाषण में कहा कि लगभग 50 वर्षों से सोयाबीन की खेती करने के बाद भी इसके लिए आवश्यक पोषण पर ध्यान नहीं देने से फसल प्रभावित हो रही है। उन्होंने फसल की गुणवत्ता के लिए किसानों को गोबर की खाद एवं रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने की सलाह दी। वहीं संस्थान की कार्यवाहक निदेशक डॉ नीता खांडेकर ने पोषण प्रबंधन में संतुलित उर्वरकों पर ध्यान केन्द्रित किये जाने के साथ ही सूक्ष्म पोषक तत्वों की महत्ता बताई । संगोष्ठी में किसानों द्वारा पूछे गए प्रश्नों एवं समस्याओं का निराकरण भी किया गया। अंत में , डॉ सविता कोल्हे ने धन्यवाद ज्ञापित किया।