State News (राज्य कृषि समाचार)

खरीफ फसलों को पानी की दरकार, उत्पादन घटने की आशंका

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मानसून का बिगड़ा मिजाज

31 अगस्त 2023, भोपाल: खरीफ फसलों को पानी की दरकार, उत्पादन घटने की आशंका – देश एवं प्रदेश में मानसून के बिगड़े मिजाज के कारण खरीफ उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पडऩे की संभावना है। अगस्त माह सदी का सबसे सूखा बीता है। वर्ष 1901 के बाद यह स्थिति अब बनी है जब अगस्त माह में लगभग 32 फीसदी बारिश कम हुई है। इसका मुख्य कारण अल नीनो को माना जा रहा है। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ,़ पंजाब, गुजरात एवं आंध्रप्रदेश जैसे फसल उत्पादक राज्यों में फसलों को पानी की सख्त जरूरत है, परन्तु अभी दूर-दूर तक मानसून पुन: सक्रिय होने का अनुमान नहीं है। जिससे किसानों के माथे पर लकीरें उभर आई हैं, क्योंकि कम उत्पादन की चिंता उन्हें सताने लगी हैं।

मौसम विभाग के मुताबिक बंगाल की खाड़ी में 5-6 सितंबर के बीच कुछ हलचल दिख सकती है मगर इससे बारिश में कमी की भरपाई नहीं होगी, क्योंकि ‘जिन वर्षों में अल नीनो का प्रभाव देखा गया है, उनमें ज्यादातर (70 प्रतिशत) में सितंबर में बारिश कम से कम 10 प्रतिशत कम रही है।Ó
इस साल देश में बारिश लगभग 8 प्रतिशत तक कम रह सकती है।  सितंबर के पहले सप्ताह के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि इस साल बारिश कितनी कम रहेगी

इस बीच अगस्त में वर्षा कम होने से देश के कई राज्यों में खरीफ की फसलें प्रभावित हो रही हैं। आशंका जताई जा रही है कि अगले 10-15 दिनों में पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो देश के उन हिस्सों में फसलों की पैदावार कम रह सकती है जहां सिंचाई की पर्याप्त सुविधा नहीं है। जिन इलाकों में सिंचाई सुविधाएं हैं वहां भी किसानों की लागत बढ़ जाएगी।

भारतीय सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन (सोपा) इंदौर ने खड़ी फसलों का जायजा लेने के लिए सर्वेक्षण किया था। इस सर्वेक्षण के अनुसार अगस्त में बारिश काफी कम हुई है और सोयाबीन की फसल को अब तक तो खास नुकसान नहीं पहुंचा है मगर कुछ दिनों में बारिश नहीं हुई तो मामला बिगड़ सकता है।

सोपा ने कहा, ‘अब भी बारिश नहीं हुई तो पूरे देश में सोयाबीन की फसल को तगड़ा नुकसान हो सकता है। नुकसान कितना रहेगा यह मॉनसून की चाल पर निर्भर रहेगा, इसलिए फिलहाल उत्पादन के आंकड़े का कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। सोपा ने देश के तीन प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में सर्वेक्षण किया था।

जानकारी के मुताबिक राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सभी प्रमुख फसलों के लिए शीघ्र बारिश की जरूरत महसूस की जा रही है। राजस्थान में सभी प्रमुख फसलों के लिए बारिश की जरूरत महसूस हो रही है। सोयाबीन के सबसे बड़े उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में भी यह फसल बारिश के बिना कमजोर हो रही है। गुजरात में भी सभी प्रमुख फसलों जैसे सोयाबीन, अरहर, धान, मूंगफली और मूंग को सिंचाई की जरूरत है और अगले कुछ दिनों में बारिश नहीं हुई तो उत्पादन घट सकता है।

पंजाब में सामान्य से 68 प्रतिशत कम और हरियाणा में 58 प्रतिशत कम बारिश हुई है। कम बारिश से इन दोनों राज्यों में धान की पैदावार प्रभावित हो सकती है। मगर अच्छी बात यह है कि इन दोनों राज्यों में सिंचाई व्यवस्था चाक-चौबंद है क्योंकि मॉनसून सुस्त पडऩे से पहले जुलाई में अत्यधिक बारिश हुई थी। इधर बारिश कम रहने से ओडिशा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में धान की बोआई एक माह पिछड़ गई है।

कृषि मंत्रालय के मुताबिक देश में इस वर्ष 124 लाख 71 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन बोई गई है। मध्य प्रदेश में इसकी बोनी 53.35 लाख हेक्टेयर में, महाराष्ट्र में 50.02 लाख हेक्टेयर में, राजस्थान में 11.44 लाख हेक्टेयर एवं गुजरात में 2.66 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बोनी की गई है।

देश में सोयाबीन का रकबा तो बढ़ा है। वर्तमान में स्थिति भी ठीक है परन्तु पानी की कमी बेहतर उत्पादन में बाधक बन रही है। भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इन्दौर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बी.यू. दुपारे ने बताया कि वर्तमान में सोयाबीन में फूल आने और दाना भरने की स्थिति है इसके लिए नमी की आवश्यकता है। ऐसे में स्प्रिंकलर से सिंचाई महत्वपूर्ण एवं लाभदायक हो सकती है।

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