सरकार और बाजार के बीच पिसा किसान
सोयाबीन बीज की कालाबाजारी
(अतुल सक्सेना)
21 जून 2021, भोपाल । सरकार और बाजार के बीच पिसा किसान – म.प्र., महाराष्ट्र और राजस्थान में प्रमुखता से उगाई जाने वाली खरीफ तिलहनी फसल सोयाबीन देश में लगभग 1 करोड़ 30 लाख हेक्टेयर में ली जाती है। वहीं म.प्र. में इस वर्ष लगभग 64 लाख हेक्ट. में सोयाबीन लेने का लक्ष्य रखा गया है परन्तु सोया राज्य का दर्जा प्राप्त म.प्र. में इस वर्ष सोयाबीन बीज की कमी किसानों को आहत कर रही है। मंहगा बीज लेने को मजबूर किसान को यह भी नहीं मालूम कि उसकी लागत निकल पाएगी या नहीं। सोयाबीन बीज का सरकारी रेट भी बढ़ाया गया है, इस कारण निजी बीज कंपनियां भी मनमानी पर उतर आयी हैं। खरीफ की वार्षिक बैठक में भारत सरकार के कृषि आयुक्त डॉ. एस.के. मल्होत्रा ने अपने प्रस्तुतिकरण में कहा था कि देश में इस खरीफ में लगभग 29 लाख क्विंटल सोयाबीन बीज की आवश्यकता है परन्तु इसमें 10 प्रतिशत की कमी हो सकती है। यही 10 प्रतिशत की कमी का फायदा निजी व्यापारी उठा रहे है और 8 से 12 हजार रुपये क्विंटल तक सोयाबीन बीज बेच रहे हैं। जबकि राज्य सरकार ने भी 7500 रु. क्विंटल बीज की दर तय की है। देश एवं प्रदेश में किसान सरकार और बाजार के बीच पिस रहा है।
हालांकि सोयाबीन बीज की कालाबाजारी को लेकर प्रदेश के कृषि मंत्री के निर्देश पर कुछ कंपनियों के विरुद्ध स्नढ्ढक्र और कुछ अधिकारियों को निलंबित किया गया है, वहीं दूसरी तरफ कुछ कंपनियों ने कृषि विभाग पर भी आरोप लगाया है कि वो प्राइवेट सेक्टर में माफिया बन बैठा है कमीशन की बात भी सामने आ रही है। गत वर्ष के सोयाबीन बीज की अंकुरण क्षमता कम हो जाने से 50 फीसदी तक बीज किसी काम का नहीं रह गया। किसान अपनी फसल में से अगले सीजन के लिए बीज बचा कर रखते हैं, लेकिन भारी बारिश के कारण पिछली खरीफ की फसल चौपट हो गई थी। इसलिए किसानों के पास इस बार बोने के लिए बीज नहीं बचा। जानकारों के मुताबिक कुल जरूरत का लगभग 60 प्रतिशत बीज फसल से ही आता है। लेकिन इस बार किसानों के पास यह नहीं है। बाजार में जो बीज है इतना महंगा है कि खरीद कर बोना हर किसान के बस की बात नहीं है। सिहोर के किसान वीर सिंह कहते हैं कि सोयाबीन का बीज बहुत कमजोर होता है। थोड़ी भी क्वालिटी कमजोर होने की स्थिति में इसका अंकुरण बहुत कम हो जाता है। बाजार में डिमांड ज्यादा और बीज कम है तो आशंका है कि विक्रेता कमजोर बीज भी खपा देंगे। कुछ विक्रेता स्थानीय स्तर पर मंडियों से माल खरीदकर, उसकी ग्रेडिंग कर बीज के दाम पर बेचते हैं। इसलिए इस बार बाजार की क्वालिटी का ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता।
किसान परेशान
धार जिले के बदनावर से किसान जादू लाल ने बताया सोयाबीन के प्रमाणित बीज के लिए इस मर्तबा किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि गत वर्ष बारिश अधिक होने के कारण अधिकांश किसानों के पास सोयाबीन बीज बोने लायक नहीं बचा है। प्रमाणित बीज नहीं मिलने से अच्छे बीज की तलाश में किसान इधर उधर भटक रहे हैं। वर्तमान में बीज करीब 8 हजार रूपए प्रति क्विंटल मिल रहा है। निजी उत्पादक समितियों के पास भी प्रमाणित बीज पर्याप्त मात्रा में नहीं है।
सोयाबीन नगदी फसल
कल्सड़ा बुजुर्ग के किसान नीलेश रघुवंशी ने बताया कि सोयाबीन बीज की दिक्कत तो है। 9000 रु क्ंिवटल बीज मिल रहा है लेकिन मैं घर का बीज 9560 ही बो रहा हूं। हालांकि इस वर्ष 9560 ना बोने की सलाह दी जा रही है परंतु नया बीज लेने की हिम्मत नहीं हो रही क्योंकि पुराना बीज घर पर रखा है। कृषि विशेषज्ञ कहते हैं कि सोयाबीन कम समय में अधिक उत्पादन देने वाली कैश क्रॉप है, इसलिए किसानों के पास सोयाबीन का विकल्प नहीं है। इसमें पानी भी कम लगता है। जिस जगह पर सोयाबीन बोई जाती है वहां किसान धान की पैदावार भी नहीं ले सकते है। इस बार 40 फीसदी ज्यादा दाम, बीज की किल्लत को देखते हुए कई निजी कंपनियों के बीज अचानक बाजार में नजर आने लगे हैं। 8 से 10 हजार रुपए क्विंटल की कीमत पर यह कंपनियां बीज उपलब्ध करवा रही हैं, लेकिन बीज सर्टिफाइड है या नहीं, उसकी उत्पादकता की क्या गारंटी है ।
अधिकारियों पर कार्यवाही
इधर खंडवा जिले में नकली बीज कारोबार मामले मे सभी 5 बीज प्रमाणीकरण अधिकारियों पर गाज गिरी है। पांचों बीज प्रमाणीकरण अधिकारी सस्पेंड कर दिए गए हैं। इसके आदेश मप्र राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था के प्रबंध संचालक श्री बी.एस.ध्रुर्वे ने जारी किए हैं। पिछले दिनो संभागीय टीम ने जिले के 3 कारोबारियों के यहां छापा मारा था। यहां भारी मात्रा में बीज प्रमाणीकरण के नकली टैग मिले थे। इधर, बीज माफिया बालाजी सीड्स व उत्तम सीड्स के अलावा डीडीए रामस्वरूप गुप्ता पर कार्रवाई बाकी है। कृषि मंत्री के अनुसार कार्रवाई प्रक्रिया में है। गत दिनों टीम ने खंडवा के ग्राम बावडिय़ा काजी में बालाजी सीड्स, प्रगति एग्रो सीड्स पांजरिया और उत्तम सीड्स दोंदवाड़ा पर छापेमार कार्रवाई की थी। इन संस्थानों के पास बीजों के नकली टैग बड़ी मात्रा में पकड़ाए। कृषि विभाग के अफसरों ने सिर्फ प्रगति एग्रो सीड्स पर एफआईआर दर्ज कराई है। खंडवा जिले में सोयाबीन, कपास व गेहूं के नकली बीज का कारोबार 50 करोड़ के करीब है। शाजापुर में तहसीलदार द्वारा सत्यम सीड्स संस्था की जाँच की गई। जाँच के दौरान पाया गया कि उनकी कंपनी द्वारा सोयाबीन बीज का स्थानीय स्तर पर ग्रेडिंग कर उंचे दामों पर किसानों को विक्रय किया जा रहा है। सोयाबीन बीज को लेकर संकट का दौर तो बना हुआ है लेकिन इन सबके बीच प्रमाणित सोयाबीन बीज के दाम को लेकर एक नई समस्या खड़ी हो गई है। राज्य सरकार ने प्रमाणित बीजों की विक्रय दरें निर्घारित कर दी है। जिसके तहत प्रमाणित सोयाबीन बीज की दर 7500 रूपए प्रति क्विंटल निर्घारित की गई है जबकि पिछले साल सोयाबीन बीज के रेट 6650 रूपए प्रति क्विंटल थे। इस हिसाब से सोयाबीन बीज के दाम में बढ़ोत्तरी की गई है। सोयाबीन के सरकारी रेट बढऩे से यह तो तय हो गया कि प्राइवेट में बीज इससे महंगा ही बिकेगा। ऐसे में किसानों के लिए महंगा बीज खरीदना किसी आफत से कम नहीं होगा।
टर्नओवर पर कमीशन की मांग
इधर बीज कंपनियों के अधिकारियों से चर्चा में आया कि मध्य प्रदेश में प्राइवेट सेक्टर की कम्पनियों/डीलर/रिटेलर के लिए कई जगह कृषि विभाग में दलाल बैठें हैं। करोड़ तक के कमीशन की बात सामने आ रही है जिसके कारण हमारे कई साथी बेहद तनाव में है। मध्य प्रदेश में पहली बार हो रहा है कि टर्नओवर पर कमीशन मांगा जा रहा है जो कि इस इंडस्ट्री के लिए बेहद चिंता का विषय है। उनकी आशंका है कि यह सिस्टम बन गया तो आगे अच्छी कम्पनी और अच्छे लोगो का इंडस्ट्री में काम करना मुश्किल होगा। आटे में नमक पडऩे तक की कहावत ठीक थी मगर अब उल्टा हो रहा है।