राज्य कृषि समाचार (State News)

रसायन के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी की मुलायमता और सौंधापन हुआ समाप्त- डॉ. भार्गव

18 नवंबर 2024, बड़वानी: रसायन के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी की मुलायमता और सौंधापन हुआ समाप्त- डॉ. भार्गव – जैविक खेती की अवधारणा भारतीय है, हमारे देश में हजारों वर्षों तक प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित जैविक खेती की गई है। जैविक खेती भारतीय ज्ञान परंपरा की देन है, पश्चिम के प्रभाव ने रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग को बढ़ावा दिया है। इससे मिट्टी, पर्यावरण, स्वास्थ्य और उत्पादों की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। पहले हर किसान के पास पशु भी होते थे, जिससे गोबर खाद तैयार होता था। मिट्टी में सूक्ष्म जीव की प्रचुरता होती थी। रसायन के अंधाधुंध प्रयोग ने मिट्टी की मुलायमता और सौंधेपन को समाप्त कर दिया है। जैविक खेती से दूर होकर हम  कैंसर  जैसी बीमारियों के नजदीक हो गए हैं। एक हजार वर्षों तक विदेशी सत्ता के अधीन रहकर हम भारतीयता से परे हो गए हैं। अपने अतीत की गौरवपूर्ण उपलब्धियों को भूल गए हैं और विदेशों का अनुकरण कर रहे हैैं। ये बातें प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा जैविक खेती के महत्व पर आधारित संवाद में विचार व्यक्त करते हुए वनस्पति विज्ञान के प्रो. डॉ. भूपेन्द्र भार्गव ने कही।  

यह आयोजन प्राचार्य डॉ. वीणा सत्य तथा प्रभारी प्राचार्य डॉ. आशा साखी गुप्ता के मार्गदर्शन में किया गया।  डॉ. भार्गव ने विज्ञान सम्मत ढंग से रासायनिक खेती के व्यापक नुकसानों के बारे में जानकारी दी।  उन्होंने कहा कि निरंतर रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करने पर कीटों में उनके विरुद्ध प्रतिरोध करने की क्षमता उत्पन्न हो जाती है। उन पर कीटनाशक बेअसर हो जाता है। ये मित्र कीटों को भी मार डालते हैं, जिससे कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे कृषि की लागत बढ़ती है और किसानों की लाभदायकता कम होती है. जैविक खेती के क्षेत्र में करियर की अपार संभावनाएं हैं। समन्वय और संचालन प्रीति गुलवानिया तथा वर्षा मुजाल्दे ने किया. सहयोग नागर सिंह डावर, बादल धनगर, रीना चौहान, अनिता जाधव, संजू डोडवे, कन्हैया लाल फूलमाली और डॉ. मधुसूदन चौबे ने किया।

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