राज्य कृषि समाचार (State News)

नरवाई के सुरक्षित प्रबंधन के लिए जन जागरूकता अभियान

07 अप्रैल 2025, इंदौर: नरवाई के सुरक्षित प्रबंधन के लिए जन जागरूकता अभियान –  वर्तमान जिलों में फसल की कटाई का कार्य लगभग पूर्ण है। गेहूं की फसल की कटाई के  उपरांत सामान्यतः किसान नरवाई में आग लगा देते हैं , जिससे पर्यावरण के साथ-साथ मिट्टी की संरचना भी प्रभावित होती है। जिले में गेहूं की कटाई के बाद बचे हुए फसल वाले स्ट्राल (नरवाई) जलाना खेती के नुकसान का कारण है। नरवाई प्रबंधन मंच के किसानों को कृषि विभाग द्वारा लगातार सलाह दी जा रही है और उनकी अपील है कि वह नरवाई को जलाए नहीं। फ़्रैंचाइज़ी फ़ल के फ़्रैंचाइज़ी नरवाई के सुरक्षित प्रबंधन के संबंध में जन जागरूकता के लिए आवेदक श्री आशीष सिंह ने रथ को बढ़ावा देने के लिए प्रचार-प्रसार अभियान चलाया। यह रथ जिले के समग्र विकास खण्डों के ग्रामों में पर्यटन-प्रचार-प्रसार है। इस अवसर पर उप  संचालक  कृषि श्री सी.एल. केवड़ा , सहायक कृषि यंत्र श्री मनोज गर्ग , सहायक सहायक कृषि श्री एस.आर. एस्के , श्री विजय जाट , श्री सी.एल. अंतर्राष्ट्रीय आदि विशेष रूप से उपस्थित थे ।

किसान संवाद कार्यक्रम होगा-   कलेक्टर श्री आशीष सिंह के निर्देश 5 अप्रैल से 16 अप्रैल तक प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर कृषि से संबंधित जमीनी अधिकारी एवं राजस्व विभाग के पटवारी/पंचायत विभाग के पंचायत सचिव के साथ मिलकर समन्वय संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।

नरवाई  जलाने  पर दंड का प्रस्ताव-   किसानों से अपील की गई है कि नरवाई न जलें। नरवाई जलाने से पर्यावरण को नुकसान होता है। किसान यदि नरवाई जलाता है तो मध्य प्रदेश शासन के अधिसूचना पर्यावरण विभाग द्वारा अधिसूचना के अनुसार नरवाई में आग लगाने के विरोध में पर्यावरण राशी दंड का प्रस्ताव निर्धारित किया गया है।  ऐसा कोई व्यक्ति/निकाय/कृषक जिसके पास 2 ओकरा तक की भूमि है तो उसे नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में 2500 रुपये प्रति घटना के व्यक्ति से आर्थिक दंड भरना होगा। ऐसा कोई व्यक्ति/निकाय/कृषक जिसके पास 2 से 5 नाका तक की भूमि है तो उसे नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में 5 हजार रुपये प्रति घटना के व्यक्ति से आर्थिक दंड भरना होगा। ऐसा कोई व्यक्ति/निकाय/कृषक जिसके पास करीब 5 एकड़ से ज्यादा जमीन है तो उसे नरवाई में पर्यावरण क्षति के रूप में 15 हजार रुपये प्रति घटना के हिसाब से व्यक्ति से आर्थिक दंड भरना होगा।

नरवाई  जलाने  से होता है नुकसान–    उप संचालक  कृषि श्री सी.एल.केवड़ा ने बताया कि खेत में खेत एवं अन्य पिछड़ेपन (नरवाई) को नष्ट करने से कई नुकसान होते हैं। इस भूमि में साक्षी विद्वान सूक्ष्म जीवाणु केंचुए का विनाश हो जाता है , जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती है। भूमि कठोर हो जाती है , जिसके कारण भूमि की जल धारण क्षमता कम हो जाती है। नरवाई में आग लगने से आस-पास की खाड़ी में आग लगने की संभावना एवं जन/धन हानि का खतरा बना हुआ है। पर्यावरण पर्यावरण हो जाता है। पर्यावरण के तापमान में वृद्धि होती है , जिससे धरती गर्म होती है।

नरवाई प्रबंधन के उपाय –  भूसा मशीन से भूसा बनाया जा सकता है। वेलर मशीन द्वारा बेल पेरेंट पेपर उद्योग जी , बायोमास नाम  से भूसा की रेटिंग की जा सकती है।  मलचर मशीन का उपयोग फासलों द्वारा की जाने वाली फसल कर खेत में जैविक खाद के रूप में किया जा सकता है।
 कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रॉ इंजीनियर सिस्टम वाले हार्वेस्टर का उपयोग करें। खेत में कल्टीवेटर , रोटावेटर या डिस्क हेरो आदि  की  सहायता से कृषकों को भूमि में मिलाने से जीवांश खाद की बचत हो सकती है। कृषकों के लिए भूसा और खेत के लिए  कृषि योग्य भूमि के साथ मिट्टी की संरचना सुधार को शुरू किया जा सकता है।

नरवाई के प्रबंधन से अतिरिक्त आय –   किसानों से जिला प्रशासन , किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग , कृषि अभियांत्रिकी विभाग ने आग्रह किया है कि कृषि उत्पादन के लिए कृषि भूमि (नरवाई) में आग न लगाएं , नरवाई का प्रबंधन कर भूमि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हुए किसानों के लिए भूसा , जैविक खाद तैयार करें। जिससे फसल उत्पादन के अतिरिक्त भी आय प्राप्त हो सके।

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